- सरकार स्कीम तैयार कर रखे जनता के सामने

- सब्सिडी के पैसे से पूरी हो मूलभूत जरूरतें

BAREILLY:

गैस सब्सिडी छोड़ने के पीएम के आह्वान पर देश में बहस छिड़ गई है। शहर के प्रबुद्ध जन और एलीट क्लास के बीच भी यह बहस आम है कि गैस सब्सिडी छोड़ देनी चाहिए कि नहीं। तर्क अपने-अपने हैं। क्या वाकई में सब्सिडी का रुपया देश के विकास में खर्च होगा फिर पिछली सरकारों के कड़वे अनुभवों को देखते हुए भ्रष्टाचार में लील हो जाएगा। खैर यह सारी बातें तो भविष्य के गर्भ में छिपा है। फिलहाल शहर के प्रबुद्ध और एलीट क्लास का भी यही मत है कि हमें देश के विकास के साथ कदमताल करते हुए इसमें भागीदार बनना चाहिए। यही नहीं उन्होंने आई नेक्स्ट के जरिए बेबाकी से शहर के बाशिदों से इस योजना का गवाह बनने के लिए आह्वान किया है।

सोच होनी चाहिए सही

सरकार भले ही लाख दावे कर ले, लेकिन जब व्यवस्थाओं को धरातल पर लाने की बात आती है तो, मामला काफूर हो जाता है। शहरवासियों का मानना है कि, यदि सरकार का इंटेंशन ईमानदारी की है तो, देश का विकास संभव है। लेकिन, बड़ी-बड़ी बातें करनी वाली सरकार कई बार अपनी राह से भटक जाती है। जनता का पैसा विकास की राह में इस्तेमाल होने के बजाय नेताओं की जेब में चला जाता है। खैर यह तो भविष्य ही बताएगा। लेकिन इस पहल के पीछे सोच सही है तो सब्सिडी छोड़ने में कैसी बुराई है।

तो सरकार खुद ले एक्शन

यही नहीं इनकम टैक्स पेयी को सब्सिडी से बाहर रखने के पक्ष में शहर का प्रबुद्ध वर्ग है। यदि, टैक्स पेयी स्वेच्छा से सामने नहीं आते है तो, सरकार को इस संबंध में खुद एक्शन लेना चाहिए। गैस सब्सिडी छोड़ने से हर साल अरबों रुपए की बचत होगी। इस धन से देश की नई दिशा तय होगी। छोटी-मोटी जरूरतों के लिए पड़ोसी मुल्कों पर डिपेंडेंसी नहीं रहेगी। देश के आधारभूत ढांचे को को मजबूत करने के लिए इन्हीं रुपयों का इस्तेमाल होगा।

पारदर्शी बनाया जाए

हलांकि शहर के प्रबुद्धजन इसे और पारदर्शी बनाने की भी वकालत कर रहे हैं। सरकार किस मद में उन रुपयों को खर्च करेगी यह एक सोचने वाली बात है। सरकार को इस संबंध में एक स्कीम बनाने की जरूरत है। स्कीम तैयार कर जनता के सामने रखे। ताकि, जनता को यह पता चल सके कि, उनके रुपयों का उचित जगह इस्तेमाल होगा। इससे सब्सिडी छोड़ने के लिए लोग मोटिवेट होंगे।

जितने भी सक्षम लोग है उन्हें सब्सिडी स्वेच्छा से छोड़ देनी चाहिए। व्यक्ति की मूलभूत जरूरतें सड़क, पानी और बिजली है। यदि यह तीनों चीजें व्यक्ति को मिल जाए तो, बाकी जरूरतों को वह स्वयं पूरा कर सकता है। मेरे यहां पीएनजी कनेक्शन है। गैस कनेक्शन होने पर मैं सब्सिडी जरूरत छोड़ता।

-डॉ। आईएस तोमर, मेयर

सरकार की यह एक अच्छी पहल है। देश में जितने भी टैक्स पेयी हैं उन सभी को इस कैटेगरी में लाने की जरूरत है। सरकार को भी चाहिए की वह जनता ही मूलभूत जरूरतों को समझते हुए सब्सिडी के पैसों का इस्तेमाल करे। कुछ दिन पहले मैं दिल्ली गया तो, वहां से मुझे ख्भ् किलोमीटर और सफर करना था। रोड खराब होने के चलते सफर ढाई घंटे में पूरा हुआ।

-रवि खन्ना, प्रेसीडेंट, आईएमए

जनता का पैसा कहां खर्च होगा यह देश की जनता हो पता होना चाहिए। सब्सिडी छोड़ देने भर से ही हमारे काम पूरे नहीं हो जाते है। इन डायरेक्टली गैस एजेंसियों को लाभ पहुंचाने का काम किया जा रहा है। पूरे देश से इकट्ठे होने वाले इन पैसों का क्या होगा सरकार को इसका खाका तैयार कर जनता के सामने रखना चाहिए।

विनोद कुमार श्रीवास्तव, प्रेसीडेंट, बार एसोसिएशन

सब्सिडी के पैसे को विकास की तरफ डायवर्ट करना अच्छी बात है। लेकिन, इन पैसा का बंदरबांट होता है तो इसका हश्र सभी लोग जानते है। एजूकेशन और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकार को अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है। सब्सिडी के पैसे से एक मॉनीटरिंग सेंटर बनाने की जरूरत है। ताकि, जगह-जगह खुल रहे प्राइवेट एजुकेशन सेंटर, स्वास्थ्य सेंटर पर कड़ी नजर रखी जा सके ।

-पूर्णिमा अनिल, एसोसिएट प्रोफेसर, बीसीबी