20 साल से साथ हैं अमीर-राजीव

किला के फूटा दरवाजा में राजीव मेहरोत्रा का घर है। इस घर के ग्राउंड फ्लोर में बीस साल से अमीर अहमद का परिवार रहता है और फस्र्ट फ्लोर पर राजीव मेहरोत्रा का। यूं तो बीस साल से ये लोग एक परिवार की तरह रह रहे हैं। पर दो दिन पहले जब अमीर की पत्नी गुलेराना के पैर में फ्रैक्चर हो गया तो राजीव की वाइफ नीलू ही उनकी देखरेख कर रही हैं। वहीं राजीव के आंगन में तुलसी का चौरा बना हुआ है। इस तुलसी पर तो मोहल्ले के मुस्लिम लोग भी पूजा करने आते हैं।

शहर के कफ्र्यू का यहां कोई असर नहीं है। यहां एक तरफ अजान होती है तो दूसरी तरफ आरती भी। पता नहीं शहर को क्या हो गया है। यह शहर तो पहले ऐसा नहीं था।

- राजीव मेहरोत्रा

हमारे मोहल्ले में कफ्र्यू जैसे कोई हालात नहीं हैं। यहां के लोग पहले जैसे रहते थे। आज भी उसी तरह जी रहे हैं। शहर की तहजीब को संजोया है हमने।

- नीलू मेहरोत्रा

यहां तो कफ्र्यू का माहौल दिखता ही नहीं है। बच्चे वैसे ही खेलते हैं जैसे पहले खेलते थे। पता नहीं शहर को किसकी नजर लग गई। जल्दी लौट आए शहर का अमन।

- अमीर अहमद

साथ खेलते हैं सैफ-विपुल

साहूकारा में रहने वाले सुहेल शम्शी के घर के पास केवल तीन ही हिंदू परिवार रहते हैं। सभी परिवार मुस्लिम हैं। पर इसके बावजूद यहां सभी बच्चे एक साथ खेलते हैं, बुजुर्ग आपस में बात करके ही अपना टाइम पास करते हैं। दुकानें न खुलने पर मोहम्मद वसीम ने अपनी दुकान से विनय शर्मा और ज्योति स्वरूप के घर पर राशन भेजा है। यहां का माहौल देखकर तो लगता ही नहीं कि शहर में दंगे की वजह से कफ्र्यू लगा है।

हमारे मोहल्ला मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है। यहां केवल तीन ही हिंदू फै मिलीज हैं। पर हम सब भाई चारे के साथ रह रहे हैं।

- विनय शर्मा

हमारे मोहल्ले में तो सब बच्चे एक साथ खेलते हैं। हम दीवाली में साथ में दिए जलाते हैं, तो ईद में सेंवई खाने भी जाते हैं।

- ज्योति स्वरूप अग्रवाल

मोहल्ले में जिसे भी किसी चीज की जरूरत होती है, मैं अपनी दुकान से उसके घर तक पहुंचा रहा हूं। इसमें हिंदू-मुस्लिम का कोई भेद नहीं है।

- मोहम्मद वसीम