आई नेक्स्ट की टीम ने जब शहर के विभिन्न इलाकों का दौरा किया तो हमें घरेलू रसोई गैस का कॉमर्शियल इस्तेमाल होता मिला। मिले वो सबूत जिन्हें हम आपके सामने पेश करेंगे।
Scene1
टाइम : दोपहर 11 बजे
प्लेस : डाकखाना चौराहा
Scene: सिविंल लाइंस में डाकखाना चौराहा पर खाने पीने के लिए दो दुकानें आसपास हैं। यहां ब्रेड पकोड़ा, समोसा खस्ता अवेलेबल रहता है। दुकान पर रखे चूल्हे का कनेक्शन डोमेस्टिक गैस सिलेंडर से था। कस्टमर्स की डिमांड पर फौरन गरमागरम खाने की थाली पेश कर दी जाती है। कीमत सिर्फ 20-30 रुपए। ये हालत तब है जब दुकान से चंद कदम दूर ही डिस्ट्रिक्ट सप्लाई ऑफिसर का ऑफिस है। इतना ही नहीं कचहरी और डीआईजी ऑफिस से चंद कदम की दूरी पर धड़ल्ले से डोमेस्टिक सिलेंडर का कॉमर्शियल यूज किया जा रहा है।
Scene2
टाइम : 12.50 बजे
प्लेस : गुलाब नगर
Scene: गुलाब नगर की तंग गलियों में एक दुकान ऐसी भी मिली, जहां शायद सुबह से लेकर शाम तक खस्ता के लिए लंबी लाइन लगी रहती है। मगर, यहां भी वही हालत। दुकान में एक नहीं बल्कि तीन-तीन सिलेंडर रखे नजर आए। अब खस्ते इतना बिकते हैं तो जाहिर है कि सिलेंडर तो दो या उससे ज्यादा ही होंगे। शॉप पर बैठी महिला बोली कि भइया कॉमर्शियल के रेट इतने ज्यादा हैं कि उसे खरीदने का मतलब है कम मुनाफा। अब ऐसी सूरत में डोमेस्टिक का ही सहारा बचा है। ब्लैक में दो घरेलू सिलेंडर की कीमत 600-७00 रुपए है।
Scene 3
टाइम : 2.45 बजे
प्लेस : कुतुबखाना
Scene: इलाके की ये दुकान काफी फेमस है। खासकर अपने कंफेक्शनरी आइटम के लिए। दिन में माल खरीदने की जबरदस्त मारामारी। दोपहर को आई नेक्स्ट टीम के पहुंचने पर भी कस्टमर्स की लाइन लगी हुई थी। दुकानदार की मानें तो डिलीवरी मैन सेट है। हर दिन अपने आप ही सिलेंडर की डिलीवरी मिल जाती है। पैसे कितने देने पड़ते हैं? जवाब मिला- टाइम-टाइम की बात है बाबूजी। वैसे तो 700-800 में ही काम चल जाता है। अब होली है इसलिए डिलीवरी मैन सिलेंडर के पूरे 1,000 रुपए लेता है। ऐसे में अब हम क्या करें।
Scene 4
टाइम : दोपहर 1.35 बजे
प्लेस : राजेन्द्र नगर कॉलोनी
Scene: मौके पर एक कार की गैस किट घरेलू गैस सिलेंडर से रिफिल की जा रही थी। कार में फिट 36 लीटर की गैस किट एक छोटी सी मोटर के जरिए महज 25 मिनट में भर दी गई। कीमत अदा करनी पड़ी सिर्फ ९00 रुपए। पूछने पर दुकानदार ने बताया कि एक रसोई गैस ६00 रुपए (असली कीमत-399 रुपए) में मिल जाती है। एक किट भरने में 100 रुपए मुनाफा होता है। गैस कहां से मिलती है? जवाब में दुकानदार ने कहा- एजेंसी वाले दो सौ रुपए ज्यादा में दे देते हैं। एलपीजी पम्प में गैस 46.23 रुपए प्रति लीटर बिकती है। 36 लीटर किट में 28 लीटर जबकि 60 लीटर वाली किट में 48 लीटर गैस आराम से फिल हो जाती है। इस हिसाब से 36 लीटर किट रिफिलिंग में 1,294 रुपए जबकि 60 लीटर किट रिफिलिंग में 2,219 रुपए अदा करने पड़ते हैं। ये लोगों को मंहगी पड़ती है और एवरेज भी कम ही निकलता है।
सवा लाख घरों में नहीं पहुंच रही गैस
अगर आपका सिलेंडर भी कई दिनों से बुक है, लेकिन अब तक गैस की होम डिलीवरी नहीं हो पाई है। तो आपकी ये प्रॉब्लम होली के बाद भी यूं ही बरकरार रहने की उम्मीद है। क्योंकि सिटी में गैस गोदाम कॉमर्शियल सिलेंडर्स से भरे हुए है। जानकारों की माने तो सिटी में कंजंप्शन उम्मीद से कम चल रहा है, जबकि यह ऐन त्योहार का मौका है. आपको जानकर हैरानी होगी कि अपने शहर में एक महीने में डिमांड की तुलना में महज सात परसेंट कॉमर्शियल सिलेंडर की खपत ही हो रही है।
रोज करीब 5 सिलेंडर की खपत
सिटी में 55 रजिस्टर्ड होटल-रेस्टोरेंट्स और लगभग 1,800 छोटी-बड़ी मिठाई और नमकीन की दुकानें हैं। होटल और रेस्टोरेंट्स में जहां प्रति दिन औसतन 5 सिलेंडर की खपत होती है। वहीं 1,800 दुकानों में एक दिन में एक सिलेंडर की जरूरत होती है। इस तरह एक दिन में 2,075 और एक महीने में 62,250 कॉमर्शियल सिलेंडर की खपत होनी चाहिए।
घरेलू गैस का हो रहा उपयोग
आपको ये जानकर हैरानी होगी कि एक महीने में कॉमर्शियल सिलेंडर की जितनी खपत होनी चाहिए, उसके मुकाबले खपत सिर्फ 4,124 की ही है। मतलब, टोटल जरूरी कंजंप्शन का लगभग सात परसेंट। सप्लाई विभाग के अनुसार बरेली में आईओसी, बीपीसी और एचपीसी के 1,395 कॉमर्शियल कनेक्शन हैं। इस लिहाज से एक महीने में मौजूदा कनेक्शन का लगभग दो गुना उठान ही होता है। जाहिर है जब 62,250 सिलेंडर में 4,124 ही सिलेंडर एक महीने में एजेंसियों से बिक रहे हैं तो बाकी के 58,126 कॉमर्शियल सिलेंडर की जगह आपकी घरेलू गैस खपाई जा रही है।
डोमेस्टिक सप्लाई 75 परसेंट
शायद ही कोई ऐसा महीना होगा, जब बरेली में डोमेस्टिक गैस की डिमांड-सप्लाई सौ फीसदी रही हो। फिलहाल, ये आंकड़ा सिर्फ परसेंट ही है। डाटा के अनुसार बरेली में लगभग 3,50,000 डोमेस्टिक गैस कनेक्शन हैं, जिनके अगेंस्ट जनवरी में डिमांड 5,05,000 गैस की आई है। गैस डिस्ट्रीब्यूशन एसोसिएशन के प्रेसिडेंट रंजना सोलंकी की मानें तो इस बार होली पर सिर्फ दो तिहाई कंज्यूमर तक गैस पहुंच सकेगी। वही एक तिहाई कंज्यूमर्स को बिना गैस के ही गुजारा करना पड़ा। या फिर दूसरे तरीकों से चूल्हे की आग सुलगाए रखी।
ब्लैक मार्केट
होली पर एलपीजी की ब्लैक मार्केटिंग का धंधा जोरों पर हैं। 399 रुपए की रसोई गैस ब्लैक में 800-1,000 रुपए में बिक रही है। कॉमर्शियल सिलेंडर की कीमत 1,605 रुपए है।
ब्लैक मार्केट से खरीदोगे तो लुट जाओगे
बरेलियंस के साथ एलपीजी के नाम पर एक नहीं कई खेल खेले जा रहे हैं। बुकिंग के बाद भी लोगों को सिलेंडर नहीं मिल रहा है। अगर ब्लैक में गैस मिल भी जाती है तो वह पूरी क्वांटिटी में नहीं होती है। आई नेक्स्ट टीम ने फ्राइडे को सिटी के कई एरियाज का जायजा लिया तो हकीकत चौका देने वाली मिली। इस हकीकत को बताने के पीछे हमारा मकसद सिर्फ आपको अलर्ट करना है। क्योंकि आपके साथ धोखा हो रहा है।
क्या है धोखा
एक घरेलू एलपीजी के सिलेंडर में करीब 14.2 किलोग्राम गैस के लिए आपसे करीब 400
रुपए लिए जाते हैं। पर सच्चाई ये है कि ब्लैक मार्केट में ज्यादातर कस्टमर्स को 400 रुपए में सिर्फ 4 किलोग्राम गैस ही मिलती है। ये जानकर आप हैरान हो रहे होंगे लेकिन सच्चाई यही है।
मणिनाथ रेलवे क्रॉसिंग के पास होता है 'खेल'
मणिनाथ रेलवे क्रॉसिंग पास खुलेआम गैस में घटतौली का खेल खेला जा रहा है। होली के पास आते ही ये खेल अपने पूरे शबाब पर होता है। फ्राइडे को दोपहर करीब 2 बजे आई नेक्स्ट टीम ने वहां पहुंचकर देखा कि तीन ठेले खड़े हैं। एक ठेले में करीब 8 सिलेंडर भरे हुए रखे थे और बाकी दो ठेलों में रखे सिलेंडर खाली थे। इन ठेलों को वहां लाने वाले तीन लोगों ने करीब 15 मिनट तक आपस में बात करने के बाद एक पाइप निकाला। इसमें एक घड़ी जैसी चीज लगी थी। घड़ी वाले पाइप से एक सिलेंडर को दूसरे सिलेंडर से जोड़ दिया गया और गैस ट्रांसफर करने का खेल शुरू हो गया। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि 14.2 किलोग्राम के एक सिलेंडर से तीन सिलेंडरों में गैस भरी गई। इतना ही नहीं, इसके बाद एक कंपनी की सील को इन सिलेंडरों पर लगाया गया, जिससे कस्टमर को शक न हो कि इन सिलेंडरों में कोई खेल किया गया है। करीब एक घंटे में 8 भरे सिलेंडरों से 24 भरे हुए सिलेंडर तैयार हो गए। खाली सिलेंडरों को भरने के बाद ये आपके घरों तक पहुंच जाता है।
पैसे का खेल तो समझिए
करीब 400 रुपए के एक सिलेंडर से तीन भरे हुए सिलेंडरों को बड़ी आसानी से तैयार कर आप तक पहुंचा दिया जाता है। इतना ही नहीं ये आधा से कम भरा हुआ सिलेंडर ब्लैक में करीब 650 रुपए का मिलता है। यानि एक सिलेंडर से करीब 1550 रुपए का खेल हो
जाता है। इसका मतलब हुआ कि हर तरफ से पब्लिक को झटका लगाया जा रहा है। एक तो सिलेंडर में गैस कम। ऊपर से जितनी है उसके दाम बहुत ज्यादा।
फेस्टिवल में बढ़ जाती है मांग
मणिनाथ के पास सिलेंडर के इस खेल में शामिल एक शख्स ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि त्योहारों के टाइम पर गैस की क्राइसिस इतनी बढ़ जाती है कि बिना घटतौली किए काम ही नहीं चलता है। ब्लैक में भी सिलेंडरों की मांग इतनी बढ़ जाती है कि इसको पूरा करने के लिए एक भरे सिलेंडर से तीन भरे सिलेंडर तैयार किए जाते हैं। उसका कहना है कि कई गैस एजेंसी वाले ये काम खुद करवाते हैं। तभी तो किसी एजेंसी का सिलेंडर एक महीने चलता है और किसी का 15 दिन।
इन सवालों का जवाब कौन देगा
- जब खुलेआम गैस अवैध रूप से मिल रही है तो ये अधिकारियों को क्यों नहीं दिख रहा है।
- पब्लिक को अगर कम गैस मिलती है तो गलती किसकी है। एजेंसी की या फिर जिस कंपनी का सिलेंडर है उसकी।
- अगर सिलेंडर लेते टाइम ये जानकारी हो जाए कि गैस कम है तो कस्टमर क्या करे।
- ऑफिसर्स सिर्फ छापा ही मारते हैं आगे की कार्रवाई क्यों नहीं करते।
- कई बार घटतौली के मामले पकड़े जाने के बाद भी ऑफिसर्स ने उन एजेंसियों को बंद क्यों नहीं करवाया।
जितनी मांग बढ़ी, उतनी सप्लाई घटी
होली से ठीक पहले पेट्रोलियम कंपनी इंडेन ने कंज्यूमर्स को तगड़ा झटका दिया है। फेस्टिवल पर जब सिलेंडर की मांग 25 परसेंट तक बढ़ी हुई है, तब इंडेन ने तकरीबन इसी रेशियो में सप्लाई घटा दी है। जानकार हालिया ट्रेड यूनियन हड़ताल को इसकी वजह बता रहे हैं। गैस डिस्ट्रीब्यूशन एसोसिएशन की प्रेसिडेंट रंजना सोलंकी के एकॉर्डिंग होली के बाद तक ऐसे ही हालात बने रहने की उम्मीद है। कंपनी की जो सप्लाई आ भी रही है वह कालाबाजारी की भेट चढ़ रही है। यही वजह है कि घरों में भले गैस न पहुंचे लेकिन बिना बुकिंग के 650 रुपए जरूर अवेलेबल है।
सिर्फ 25 परसेंट सप्लाई
डिमांड के कंपेरिजन में गैस सिलेंडर की सप्लाई कम हो रही है। जो हो रही है, वह भी व्यापारियों और सप्लायर की मिलीभगत के चलते जरूरतमंदों को नहीं मिल रही। वहीं फैक्ट्रियों और होटलों में प्रॉपर सिलेंडर पहुंच रहे हैं। रंजना सोलंकी ने बताया कि इंडेन को एलपीजी ही नहीं मिल पा रही है। इसलिए सप्लाई बाधित हो रही है। डिमांड की कम्पेरिजन में सिर्फ 25 परसेंट सप्लाई हो रही है।
फायदा उठा रहे सप्लायर
होली पर गैस की बुकिंग बढ़ गई है। लोग एजेंसियों के चक्कर काट रहे हैं। त्योहार पर गैस की प्रॉब्लम से लोग परेशान हैं। उनकी परेशानी का सीधा फायदा सप्लायर उठा रहे हैं। जो गैस सिलेंडर आम दिनों में 495 रुपए में अवेलेबल था, वहीं 600-650 रुपए में मिल पा रहा है। सप्लाई में सुधार नहीं हुआ तो लम्बे समय तक परेशानी बनी रहेगी।
होली के मद्देनजर सभी गैस एजेंसियों को निर्देश जारी किए गए हैं कि त्योहार से पहले एडवांस बुकिंग की पेंडेंसी को फौरन निपटाया जाए। इलेक्शन के कारण एडमिनिस्ट्रेशन छापेमारी अभियान नहीं चला सका है लेकिन जल्द ही ब्लैक मार्केटिंग पर शिकंजा कसा जाएगा.
- कन्हैया लाल'डिस्ट्रिक्ट सप्लाई ऑफिसर
होली पर पेट्रोलियम कंपनी इंडेन गैस की सप्लाई घट जाने से भी समस्या ने विकराल रूप धारण कर लिया है। बाकी कमी ब्लैक मार्केटिंग ने पूरी कर दी है। होली बाद ही व्यवस्था सुधरने की उम्मीद है.
- रंजना सोलंकी'प्रेसिडेंट, गैस डिस्ट्रीब्यूशन एसोसिएशन
Report by: Abhishek Mishra