बरेली (ब्यूरो)। शारदीय नवरात्रि पर्व आज से शुरू हो रहा है। पर्व की शुरुआत सूर्योदयकालीन अश्विनी शुक्ल प्रतिपदा को घट स्थापना से होगी। संडे को प्रतिपदा सूर्योदय व्यापिनी होकर पूरे दिन रहेगी। इस दिन चित्रा नक्षत्र शाम 6:13 बजे तक रहेगा। इस दिन वैधृति योग सुबह 10:24 बजे तक रहेगा। बालाजी ज्योतिष संस्थान के पं। राजीव शर्मा का कहना है इस योग में घट स्थापना शुभ नहीं रहेगा। उन्होंने बताया कि नवरात्रि में राशि के अनुसार मां दुर्गा की पूजा करना कई गुना फलदायी होता है। 23 अक्टूबर को नवमी और 24 को दशहरा मनेगा। इस पर्व का उल्लास घरों से लेकर मंदिरों तक में देखते ही बनेगा।
कलश स्थापना
सर्वप्रथम एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर, चौकी के समक्ष कलश स्थापना के लिए मिट्टी की वेदी बनाएं। इसमें भीगे हुये जौं के दाने बिखेर दें, वेदी के बीच में कलश स्थापना से पूर्व एक अष्टदल कमल बनाएं। कलश के अंदर तीर्थ जल भर दें। उसके ऊपर पंच पल्लव लगाकर उस पर किसी मिट्टी के पात्र में चावल भरकर रख दें। कलश के कंठ में में कलावा बांधे इसके बाद सूखे नारियल को लाल कपड़े में लपेट कर कलश के ऊपर रखें दें। नारियल को सीधा खड़ा करके रखना चाहिए।
22 को महाअष्टमी
22 अक्टूबर को सूर्योदय कालीन आश्विन शुक्ल अष्टमी को श्रीदुर्गाष्टमी मनाई जाएगी। इस दिन दुर्गाष्टमी का व्रत भी होगा। यह अष्टमी सूर्योदय बाद कम से कम एक घटी व्यापिनी तथा नवमी तिथि से युक्त होना चाहिए। अन्नपूर्णा परिक्रमा का समापन दिन में 3:59 बजे तक होगा। 23 अक्टूबर को आश्विन शुक्ल नवमी के दिन महानवमी होगी। इस दिन महानवमी व्रत के साथ हवन भी करें।
ये हैं शुभ योग
15 अक्टूबर -पदम योग
16 अक्टूबर -छत्र योग
17 अक्टूबर -श्रीवत्स योग
18 अक्टूबर -आयुष्मान योग
19 अक्टूबर -सौभाग्य योग
20 अक्टूबर -सुरिधर योग
21 अक्टूबर -मातंग योग
22 अक्टूबर - अमृत योग
23 अक्टूबर -सिद्धि योग
राशि अनुसार मां की उपासना
मेष: मेष राशि के जातक नवदुर्गा क्रम में शैलपुत्री की उपासना करें एवं प्रत्येक माह की नवमीं तिथि का व्रत करें।
वृष: यह जातक नवदुर्गा क्रम में ब्रह्मचारिणी की उपासना करें तथा प्रत्येक माह की नवमीं तिथि का व्रत करें।
मिथुन: यह जातक नवदुर्गा क्रम में चन्द्रघंटा की उपासना करें तथा प्रत्येक माह की अष्टमी तिथि का व्रत करें।
कर्क: इस राशि के जातक नवदुर्गा क्रम में सिद्धिदात्री की उपासना करें एवं प्रत्येक माह की नवमीं तिथि को व्रत करें।
सिंह: यह जातक नवदुर्गा क्रम में कालरात्रि की उपासना के साथ प्रत्येक माह की अष्टमी तिथि का व्रत करें।
कन्या: यह जातक नवदुर्गा क्रम में चन्द्रघंटा की उपासना के साथ प्रत्येक माह की नवमीं तिथि का व्रत करें
तुला: यह जातक नवदुर्गा क्रम में ब्रह्मचारिणी की उपासना के साथ प्रत्येक माह की अष्टमी तिथि का व्रत करें।
वृश्चिक: यह जातक नवदुर्गा क्रम में शैलपुत्री की उपासना के साथ प्रत्येक माह की अष्टमी तिथि का व्रत करें।
धनु: यह जातक नवदुर्गा क्रम में सिद्धदात्री की उपासना के साथ प्रत्येक माह की अष्टमी तिथि का व्रत करें।
मकर: यह जातक सिद्धदात्री की उपासना के साथ काली की उपासना करना भी अति लाभदायक रहेगा। यह जातक प्रत्येक माह की अष्टमी तिथि का व्रत करें।
कुम्भ: यह जातक नवदुर्गा क्रम में सिद्धदात्री एवं काली की उपासना करें एवं नवमीं तिथि का व्रत करें।
मीन: यह जातक नवदुर्गा क्रम में सिद्धदात्री की उपासना के साथ प्रत्येक माह की नवमी तिथि का व्रत करें।