मिनिमम टेंप्रेचर 2.2 डिग्री गिरा

संडे को धूप निकली लेकिन उसकी गर्मी लगातार चल रही शीतलहर से ठंडी पड़ती नजर आई। मौसम विभाग के मुताबिक संडे को मिनिमम टेंप्रेचर 2.5 डिग्री दर्ज किया गया जो सैटरडे के टेंप्रेचर से 2.2 डिग्री कम रहा। वहीं मैक्सिमम टेंप्रेचर 12.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। इसमें 0.4 डिग्री की गिरावट दर्ज की गई। मौसम विभाग प्रभारी राजेश कुमार ने बताया कि मैक्सिमम टेंप्रेचर में जहां नॉर्मल से 8 डिग्री की गिरावट दर्ज की गई, वहीं मिनिमम टेंप्रेचर में 3 डिग्री की गिरावट दर्ज की गई है।

चढ़ा बिजली की खपत का 'पारा'

ठंड ने बरेलियंस को किस कदर परेशान कर रखा है। इस बात का अंदाजा रोजाना खपत होने वाली एक्स्ट्रा बिजली की मात्रा से लगाया जा सकता है। ठंड से निजात पाने के लिए बरेलियंस द्वारा हीटर और गीजर केयूज से एक-दो नहीं लाखों यूनिट बिजली की एक्स्ट्रा खपत बढ़ गई है। वहीं ठंड की वजह से हीटर और गीजर की सेल में भी 60 परसेंट तक की ग्रोथ हुई है। हाइडिल के अधिकारियों की मानें तो इस एक्स्ट्रा खर्च होने वाली बिजली में सिटी को तीन से चार घंटे तक पावर सप्लाई की जा सकती है।

हीटर के यूज से बढ़ी खपत

ठंड से बचने के लिए लोग हीटर और गीजर का यूज इस कदर कर रहे हैं कि बरेली रीजन में 10 मिलियन यूनिट बिजली की रोजाना की खपत बढ़ गई है। सामान्य दिनों में बरेली रीजन में रोजाना 100 मिलियन बिजली की खपत होती है। ठंड में यह खपत बढ़ कर 110 मिलियन तक हो गई है। अगर हम पिछले साल ठंड में ओवरलोड की बात करे तो यह 4 मिलियन यूनिट रोजाना ही थी।

ठंड में बढ़ी सेल

ठंड के एहसास ने हीटर की मार्केट गर्म कर दी है। लास्ट ईयर की तुलना में इस साल सेल 60 परसेंट बढ़ गई है। एक शॉप से हर रोज लगभग 15 हीटर बिक रहे हैं। बरेली में इस तरह के अप्लाईसेंज की लगभग 100 शॉप्स हैं।

ओवरलोड से बढ़ गए हैं फॉल्ट

जितनी एक्स्ट्रा बिजली का यूज बरेलियंस ठंड की वजह से कर रहे हैं। उसमें सिटी को लगभग चार घंटे तक पावर सप्लाई की जा सकती है। हाइडिल के अधिकारियों ने बताया कि ओवर लोड की वजह से पावर ट्रिपिंग की भी समस्या बढ़ गई है। इसकी वजह से कंज्यूमर्स को 17 से 18 घंटे ही पावर सप्लाई हो पा रही है।

ठंड में हैवी इलेक्ट्रिकल अप्लाइंसेज के यूज के चलते 10 मिलियन यूनिट बिजली की रोजाना खपत बढ़ गई है। इतनी बिजली में सिटी को तीन से चार घंटे तक पावर सप्लाई की जा सकती है। लोड बढ़ जाने की वजह से बार-बार पावर सप्लाई ट्रिप हो रही है।

-पीके गुप्ता, चीफ इंजीनियर, हाइडिल डिपार्टमेंट

मेडिसिन मार्केट हुआ 'अनहेल्दी'

ठंड में पारा क्या लुढ़का मेडिसिन कारोबार ने भी डुबकी लगा दी है। दरअसल इतनी तेज ठंड में हल्की-फुल्की बीमारियों को लेकर लोग डॉक्टर्स के पास नहीं जा रहे हैं। जिसकी वजह से उन्हें मेडिसिन की जरूरत नहीं पड़ रही है। ऐसे में मेडिसिन की बिक्री पर खासा असर पड़ा है। मेडिसिन मार्केट का टर्नओवर आधे से भी कम हो गया है। एक्सपर्ट के अनुसार मार्केट की यह गिरावट मार्च तक संभलने की उम्मीद है।

नहीं जाते डॉक्टर के पास

ठंड में इजाफा अपने साथ बैक्टीरियल इंफेक्शन का खात्मा लाता हैं। ठंड में वायरस इंफेक्शन, एलर्जिक प्रॉब्लम, कॉर्डियक के साथ ऑर्थो प्रॉब्लम जरूर बढ़ती है, मगर बैक्टीरियल इंफेक्शन के साथ गर्मियों में होने वाली कई बीमारियों पर ब्रेक लग जाता है। इस मौसम में सर्वाधिक कोल्ड एंड कफ के पेशेंट सामने आते हैं, मगर वह इलाज के लिए डॉक्टर तक नहीं जाते हैं। यही कारण है कि ज्यादातर डॉक्टर्स भी इन दिनों टूर पर निकल जाते हैं। कैमिस्ट एसोसिएशन के पदाधिकारियों के अनुसार मेडिसिन मार्केट अपने नॉर्मल स्टैंडर्ड बिजनेस से 40 परसेंट तक नीचे गिर गया है।

रीयल टाइम इंफॉर्मेशन सिस्टम का 'रेड सिग्नल'

फॉग ने न सिर्फ रेल की पटरियों को अपने आगोश में लिया है, बल्कि रेलवे के इंफॉर्मेशन सिस्टम को भी फेल कर दिया है। इसकी दोहरी मार झेल रहे हैं पैसेंजर्स। रनिंग ट्रेन की स्थिति बताने वाला 'रीयल टाइम इंफॉर्मेशन सिस्टमÓ (आरटीआईएस) फिलहाल काम नहीं कर रहा है। पैसेंजर्स अगर ट्रेन की  स्थिति जांचने के लिए इस मैसेज करते हैं तो बैलेंस कट जाता है पर ट्रेन की स्थिति का पता नहीं चल रहा है।

Case-1

इंद्रा नगर निवासी सोमपाल ने पंजाब मेल की स्थिति जांचने के लिए रीयल टाइम इंफार्मेशन पर मैसेज किया। मैसेज लिखकर 139 पर सेंड करते ही, उनके मोबाइल बैलेंस से 2 रुपए कट गए। इसके कुछ देर बाद उनके पास मैसेज आया कि यह सेवा फिलहाल उपलब्ध नहीं है।

Case-2

कोहाड़ापीर निवासी रूपाली को वाराणसी से दिल्ली चल रही ट्रेन काशीविश्वनाथ एक्सप्रेस की रीयल स्थिति पता करनी थी। उन्होंनें 139 पर मैसेज किया। मैसेज सेंड होते ही 2 रुपए कट गए। फिर धन्यवाद के मैसेज के साथ 1 रुपए कट गए। मगर ट्रेन की इंफॉर्मेशन नहीं मिली।

समय पर नहीं पहुंच रही ट्रेनें

कोहरा गहराते ही ट्रेनों की समय सारणी में जबरदस्त फेर बदल हुआ है। कोहरे की वजह से ट्रेंस अपने तय समय पर नहीं चल रही हंै। नतीजतन पैसेंजर्स आरटीआईएस का सहारा ले रहे हैं। लेकिन यह सिस्टम भी उन्हें कोई जानकारी नहीं दे पा रहा है। शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेंस को छोड़ यह सिस्टम किसी भी मेल व एक्सप्रेस ट्रेंस की जानकारी नहीं दे पा रहा है। लखनऊ शताब्दी सहित देश की 36 राजधानी और शताब्दी ट्रेनों में आरटीआईएस की टेस्टिंग की गई थी। सेटेलाइट आधारित इस सिस्टम से पैसेंजर्स को ट्रेनों की स्पीड, टे्रन कौन से स्टेशन्स के बीच में है और अगला स्टोपेज पर ट्रेन कब तक पहुंचेगी जैसी जानकारी मिल जाती है। रेलवे ने 1 अक्टूबर 2012 से सभी मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों को रीयल इंफॉर्मेशन सिस्टम से जोड़ा था।

रेलवे वेबसाइट की लें हेल्प

पैसेंजर्स फोन के मैसेज बॉक्स में जाकर कैपिटल लेटर्स में सिटी के एसटीडी कोड के साथ ट्रेन नंबर टाइप कर 139 पर मैसेज करते हैं। इसके जवाब में ट्रेन की लोकेशन और लेट लतीफी की जानकारी मिल जाती है। रेलवे के अधिकारियों से इस बाबत संपर्क करने पर उन्होंने बताया कि ऐसा ज्यादातर होता नहीं है, मगर कोहरा और टेक्निकल प्रॉब्लम के चलते समस्या आ रही है। उन्होंने पैसेंजर्स को रेलवे की आधिकारिक वेबसाइट से सटीक जानकारी लेने की सलाह दी है।