- दो दशक से एक ही अनुभाग में जमे हैं कर्मचारियों के पांव

- अधिकारियों की साठगांठ में होती है पटल की अदला-बदली

- करेक्शन और नंबर बढ़ाने के लिए चाय-पान की दुकान पर भी डील

BAREILLY : अमूमन सरकारी कर्मचारियों का पांच साल में एक अनुभाग से दूसरे अनुभाग में तबादला हो जाता है, लेकिन उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद के क्षेत्रीय कार्यालय में नियमों को ताक पर रखकर कुछ कर्मचारी पिछले दो दशक से एक ही अनुभाग में जमे हुए हैं। यही वजह है कि यहां मार्कशीट में करेक्शन, नंबर बढ़ाने और सेकेंड सर्टिफिकेट के नाम पर खुलेआम वसूली का खेल चलता है। अगर इन कर्मचारियों का तबादला हो भी जाता है तो वे अपने रसूख का उपयोग कर दोबारा उसी मलाईदार कुर्सी पर पहुंच जाते हैं। फिर शुरू होती है उनकी मनमानी और वसूली का खेल।

क्98म् में ज्वाइन की थी ड्यूटी

रीजनल बोर्ड ऑफिस के परीक्षा अनुभाग में क्98म् में प्रधान सहायक के पद पर एक कर्मचारी ने पदभार ग्रहण किया था। बाद में इन्हें माध्यमिक शिक्षा परिषद कार्णिक संघ में यूनियन नेता के रूप में महत्वपूर्ण पद पर चुना गया। इनके छोटे भाई भी इसी अनुभाग में कार्यरत हैं। पिछले दिनों एक कर्मचारी का प्रमोशन के साथ इलाहाबाद ट्रांसफर कर दिया गया था, लेकिन इन्होंने अपने रसूख से ट्रांसफर आर्डर स्टे करवा लिया। विभाग में दर्जन भर से अधिक ऐसे ही कर्मचारी हैं, जो एक ही अनुभाग में वर्षो से जमे हुए हैं।

नहीं छोड़ते मलाईदार कुर्सी

क्षेत्रीय बोर्ड ऑफिस के हाईस्कूल, इंटर प्रमाण पत्र व अभिलेख अनुभाग, परीक्षा अनुभाग, गोपनीय फ्, ब् और म् अनुभाग के साथ ही हाईस्कूल, इंटर स्क्रूटनी अनुभाग में वर्षो से जमे कर्मचारियों का एक से दूसरे अनुभागों में अदला-बदली हो तो जाता है, लेकिन फिर से उन्हें मलाईदार कुर्सी पर बैठा दिया जाता है। सोर्स के मुताबिक यह काम अधिकारियों की मिलीभगत से होता है। ताकि उन्हें भी उसका आंशिक लाभ मिलते रहे। बस यही से शुरू होता है करेक्शन और नंबर बढ़ाने के नाम पर वसूली का खेल। ठेका लेने वाले दलाल भी इन्हीं कर्मचारियों से संपर्क साधते हैं। फिर वे कर्मचारियों के माध्यम से करेक्शन, नंबर बढ़ाने, सीपी सीआर के तहत रोके गए रिजल्ट को जारी करवाने और सर्टिफिकेट देने का सौदा तय करते हैं।

कैंपस से तय होता है सौदा

बोर्ड कार्यालय के परीक्षा और मार्कशीट अनुभाग के कर्मचारी मार्कशीट में करेक्शन के लिए पहुंचने वाले लोगों से कुछ चुनिंदा स्थानों पर ही फर्जीवाड़े का सौदा करते हैं। टीवी अस्पताल के सामने एक हलुवाई की दुकान, जिला परिषद कैंपस, एक मशहूर लस्सी की दुकान, समोसे की दुकान और यहां तक की चाय-पान की दुकानों पर भी काम के बदले दाम की बात की जाती है।

विवादों से है पुराना रिश्ता

क्षेत्रीय बोर्ड कार्यालय में कुछ ऐसे भी कर्मचारी हैं, जिनका विवादों से चोली-दामन का साथ है। इन कर्मचारियों पर समय-समय पर दबंगई और मारपीट करने का आरोप भी लगा है। यूनियन से जुड़े होने की वजह से इनके ऊपर अधिकारी भी कार्रवाई से कतराते हैं। एक ऐसे ही मामले में पिछले ख्7 अप्रैल ख्0क्ख् को परीक्षा और अंकपत्र अनुभाग के कर्मचारियों ने बिशप मंडल के टीचर्स से मारपीट की थी। मामले ने तूल पकड़ा था और टीचर्स एसोसिएशन के सदस्य भी सड़क पर आ गए थे, लेकिन इसका खामियाजा किसी दूसरे कर्मचारी को भुगतना पड़ा।

- कुछ कर्मचारी मेरी ज्वाइनिंग से पहले से कार्यरत हैं। स्टाफ की समस्या की वजह से परीक्षा और अंकपत्र विभाग के कर्मचारियों का तबादला नहीं हो पाता। ऑफिस में किसी भी फर्जीवाड़े को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अगर कहीं से शिकायत मिलती है तो कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।

- संजय उपाध्याय, रीजनल सेक्रेटरी, उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद