-चाइल्ड लाइन को लावारिस मिले बच्चों में बेटों की अपेक्षा बेटियां अधिक

फैक्ट एंड फिगर

वर्ष बेटा बेटी

2018 2 1

2019 1 3

2020 0 1

2021 0 2

नोट: यह आंकड़ा रेलवे एवं सिटी चाइल्ड लाइन दोनों को मिले लावारिस नवजात का है।

बरेली:

एक तरफ महिला सशक्तिकरण की बात हो रही है, इसको लेकर व्यापक रूप से मिशन शक्ति अभियान भी चलाया जा रहा है। फिर भी बेटियों के प्रति लोगों के जहन में कितनी संजीदगी है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आए दिन मिलने वाले लावारिस नवजात बच्चों में बेटों की अपेक्षा बेटियों की संख्या अधिक है। यह बात हम नहीं बल्कि चाइल्ड लाइन से मिले आंकड़े बता रहे हैं। आंकड़ों की मानें तो चाइल्ड लाइन को वर्ष 2018 से जून 2021 तक लावारिस मिले नवजात बच्चों की संख्या 10 है। इसमें 7 ग‌र्ल्स जबकि 3 ब्वॉयज है। हालांकि जो भी बच्चे अब तक पुलिस या फिर चाइल्ड लाइन को मिले हैं उन सभी को शिशु गृह में रखवा दिया जाता है।

899 है चाइल्ड सेक्स रेसियो

सेंसस के आंकड़ों के अनुसार बरेली जिले में ग‌र्ल्स सेक्स रेसियो 899 है, अर्थात एक हजार ब्वॉयज के अनुपात में 899 ग‌र्ल्स है। यह आंकड़ा बताता है कि समाज में अभी भी ग‌र्ल्स को लेकर रूढ़ीवादी परंपराएं हावी हैं। यहीं कारण है कि ग‌र्ल्स और ब्वॉयज में भेद किया जा रहा है। कहने को तो लोग अपने बच्चों को जिगर का टुकड़ा मानते हैं लेकिन ग‌र्ल्स को जिस तरह से बोझ समझकर फेंका जा रहा है उससे यह साफ हो जाता है कि उनके लिए जिगर के टुकड़ों में भी भेदभाव है।

केस: 1

28 जून 2021 : शाही थाना क्षेत्र के गांव सुल्तानपुर में किसी ने नवजात को गर्भनाल सहित गन्ने के खेत में फेंक दिया। लेकिन गनीमत रही कि गांव के ही नौलख राम ने बच्ची के रोने की आवाज सुनकर ग्रामीणों को सूचना दी। सूचना मिलते ही पुलिस ने बच्ची को चाइल्ड लाइन को सौंप दिया जहां से बच्ची को जिला अस्पताल के बाद निजी हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया है।

केस: 2

19 जनवरी 2021 : सिरौली थाना क्षेत्र के गांव में एक दिन की नवजात को कोई सरसों के खेत में फेंक गया। अर्ली मॉनिंग में किसी ग्रामीण ने बच्ची के रोने की आवाज सुनी तो, ग्रामीणों और पुलिस को सूचना देने के बाद बच्ची को चाइल्ड लाइन के लिए सौंप दिया गया। हॉस्पिटल में इलाज कराने के बाद बच्ची को बोर्न बेबी फोल्ड में रखा गया।

केस:3

19 जनवरी 2021 : शहर के डेलापीर स्थित सब्जी मंडी में किसी ने नवजात को कूड़े के ढेर में फेंक दिया। नवजात वहां रो रही थी तभी किसी राहगीर ने सूचना चाइल्ड लाइन को दी। सूचना पर पहुंची चाइल्ड लाइन ने बच्ची को हॉस्पिटल में एडमिट कराया तो पता चला कि बच्ची को आंखों में प्रॉब्लम है। बच्ची के स्वस्थ्य होने पर उसे बोर्न बेबी फोल्ड में रखा गया है।

केस: 4

9 अक्टूबर 2019 : शहर के सिटी शमशान भूमि पर घड़े के अंदर किसी ने बच्चे के रोने की आवाज सुनी। पास जाकर देखा तो घड़े के अंदर नवजात बच्ची थी, उसे कोई गड़ढ़े में दबा गया था। घड़े से बच्ची को निकाला गया उसे हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया। बिथरी विधायक ने उसे गोद लेकर इलाज कराया। अब बच्ची का नाम सीता रखा गया है, और वह बोर्न बेबी फोल्ड में रखी गई है।

केस: 2

21 नवम्बर 2019 : रेलवे जंक्शन भोजीपुरा के रेलवे ट्रैक पर एक नवजात को कोई छोड़ गया। वहां से गुजर रहे किसी व्यक्ति ने बच्चे की रोने की आवाज सुनी तो मौके पर जाकर देखा तो नवजात था। चाइल्ड लाइन टीम भी मौके पर पहुंची और नवजात बेटे का इलाज कराने के बाद राजकीय शिशु गृह आगरा भेज दिया गया।

केस:-1

24 मई 2018 : शाम चार बजे रेलवे जंक्शन पर जीआरपी को किसी ने एक नवजात पड़ा होने की सूचना दी। सूचना मिलते ही जीआरपी मौके पर पहुंची तो देखा एक नवजात को कोई छोड़ गया है। पुलिस ने नवजात को देखा तो वह बेटा था। चाइल्ड लाइन की हेल्प से उसे डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में एडमिट कराया। जहां उसे चार दिन एडमिट रखने के बाद रामपुर शिशु गृह में भेज दिया गया।

गरीबी और अशिक्षा बड़ी वजह

-जो लोग बेटियों और बेटों को इस तरह फेंकते हैं इसके पीछे मेन कारण अशिक्षा, अज्ञानता और गरीबी है। आज भी लोग बेटों की चाहत रखते हैं। लेकिन लोगों को समझना चाहिए कि बेटियां भी बेटों से पीछे नहीं है।

डॉ। डीएन शर्मा, मजिस्ट्रेट सीडब्ल्यूसी

अभी तक जो भी बच्चे लावारिस हालत में मिले हैं उनमें ब्वॉयज की अपेक्षा ग‌र्ल्स अधिक मिली है। समाज को सोचना चाहिए कि ग‌र्ल्स भी ब्वॉयज से कम नहीं होती है।

आरती शर्मा, को-आर्डिनेटर, चाइल्ड लाइन सिटी

फेके जाने वाले लावारिस बच्चों में ग‌र्ल्स अधिक हैं। चाइल्ड लाइन के लिए जो भी बच्चा मिलता है उसे शिशु गृह में रखवा दिया जाता है।

शेर मोहम्मद, को-आर्डिनेटर रेलवे चाइल्ड लाइन