एक माह से महिला थाना लड़की का ठिकाना
पुलिस कभी हॉस्पिटल तो कभी मजिस्ट्रेट के सामने कर रही पेश
नहीं हो पा रहा डिसीजन कि लड़की को कहां भेजा जाए
BAREILLY: एक लड़की महिला थाना में करीब एक माह से रुकी हुई है। वह दरिंदों के चुंगल से बचकर बरेली रोजगार की चाहत में आयी थी लेकिन उसे महिला थाना भेज दिया गया। पुलिस उसे पुलिस अधिकारियों के पास भी लेकर गई। हॉस्पिटल में कई बार मेडिकल भी हुआ और कई बार अलग-अलग मजिस्ट्रेट के सामने भी पेश किया गया लेकिन कोई डिसीजन नहीं हो सका कि उसे कहां भेजा जाए। सिटी मजिस्ट्रेट के यहां डॉक्टरों ने उसकी मेंटल हालत खराब होने की बात कही तो उसे मेंटल हॉस्पिटल भेजने का डिसीजन लिया गया लेकिन वहां भी वह किन्हीं कारणों से नहीं जा सकी। सैटरडे को भी उसे मेंटल हॉस्पिटल, सीजीएम और एडीएम की कोर्ट में ले जाया गया लेकिन फिर उसे महिला थाना ही आना पड़ा। बार-बार चक्कर लगने से लड़की भी परेशान होकर कह रही है कि उसे पागलखाना ही भेज दिया जाए ताकि उसे अपने घर वापस न जाना पड़े। कौन है ये लड़की, क्या है इसकी कहानी है और क्यों वह महिला थाना से नहीं जा पा रही आइए बताते हैं-------
चाचा-चाची पर बेंचने का लगाया आरोप
लड़की हिंद नगर, लखनऊ की रहने वाली है। उसकी उम्र करीब क्9 साल है। लड़की ने बताया कि उसके पिता की एक्सीडेंट में डेथ हो चुकी है और मां की पहले ही मौत हो चुकी है। माता-पिता की मौत के बाद वह चाचा-चाची के पास रह रही थी लेकिन चाचा चाची उसके साथ मारपीट करने लगे। उसकी नाइंथ क्लास के बाद पढ़ाई छुड़वा दी। करीब दो साल पहले चाचा-चाची ने उसे क्क् हजार रुपये में मथुरा स्थित बलरामपुर में एक शख्स के हाथ बेंच दिया। शख्स ने लोगों को दिखाने के लिए उसके साथ मंदिर में शादी का नाटक भी रचा। वह वहां करीब एक साल रही लेकिन बाद में वह लोग भी उसके साथ मारपीट करने लगे। इससे उसने परेशान होकर जहर खाकर आत्महत्या का प्रयास किया लेकिन उसकी जान बच गई। फिर शख्स ने उसे मथुरा में ही अपनी बहन के घर छाेड़ दिया।
मौका पाकर चुंगल से भागी
लड़की का कहना है कि वह मौका पाकर भाग निकली। वहां से वह पहले लखनऊ गई और कई जगह नौकरी की तलाश की लेकिन नौकरी नहीं मिली तो वह क्8 अक्टूबर को बरेली जाने वाली ट्रेन में बैठ गई। वह बरेली में स्टेशन पर उतरी और आसपास स्थित आफिस में नौकरी मांगने लगी। जब वह एक कोरियर कंपनी के आफिस में नौकरी करने पहुंची तो वहां के मालिक ने उससे नौकरी के बारे में पूछताछ की और फिर उसे पकड़कर महिला थाना ले आए।
यहां से शुरु हुआ चक्कर लगाने का खेल
क्9 अक्टूबर को पुलिस ने लड़की का मेडिकल कराया। ख्क् अक्टूबर को लड़की को सिटी मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया। एक बार फिर से उसे ख्8 अक्टूबर को एडीएम सिटी के आफिस में पेश किया गया। फ्क् अक्टूबर को पुलिस उसे लखनऊ लेकर गई लेकिन उसने अपने घर का एड्रेस चाचा-चाची के डर से पुलिस को नहीं बताया। 7 नवंबर को फिर से उसे सिटी मजिस्ट्रेट की कोर्ट में पेश किया गया। क्फ् नवंबर को भी उसे सिटी मजिस्ट्रेट की कोर्ट में पेश किया गया तो मेंटल हॉस्पिटल के डॉक्टर को भी बुलाया गया। डॉक्टर ने कुछ दिमागी हालत खराब होने की बात कही तो सिटी मजिस्ट्रेट ने उसे पागलखाना में इलाज कराने के लिए कहा। इस दौरान उसे कई बार मेडिकल के लिए डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल भी ले जाया गया।
सैटरडे को भी सिर्फ लगे चक्कर
क्भ् नवंबर को उसे पागलखाना ले जाया गया लेकिन यहां समय से पहले ही हॉस्पिटल में काम बंद मिला। फिर एसआई उसे सीजीएम के पास ले गए लेकिन क्रिमिनल केस न होने के चलते उसे एडीएम आफिस ले जाया गया। एमएलसी इलेक्शन की काउंटिंग में एडीएम के बिजी होने के चलते पेश नहीं किया जा सका तो एक बार फिर से दारोगा उसे महिला थाना वापस ले आए।