बरेली (ब्यूरो)। पर्यावरण संरक्षण को लेकर अब लोग जागरूक होने लगे है। गणेश उत्सव पर घरों में आमतौर पर पीओपी की प्रतिमाओं की स्थापना की जाती थी, लेकिन अब लोग मिट्टी की प्रतिमाएं स्थापित कर घरों में ही विसर्जन करने लगे हैं। इस बार भी घरों में मिट्टी के गणपति की स्थापना की जाएगी। इसके लिए विभिन्न सामाजिक, धार्मिक संगठनों की ओर से भी लोगों को अवेयर किया जा रहा है। गणेश उत्सव की शुरूआत अगले माह 19 सितंबर से होगी। इसके लिए शहर में जगह-जगह मूर्तिकारों ने पंडाल लगाकर प्रतिमाएं बनाना शुरू कर दिया है। पीलीभीत बाईपास रोड नीयर सेटेलाइट, कुदेशिया फ्लाईओवर के पास, सिविल लाइंस के पास, इज्जतनगर और मिनी बाईपास पर मूर्तिकारों ने प्रतिमाओं को आकार देना शुरू कर दिया है। पढि़ए अवनीशा पाण्डेय की रिपोर्ट
मिट्टी की प्रतिमाओं की डिमांड
गणेश उत्सव के के लिए मिट्टी से बनी प्रतिमाएं लोगों को उपलब्ध कराई जाएगी। इस बार 10 हजार प्रतिमाओं के आर्डर मूर्तिकारों के पास आ चुके हैं। इसके साथ ही ईको फ्रेंडली प्रतिमा बनाने पर जोर दिया जा रहा है। प्रतिमा बनाने का काम सभी मूर्तिकारों ने अभी से शुरू कर दिया है।
प्रतिमा में भरे गए बीज
गणेश प्रतिमा बनाने वाले मूर्तिकारों का कहना है कि अभी तक वे पीओपी की प्रतिमा को बनाते थे, लेकिन अब मिट्टी की प्रतिमाएं बनाते हैं। प्रतिमा को बनाते समय उसके अंदर जूट और पौधों के बीज भर देते हैं। इसका उद्देश्य है कि जहां पर गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन होगा वहां पर कुछ तो पौधे उगेंगे। इससे पर्यावरण को बढ़ावा मिलेगा। इससे लोगों को फल, फूल और छाया भी मिलेगी। प्रतिमा के अंदर, नीम, अमरूद, गेंदा, आम, धतूरा, तुलसी और कनेर आदि के बीज जूट के साथ प्रतिमा के अंदर भर देते हैं ।
पांच सौ से 15 हजार तक की प्रतिमा
कुदेशिया फ्लाईओवर के पास, प्रभा सिनेमा और पीलीभीत बाईपास रोड पर मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकारों का कहना है कि उनके पास पांच सौ रुपए से 15 हजार रुपए तक की प्रतिमा है। इन सभी प्रतिमाओं को बनाने के लिए वह एडवांस बुकिंग करते है। अगर कोई बुकिंग नहीं करता है तो वह उसके लिए तुरंत भी प्रतिमा बनी हुई रखी होती हैं तो दे देते है। बड़ी प्रतिमा को सिर्फ ऑर्डर मिलने पर ही बनाते हैं, लेकिन जो छोटी प्रतिमाएं है, उन्हें पहले से बना कर रखते है ताकि कस्टमर को जरूरत पडऩे पर दे सकें।
गणेश प्रतिमा को इको फ्रेंडली बनाने के लिए पीओपी की जगह मिट्टी से बना रहे हैं। प्रतिमा के अंदर जूट और पौधों के बीज भर रहे हैं। इससे लोग जहां पर प्रतिमा का विसर्जन करेंगे, वहां पर हरियाली आएगी।
किशन, मूर्तिकार
गणेश प्रतिमा को बनाने के लिए हम मिट्टी का यूज कर रहे हैं। इसके लिए कलर भी नेचुरल ही यूज कर रहे है। केमिकल कलर का यूज इसीलिए नहीं करते है। क्योंकि इससे जल जीवों के लिए नुकसान होता है।
साजन, मूर्तिकार
हम प्रतिमाओं को देख कर खरीदते है कि कहीं केमिकल से तो नहीं बनी हंै। मिट्टी की ही मूर्ति खरीदनी चाहिए, जिससे वह पानी में विर्सजन होने के बाद पानी में मिट्टी जम जाए।
दुर्गा प्रसाद
गणेश महोत्सव पर सबको हमेशा इको फ्रेंडली प्रतिमाओं को ही खरीदना चाहिए। केमिकल वाली प्रतिमाएं पानी में जल्दी गलती नहीं है। हमें पर्यावरण संरक्षण का भी ध्यान रखना चाहिए।
अमन