30% youth मोटापे का शिकार

बरेली के यूथ में ओबीसिटी के केसेज में लगातार एलार्मिंग ग्रोथ हो रही है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बीत कुछ वर्षों में 10 से 15 परसेंट तक ऐसे केसेज में इजाफा हुआ है। असल में ये आंकड़े इससे कहीं अधिक हैं, असल में डॉक्टर्स के अकॉर्डिंग यूथ्स में मोटापे के सिर्फ 30 परसेंट मामले ही ट्रीटमेंट के लिए पहुंचते हैं। यही नहीं मैक्सिमम यूथ्स को तो पता ही नहीं चल पाता कि उनकी बॉडी ओवरवेट हो गई है, और धीरे-धीरे कई बीमारियों उन्हें घेर

लेती हैं।

City में लगभग 47,760 youths overweight

बरेली सिटी की कुल अर्बन पॉपुलेशन में यूथ्स का 30 परसेंट ओबीसिटी की प्रॉब्लम से परेशान है। गत असेम्बली इलेक्शन के दौरान इलेक्शन कमीशन के आंकडों में सिटी में यूथ वोटर्स की कुल संख्या 1,59,201 थी। इनमें 47,760 युवा मोटापे से परेशान हैं। इसके अलावा, आई नेक्स्ट के हेल्थ मीटर में भी 20 परसेंट बच्चे मोटापे के शिकार

मिले थे।

Life style बना रही obese

18 से 30 साल की उम्र तक के लोगों को यूथ की कैटेगरी में काउंट किया जाता है। इस एज ग्रुप को काम के लिहाज से दो कैटेगरी में डिवाइड किया जा सकता है। एक तो जो स्टूडेंट हैं, दूसरे वह जो प्रोफेशनल हैं। स्टूडेंट्स के केस में मोटापे की प्रॉब्लम के लिए फिजीकल एक्टिविटी में घट रहा इंटे्रस्ट बड़ी वजह है। वीडियो गेम्स, टीवी और कम्प्यूटर के सामने बढ़ता सिटिंग टाइम और बेतरतीब लाइफ स्टाइल स्टूडेंट्स को ओवरवेट कर रही है।

 

Seating job और बदलता खाने का trend भी वजह

डॉक्टर्स की मानें तो यूथ में बढ़ रहे मोटापा के मेजर रीजन में एंजाइटी टेंशन है। टेंशन में युवाओं की खाने की हैबिट बढ़ जाती है। सिटिंग जॉब या प्रोफेशनल एक्टिविटी में इनवॉल्व यूथ्स को भी मोटापा घेरता है। सिटिंग जॉब में फिजीकल एक्टिविटी न के बराबर होती है। इसके अलावा लंच में रोटी, दाल और सब्जियों की जगह पर ऑयली आइटम्स और जंक फूड प्रॉब्लम को डबल कर रहे हैं। वहीं अगर घर से लंच कैरी नहीं करते है, तो बाहर का खाना ज्यादा हार्मफुल होता है। एक्चुअली फास्ट फूड खाने के बाद भूख ज्यादा लगती है, जिससे हैवी डाइट लेने के बाद रात की गहरी नींद मोटापा बढ़ाने का प्राइम फैक्टर है।

5 साल की age तक बनते हैं एडिको साइड सेल  

ह्यूमन बॉडी में फैट की सेल्स होती हैं। जिन्हें एडिको साइड कहा जाता है। ये सेल बच्चों में 5 साल की उम्र तक ही बनती हैं। इसके बाद ये सेल्स बॉडी में सिर्फ टूटती या बिखरती हैं। इनकी क्वांटिटी में इजाफा नहीं होता है। इसलिए मोटापे से बचने के लिए शुरुआती एज में ही खान-पान की हैबिट पर कंट्रोल रखने की जरूरत होती है।

बिगड़ गया है गैस्ट्रो इंट्रोलॉजी सिस्टम

छोटे बच्चों को पेरेंट्स द्वारा दिया जाने वाले ब्रेक फास्ट में फेर-बदल भी बच्चों के गैस्ट्रो इंट्रोलॉजी सिस्टम को बिगाड़ रहा है। पहले लंच में जहां रोटी, सब्जी, पराठे दिए जाते थे, अब  उनकी जगह सोया, चिप्स, जंक फूड जैसे आइटम्स ने ले लिया है.  रिजल्ट यह हुआ है कि बच्चों में मोटापा बढ़ रहा है। छोटी उम्र में हुआ मोटापा यंगर एज पर ज्यादा बड़ी प्रॉब्लम बनता है। बच्चों को ब्रेकफास्ट में दलिया कॉर्नफ्लेक्स, कोई एक सीजनल फ्रूट और दूध देना काफी होता है।

सर्जरी से मिल सकता है छुटकारा

मोटापे को कंट्रोल करने के लिए तीन तरह की बैरिएट्रिक सर्जरी, रॉक्स-इन गै्रस्ट्रिक बाईपास, सीलिक गैस्ट्रिमिंग, लैप्रोस्कोपिक गैस्ट्रिक बैंडिंग की जाती है। डॉक्टर्स इन तीनों में से पेशेंट्स के केस के अकॉर्डिंग सर्जरी सजेस्ट करते हैं। बैरिएट्रिक सर्जरी में आहार नाल के साइज को कम कर दिया जाता है। रिजल्ट ये होता है कि पेशेंट को भूख कम लगती है। भूख कम लगने से पेशेंट का खाना भी कम हो जाता है और धीरे-धीरे उसकी बॉडी में स्टोर फैट कम होने लगता है।

सर्जरी के हैं long term benefit

बरेली में बैरिएट्रिक सर्जरी कुछ ही दिनों पहले इंट्रोड्यूस हुई है। एसआरएमएस के गैस्ट्रोलॉजी डिपार्टमेंट के डॉक्टर वाष्णेय ने बताया कि हमने अब तक 2 सफल ऑपरेशन किए हैं। ऑपरेशन के बेहतर रिजल्ट सामने आए हैं। हालांकि अभी बरेलियंस में इस सर्जरी को लेकर अवेयरनेस की कमी है। मगर समय के साथ सर्जरी की डिमांड बढ़ रही है। इस सर्जरी का लांग टर्म में फायदा है। बिना किसी मेडिसिन के मोटापे के साथ आपकी डायबिटिज, ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल, आर्थराइटिस जैसी प्रॉब्लम भी कंट्रोल में आ जाती है। वहीं हार्ट के पेशेंट्स को अटैक का खतरा भी कम हो जाता है। उन्होंने बताया कि कुछ केसेज में पेशेट्स को इस सर्जरी के बाद स्लीप एप्निया की प्रॉब्लम से भी छुटकारा मिल गया।

ऐसा हो diet chart

ओबीसिटी की फिक्र किए बगैर बच्चों को एक साल की एज तक सब कुछ खिलाना चाहिए। इस उम्र के बाद बच्चे का डाइट चार्ट मेनटेन होना चाहिए। डाइट में कार्बोहाइड्रेड 40 से 50 परसेंट, 30 से 35 परसेंट प्रोटीन, 15 से 20 परसेंट फैट होना चाहिए। बच्चे को 5 साल तक ये ही डाइट देनी चाहिए। उसके बाद 5 से 15 साल तक की एज तक डाइट में फैट 10 से 15 परसेंट, प्रोटीन 40 से 45 परसेंट होना चाहिए। 15 से 25 साल की एज में डाइट में कार्बोहाइड्रेड 40 से 50 परसेंट, फैट 10 परसेंट, प्रोटीन 35 से 40 परसेंट और फाइबर 10 परसेंट होना चाहिए। 25 से 40 वर्ष की एज में 25 से 30 परसेंट प्रोटिन, 5 से 10 परसेंट फैट 10 से 15 परसेंट फाइबर होना चाहिए।

कैसे जानें कि हो गए overweight

अक्सर यूथ्य यह समझ ही नहीं पाते कि वह ओवरवेट हो चुके हैं। इसके लिए बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) का सहारा लिया जा सकता है। उदाहरण के लिए अगर आपकी हाइट 1.6 मीटर है और वेट 55 किलोग्राम है, तो बीएमआई स्केल पर खुद को जांचने के लिए वेट को हाइट के स्क्वायर से डिवाइड करना पड़ेगा। डिवाइड करने पर रिजल्ट को बीएमआई चार्ट से मैच करके आप अपनी कंडीशन जान सकते हैं।  

 बीएमआई चार्ट यूनिट                                     कंडीशन

 बीएमआई अगर 18.5 यूनिट से कम है             अंडर वेट

 बीएमआई 18.5 से 24.9 यूनिट                    हेल्दी  

 बीएमआई 24.9 से 29.9 यूनिट                    ओवर वेट

 बीएमआई 29.9 से 39.9 यूनिट                   ओबेसिटी

 बीएमआई 39.9 से ज्यादा                          मच ओबेस

मोटापे के side effects  

*    कैंसर

*    ज्वाइंट प्रॉब्लम

*    बोन प्रॉब्लम

*    डीप वेन थॉरोम्बोसिस

*    हॉर्निया

*    हार्ट अटैक

*    ब्रीथिंग प्रॉब्लम

*    हाई ब्लड प्रेशर

*    टाइप 2 डायबटिज

*    हाई कॉलेस्ट्रॉल

*    ऑर्थराइटिस

 ये social problems करनी पड़ती हैं face  

* लोवर लाइफ एक्सपैक्टेन्सी ४फ्यूवर इंप्लाइमेंट अपॉर्चुनेटी

* लो सेल्फ एस्टिम

* डिप्रेशन

* लिमिटेड मोविलिटी

अब ये प्रूव हो चुका है कि मोटापा एक बीमारी है। इसके बचने के लिए शुरुआती स्टेज से ही प्रिकॉशन लेना जरूरी होता है। समस्या बड़ी इसलिए भी है क्योंकि ज्यादातर यूथ्स इस प्रॉब्लम को लाइटली लेते हैं। जबकि यहीं से कई और बीमारियों की स्टार्टिंग होती है।

-डॉ। राजीव गोयल, फिजीशियन