(बरेली ब्यूरो)। महाशिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन का पर्व है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन को शिव विवाह महोत्सव के रूप में मनाया जाता है। भगवान शिव आदि गुरु हैं और बहुत दयालु, कृपालु हैं। कहते हैं कि वह मात्र एक लोटा जल चढ़ाने से प्रसन्न हो जाते हैं। आज इस पावन पर्व पर उनके अभिषेक के लिए नाथ नगरी पूरी तरह तैयार है। अपने इष्ट को अर्पित करने के लिए कांवड़ लेने गए भक्तों के आने का सिलसिला सोमवार को पूरे दिन चलता रहा। इसको लेकर प्रशासन द्वारा भारी वाहनों का रूट भी डायवर्ट किया गया है। वहीं नगर भर के मंदिरों को आकर्षक ढंग से सजाया गया है.
नाथनगरी में भव्य होगी मंदिरों की छटा
नाथ नगरी के नाम से फेमस अपने सिटी में भगवान भोलेनाथ के तमाम मंदिर हैं। महाशिवरात्रि को लेकर इन मंदिरों पर अद्भुत छटा के दर्शन होंगे। मंदिरों में स्थापित भगवान शिव का विशेष रूप से श्रृंगार खास किया जाएगा। सोमवार को दिन भर इन मंदिरों में जोरशोर से तैयारी चलती रही। कहीं पर भोलेनाथ के विवाह की रस्मों को निभाया गया तो कहीं सजावट को अंतिम रूप दिया गया। तोरण पताकाओं से साज सज्जा के अलावा बिजली की झालरों से भी सजावट की गई। शिवरात्रि की पूर्व संध्या को शिवलिंग का विशेष शृंगार किया गया।
इन मंदिरों पर जुटेगी भीड़
नाथ नगरी केप्रसिद्ध मंदिर अलखनाथ मंदिर, धोपेश्वर नाथ, मंदिर, मढ़ीनाथ, पशुपतिनाथ, बनखंडीनाथ, तपेश्वरनाथ व त्रिवटीनाथ मंदिर में पर्व से एक दिन पहले भी खासी चहल-पहल रही। महाशिवरात्रि के अवसर पर इन मंदिरोंं में भजन-कीर्तन के आयोजन होंगे। इसके साथ ही जगह-जगह भंडारे भी लगाए जाएंगे।
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यहां के मंदिरों का इतिहास
अलखनाथ मंदिर
इतिहास में झांकें तो पता चलता है कि इस स्थान पर आनंद अखाड़ा के अलखिया बाबा ने कठोर तप किया था। उन्होंने शिवभक्तों के लिए यहां अलख जगाई थी। इस कारण ही इसका नाम अलखनाथ पड़ा। मान्यता है कि मुगलकाल में हिंदुत्व की रक्षा के लिए यहां कई मुनियों ने तप किया था। आज भी इस मंदिर में मुसलमानों का प्रवेश वर्जित है का बोर्ड लगा है।
धोपेश्वरनाथ मंदिर
कैंट इलाके का यह मंदिर अपने कुंड की प्रतिष्ठा के लिए प्रसिद्ध हैं। कहते हैं कि यहां विशेष पर्व पर पूजा-पाठ करने से भगवान धोपेश्वरनाथ भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
मढ़ीनाथ मंदिर
सुभाषनगर इलाके में स्थित यह मंदिर भी ज्योतिर्लिंग स्वरूपों में गिना जाता है। मान्यता है कि यहां कुआं खोदते समय शिवलिंग प्रकट हुआ था। भक्तों की इसको लेकर भी अटूट श्रद्धा है।
वनखंडीनाथ मंदिर
पौराणिक मान्यता है कि यहां स्थापित शिवलिंग की स्थापना द्रौपदी ने गुरु के आदेश पर की थी। मुगलकाल में इस शिवलिंग को हाथी से खिंचवाया गया था, जिस कारण यह खंडित हो गया था।
त्रिवटीनाथ मंदिर
इस मंदिर का प्रादुर्भाव सन 1470 में माना जाता है। कहते हैं कि एक चरवाहे को यहां पर शिवलिंग मिला था। इसकी यहां पर स्थापना कराई गई। तब से ही त्रिवट की पूजा की जाती है।
पशुपतिनाथ मंदिर
पीलीभीत बाईपास स्थित यह मंदिर काठमांडू स्थित पशुपतिनाथ की तर्ज पर बनाया गया है। सावन में यहां भक्तों की खासी भीड़ जुटती है। इस मंदिर को लेकर भी भक्तों में अटूट श्रद्धा है।
तपेश्वरनाथ मंदिर
नगर के दक्षिण दिशा में इस भूमि पर कई ऋ षियों ने तप किया था। इस कारण ही इसका नाम तपेश्वरनाथ मंदिर रखा गया। मान्यता है कि सच्चे मन से आराधना करने पर भगवान मनोकामना पूरी करते हैं।