BAREILLY:

'पीके खड़ा बाजार में' मुहिम में आईनेक्स्ट ने क ई पहलुओं पर पीके की नजर से देखा तो पता चला कि आम जनता किस्मत का ताला खोलने के नाम पर लोग किस प्रकार ठगे जा रहे हैं। इसमें आम से लेकर खास वर्ग के लोग भी हैं, कोई रत्‍‌नों से किस्मत चमकाने में लगे हुआ है तो कोई सड़क पर शनिदेव का दान करके कष्ट दूर करने की कोशिश में लगा हुआ है। सिर्फ आई नेक्स्ट ही नहीं आप भी इन पहलुओं पर गौर फरमाएं। अपने आप से सवाल करें कि क्या रत्‍‌न धारण करने या फिर भीखमंगों को कुछ रुपए दान करने से किस्मत चमकेगी।

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रत्‍‌नों का इंसान की जिंदगी में अहम योगदान है। यह इंसान की किस्मत का वह दरवाजा हैं, जहां से होकर सुख, पैसा, कामयाबी और खुशियों का रास्ता खुलता है। रत्‍‌नों की अहमियत इतनी हैं कि इसे धारण करने भर से ब्0 फीसदी मुश्किलें तुरंत खत्म हो जाती हैं। यह उन लुभावनी बातों की चंद लाइनें भर हैं जो यह भरोसा लोगों में भर रही हैं कि किसी खास राशि के लिए बना विशेष रत्‍‌न न पहनने से एक इंसान चाहे वह आम हो या खास कितना अधूरा और नासमझ है। एसी ऑफिस से लेकर सड़क किनारे आसन जमाए तमाम ज्योतिषी, साधू और फकीर रत्‍‌नों की जरूरत का ऐसा माया जाल लोगों पर फेंके हुए हैं कि जिसमें फंसकर इंसान अपनी सभी परेशानियों को हल करने के लिए इन्हें हर शर्त और कीमत पर खरीदने को मजबूर है। सूर्य-शनि की टेढ़ी नजरें हो या ग्रहों में राहु-केतु की घुसपैठ। जीवन में नुकसान के इस डर ने शहर में हर महीने करोड़ों रुपए के रत्‍‌नों का चोखा धंधा फल फूल रहा है। यही वजह है कि, हीरा, पन्ना, मूंगा, पोखराज, नीलम, मोती, माणिक, गोमेद जैसे रत्‍‌नों की मांग दिनों दिन बढ़ती जा रही है। असली उपाय के इस धंधे के नाम पर नकली रत्‍‌नों को बेचने का बिजनेस भी परवान चढ़ गया। मुसीबत में फंसा हालात का मारा इंसान जल्द राहत के लिए असली और नकली में फर्क नहीं कर पाता। बाजार भी क्00 से लेकर ख्0 हजार रुपए रत्ती रत्‍‌नों से भरे पड़े हैं, और उससे भी ज्यादा इनमें विश्वास करने वालों की भीड़ से।

पीके के सवाल

क्या वाकई रत्‍‌न और उपरत्‍‌न इंसान की मुश्किलें खत्म कर तकदीर बदल देते हैं। यदि ऐसा है तो, फिर गीता उपदेश में श्री कृष्ण ने कर्म की महत्ता पर क्यों बल दिया है। अगर रत्‍‌न इंसान के जीवन में आने वाली समस्याओं और बीमारियों को हर लेता तो, कोई भी बीमारियों से नहीं मरता। न ही लोग महंगे इलाज के लिए अपनी जमीन और घर गिरवी रखने को मजबूर होते।