(बरेली ब्यूरो)। टीबी एक संक्रामक बीमारी है। आमतौर पर यह ऑफिस,दोस्तों या फिर परिवार के लोगों के माध्यम से होती है। लेकिन इसके लिए समय पर उचित इलाज कराने से यह रोग ठीक हो सकता हैै। हर साल 24 मार्च को टीबी को लेकर अवेयरनेस फैलाने के उद्देश्य से विश्व टीबी दिवस मनाया जाता है। टीबी दिवस पर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने ग्राउंड रिपोर्ट तैयार की है।
जिले में बीते वर्ष मिले थे 16 हजार के करीब मरीज
शहर में वर्ष 2021 में 16003 क्षय रोगियों का पंजीकरण किया गया था। विभागीय आंकड़ों की माने तो करीब 85 प्रतिशत मरीज अब स्वस्थ हो चुके हैं, जबकि बाकी रोगियों का इलाज चल रहा है। वहीं अगर चालू वर्ष की बात की जाए तो अब तक करीब 2700 मरीजों में टीबी की पहचान हो चुकी है। इनमें से एक हजार मरीजों को विश्व क्षय रोग दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में गोद लिया जाएगा। 1882 में राबर्ट कॉक ने खोजा टीबी का बैक्टीरिया
अस्पताल में नहीं डॉक्टर
जिला अस्पताल में फेफड़ों की टीबी का इलाज करने वाला डाक्टर नहीं है। ऐसे में रोजाना सैकड़ों लोग टीबी की समस्या लेकर आते हैैं। लेकिन डॉक्टर न होने के कारण पेशेंट को उचित इलाज नहीं मिल पाता है।
वर्जन
मेरे पिता को 2003 में टीबी की बीमारी हुई थी, जिससे उनकी मौत हो गई थी। मुझे 2019 में टीबी की बीमारी हुई थी। मैनें अपने नजदीकी ब्लॉक से इलाज कराया था। तीन महीने मे ही मेरी बीमारी ठीक हो गई थी। अब मैैं लोगों को टीबी के इलाज के प्रति जागरूक करता हूं।
-अमित, फतेहगंज
बारिश में भीगने के बाद कई दिनों तक बीमार रहा, लगा नॉर्मल कोल्ड है। लेकिन कुछ समय बाद खांसी में ब्लड आने लगा था। एक्सरे से पता चला कि टीबी की बीमारी हुई है। डॉक्टर ने कहा कि अभी स्टार्टिंग है। जिला अस्पताल से इलाज कराया उसके बाद मैैं ठीक हो गया।
-शिवेंद्र, चौपुला बगिया
अगर दो हफ्तों से ज्यादा खांसी है तो जांच कराएं, बीमारी की पुष्टि होती है तो पूरा इलाज कराएं। अपने परिवार को भी सुरक्षित रखें ताकि वो भी संक्रमित न हो जाएं। पौष्टिक आहार लें और अपनी इम्यूनिटी बढ़ाएं। टीबी को लेकर लोगों को अवेयर भी किया जा रहा है।
-केके मिश्रा। जिला क्षय रोग अधिकारी