BCB में पकड़ा गया 'घूसखोर'
बीसीबी में थर्सडे को स्टूडेंट से सुविधा शुल्क वसूलने का मामला सामने आया। एक कर्मचारी ने एग्जाम फॉर्म में करेक्शन के नाम पर उससे रुपए वसूले। मामला तब खुला जब स्टूडेंट्स अपने फॉर्म का स्टेट्स जानने ऑफिस आए और मीडियाकर्मी भी मौजूद थे। एग्जाम सुप्रींटेंडेंट ने सुविधा शुल्क वसूलने वाले इंप्लॉई को रंगे हाथ पकड़ा और फटकार लगाई। यही नहीं आगे की कार्रवाई के लिए प्रिंसिपल को फॉरवर्ड कर दिया।
कराना था correction
बीसीबी में हजारों की संख्या में प्राइवेट स्टूडेंट्स एग्जाम फॉर्म जमा कराते हैं। हड़बड़ी में कई मिस्टेक्स कर देते हैं। कोई सब्जेक्ट मेंशन करना भूल जाता है तो कोई गलत सब्जेक्ट मेंशन कर देता है। फॉर्म यूनिवर्सिटी में जमा कराने से पहले इनका करेक्शन कराया जाता है।
ये काम तो पहले ही होना चाहिए
नियम तो यही है कि जिस वक्त स्टूडेंट्स फॉर्म जमा कराते हैं, उसी समय उनके फॉर्म की मिस्टेक्स देखकर तुरंत उन्हें सही किया जाए। उसके बाद ही स्टूडेंट्स से फॉर्म एक्सेप्ट किए जाएं। स्टूडेंट्स ने बताया कि अक्सर कर्मचारी फॉर्म एक्सेप्ट कर लेते हैं और बाद में स्टूडेंट्स को बुलाकर करेक्शन कराते हैं, जिसके एवज में सुविधा शुल्क लेते हैं।
फोन करके student को बुलाया
एमकॉम सेकेंड ईयर की प्राइवेट स्टूडेंट अमिता यादव थर्सडे को एग्जाम सुप्रींटेंडेंट अंजुम आदिल के पास फॉर्म की स्थिति जानने आईं। उसने बताया कि एक कर्मचारी ने उसे फोन कर मिलने के लिए बुलाया और बताया कि उसने फॉर्म में गलत सब्जेक्ट्स मेंशन किए हैं।
हर काम के लिए पड़ता है दाम
बरेली कॉलेज हो या फिर रुहेलखंड यूनिवर्सिटी, यहां स्टूडेंट्स की हर प्रॉब्लम की बोली लगती है। जितना जल्दी काम करवाना है, उतना ही ज्यादा रेट। जो स्टूडेंट अपने काम का दाम नहीं दे पाता, वह विभागों के चक्कर लगाता रह जाता है। एटलास्ट सरेंडर कर ही देता है। विभागों में घूसखोरी का ऐसा मकडज़ाल बिछा हुआ है कि स्टूडेंट उसमें फंस ही जाता है। बिना सुविधा शुल्क दिए इस कॉकस से निकल ही नहीं पाता। यहां हर काम के रेट फिक्स हैं। अब तो ये हालत हो गई है कि स्टूडेंट्स इसके हैबिचुअल हो गए हैं और घूसखोरी यानी कि सुविधा शुल्क प्रैक्टिस में आ चुका है।
तो बस लगाते रहो दौड़
दोनों ही कैंपस में स्टूडेंट्स पढ़ाई से ज्यादा अपनी प्रॉब्लम्स को सॉल्व करने के लिए चक्कर काटते हैं। स्टूडेंट्स ने बताया कि फॉर्म जमा करना हो, उनमें करेक्शन कराना हो, मार्कशीट, माइग्रेशन व डिग्री लेना, मार्कशीट पर छूटे हुए नम्बर चढ़ाना समेत तमाम छोटी से बड़ी प्रॉब्लम्स के लिए टहलना पड़ता है। एक कर्मचारी से दूसरे के पास दौड़ते ही रह जाते हैं।
Fix हैं rate
प्रॉब्लम को इजिली सॉल्व करना है तो इंप्लॉईज को सुविधा शुल्क चुकाना पड़ता है। यहां पर हर काम के दाम फिक्स हैं। स्टूडेंट्स ने बताया कि फॉर्म या किसी और डॉक्यूमेंट में करेक्शन कराना हो या फिर कोई डॉक्यूमेंट हासिल ही करना हो तो 200 से 500 रुपए तक देने होते हैं। काम जितना मुश्किल होगा सुविधा शुल्क भी उतना ही बढ़ता जाएगा।
जानबूझकर गलती छोड़ते हैं employees
स्टूडेंट्स की मानें तो कर्मचारी कुछ गड़बडिय़ां जानबूझकर करते हैं। ताकि सुविधा शुल्क वसूल सकें। स्टूडेंट्स ने बताया कि एडमिट कार्ड पर सब्जेक्ट मेंशन न करना, प्रैक्टिकल और सब्जेक्ट में अब्सेंट शो कर देना या फिर नम्बर ही गायब कर देना, कोई मार्किंग लगाकर मार्कशीट रोक देना, ऐसी तमाम प्रॉब्लम्स ये लोग जानबूझकर खड़ी करते हैं। जाहिर सी बात है कि ये सब करेक्शन कॉलेज के ऑफिस में ही होंगे। तो इन इंप्लॉईज के सामने सरेंडर करना स्टूडेंट्स की मजबूरी है।
हर subject का दाम 200
अमिता ने अंजुम को बताया कि कर्मचारी ने फॉर्म में करेक्शन के लिए पैसे मांगे। हर सब्जेक्ट के बदले 200 रुपए चार्ज किए। इस पर अंजुम ने अमिता से उस कर्मचारी का मोबाइल नम्बर मांगा। वह नंबर उनके ही विभाग के कर्मचारी का निकला। वह नंबर डायल कर ही रहे थे कि एमकॉम सेकेंड ईयर के दो और स्टूडेंट्स शिवम और संकेत भी अपने फॉर्म का स्टेटस जानने आ गए। उन दोनों ने भी अंजुम को बताया कि फॉर्म में 3 सब्जेक्ट्स लिखने छूट गए थे। हर सब्जेक्ट मेंशन करने के लिए राजीव ने उनसे 200 रुपए वसूले।
तुरंत वापस कराए पैसे
स्टूडेंट्स ने उनके सामने उस कर्मचारी को पहचान लिया। अंजुम आदिल ने उसे बुलाकर स्टूडेंट्स के समक्ष जमकर फटकार लगाई। अंजुम ने उन स्टूडेंट्स के रुपए वापस दिलवाए। उन्होंने कर्मचारी से पूछा कि उसे कितनी सैलरी मिलती है तो उसने बताया कि वह संविदा पर है और 5,500 रुपए मानदेय पाता है।
मेरे संज्ञान में यह प्रकरण आया है। मैं कर्मचारी को कारण बताओ नोटिस भेजूंगा। साथ ही इस प्रकरण पर विभाग से भी रिपोर्ट तलब की है। उसी के अुनसार कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
-डॉ। आरपी सिंह,
प्रिंसिपल, बीसीबी
जब ऐसा प्रकरण संज्ञान में आया तो मैंने उनके सामने कर्मचारी को बुलाकर फटकार लगाई। साथ ही फरदर कार्रवाई के लिए प्रिंसिपल को रिपोर्ट कर दी है। नोटिस भेजकर कार्रवाई की जाएगी।
-अंजुम आदिल,
एग्जाम सुप्रींंटेंडेंट, बीसीबी
उस कर्मचारी के खिलाफ कॉलेज को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। कॉलेज में निचले स्तर पर करप्शन काफी बढ़ गया है। ऐसी वसूली रोकने के लिए हमने कई बार कॉलेज से सिंगल विंडो सिस्टम लागू करने की मांग की।
-जवाहर लाल,
प्रेसीडेंट, बीसीबी स्टूडेंट्स यूनियन
कर्मचारियों द्वारा वसूली स्टूडेंट्स का आर्थिक शोषण है। यह बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मैं कॉलेज से मांग करता हूं कि वह इस प्रकरण की सही रूप में जांच कराएं और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें, जिससे दूसरों के लिए नजीर बन सकें।
-हृदेश यादव, जनरल सेक्रेट्री, बीसीबी स्टूडेंट्स यूनियन
गलती दोनों तरफ से है। व्यवस्था तो बिगड़ ही चुकी है, लेकिन स्टूडेंट्स को भी सोचना चाहिए। वे झट से रुपए लेकर काम कराने पहुंच जाते हैं। यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन को चाहिए कि वह ऐसी व्यवस्था लागू करे, जिससे स्टूडेंट्स का शोषण बंद हो।
-अरविंद पटेल,
प्रेसीडेंट, आरयू