(बरेली ब्यूरो)। शहर के इंडस्ट्यिलिस्ट संजीव गर्ग हत्याकांड में ट्यूजडे को पुलिस ने आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया। संजीव की साढू के बेटे गौरव मित्तल उर्फ सोनू व सौरभ मित्तल उर्फ मोनू ने बताया कि दोनों प्लाइवुड फैक्ट्री मौसा के काम में हाथ बंटाते थे। साल 2019 में वीर सावरकर नगर में किसी बात को लेकर दोनों की मौसा संजीव से अनबन हो गई। मामला थाना तक पहुंच गया। जैसे-तैसे समझौता गया लेकिन, संजीव ने दोनों को फैक्ट्री से निकाल दिया। बस इसी बात से दोनों उद्यमी संजीव गर्ग से रंजिश रखने लगे। सोनू व मोनू ने इज्जतनगर के मठ कमलनैनपुर के रहने वाले सुपारी किलर विकास कश्यप उर्फ विकास भल्ला से मिलकर संजीव गर्ग की हत्या की साजिश रची। हत्या करने के लिए दो बार में ढाई-ढाई लाख कर पांच लाख रुपये बतौर एडवांस विकास भल्ला को दिये। इसके बाद ङ्क्षसतबर 2021 में ही विकास भल्ला ने अपने पुराने साथी सुपारी किलर दयाराम उर्फ विकास निवासी गांव देहरी जुम्मन कांठ मुरादाबाद व शुभम कुमावत उर्फ मोनू निवासी देवगुड़ा जालसा कुतावतों की धानी थाना कालडेरा जयपुर के साथ मिलकर संजीव की हत्या की पटकथा तैयार की।


ये हुआ बरामद
पकड़े गए आरोपितों के पास से सोने के एक-एक किलो के आठ बिस्किट, 70 ग्राम सोने के आभूषण, 13 लाख रुपये, लूट के रुपयों से खरीदी गई टाटा हैरियर कार, घटना में प्रयुक्त कार, मोटरसाइकिल व लोहे की राड बरामद कर ली है। गिरफ्तार आरोपितों में विकास कश्यप उर्फ विकास भल्ला निवासी मठ कमलनैनपुर रोड इज्जतनगर, शुभम कुमावत उर्फ मोनू निवासी देवगुड़ा जालसा कुतावतों की धानी थाना कालडेरा जयपुर, संजीव के साढू के बेटे गौरव मित्तल उर्फ सोनू, सौरभ मित्तल उर्फ मोनू निवासी राधिका एन्क्लेव कर्मचारी नगर इज्जतनगर का नाम शामिल है। दयाराम उर्फ विकास निवासी ग्राम देहरी जुम्मन कांठ मुरादाबाद, दीपक सोनी उर्फ दीपक रायल निवासी वार्ड नंबर 16 सैनी कालोनी थाना शाहपुरा जयपुर ग्रामीण राजस्थान व मनीष मीणा उर्फ ठाकुर निवासी ग्राम बबई थाना कोटपुतली जयपुर ग्रामीण राजस्थान फरार हैं।

पहले की गई रेकी
सुपारी किलर की तैयारी पूरी होने के बाद सोनू-मोनू ने संजीव गर्ग के घर, फैक्ट्री व उनके आने-जाने वालों रास्तों की रेकी कराई। दयाराम उर्फ विकास ने घटना से दस दिन पूर्व अन्य साथी सुपारी किलर दीपक सोनी उर्फ दीपक रायल, मनीष मीणा उर्फ ठाकुर निवासी गांव बसई थाना कोटपुतली जयपुर ग्रामीण राजस्थान, राजवीर ङ्क्षसह उर्फ सरपंच निवासी गांव रघुनाथपुर थाना नारनौल सदर महेंद्रगढ़ हरियाणा को बरेली बुलाया। तय योजना के तहत ही 20 जनवरी को जब संजीव गर्ग अपनी फैक्ट्री से गाड़ी से निकले तभी रास्ते में ही झुमका चौराहे के पास आरोपितों ने संजीव की गाड़ी के आगे अपनी कार लगा दी। फिर संजीव को गिरफ्त में लेकर उनके बेटे शुभम गर्ग से सोना व रुपये मंगवाए। उसके बाद संजीव की हत्या कर करोड़ों का कैश व सोना लूट कर बदमाश भाग गए। एसएसपी रोहित ङ्क्षसह सजवाण ने प्रेस कांफ्रेंस संजीव गर्ग हत्याकांड का राजफाश किया।

करोड़ों का कैश व सोना ले गए
संजीव को गिरफ्त में लेने के बाद सुपारी किलर ने उनसे कहा था कि तुम्हारी सुपारी मिली हैं। तुम्हारी हत्या करेंगे। इस पर संजीव ने जान बख्शने की बात कही। यहां तक संजीव ने कहा कि जितने की तुम्हें सुपारी मिली है, उससे कई गुना अधिक रकम मैं दे दूंगा। इसी के बाद संजीव ने बेटे शुभम गर्ग को फोन कर घर में आयकर रेड पडऩे की आशंका जताते हुए घर में रखा करोड़ों रुपये का सोना व कैश लेकर उसे पीलीभीत रोड स्थित फीनिक्स माल के पास बुलाया गया। शुभम ने वहां पहुंचकर संजीव को फोन किया तो उन्होंने गाड़ी के पास आने की बात कही। इस दौरान दो सुपारी किलर कार में पीछे छिपकर बैठ गए, संजीव ने शीशा खोलकर रुपये व सोना लिया और बेटे से घर जाने की बात ही। इसके बाद सुपारी किलर संजीव की कार अगरास रोड पर ले गए और वहां उनकी हत्या कर दी।

ऐसे जुड़ी हत्यारों की चेन
पुलिस के मुताबिक, संजीव की हत्या के लिए सोनू-मोनू ने इज्जतनगर के रहने वाले सुपारी किलर विकास कश्यप उर्फ विकास भल्ला से संपर्क किया। विकास भल्ला ने दयाराम उर्फ विकास से संपर्क किया। दयाराम ने शुभम कुमावत से संपर्क साधा। इसके बाद शुभम से दीपक सोनी उर्फ दीपक रायल, दीपक से मनीष मीणा ठाकुर व उससे राजवीर ङ्क्षसह उर्फ सरपंच जुड़े। इसके बाद वारदात का अंजाम दिया गया। वारदात के दिन मनीष व विकास रेकी में जुटे थे। इधर, राजवीर ङ्क्षसह उर्फ सरपंच, विकास कश्यप उर्फ विकास भल्ला, दीपक सोनी उर्फ दीपक रायल व शुभम कुमावत ने अगरास रोड पर वारदात को अंजाम दिया। काम होते ही मनीष व विकास घटनास्थल पहुंचे फिर सभी छह सुपारी किलर निकल गए।

पुलिस को न हो शक
आरोपित सोनू-मोनू भले ही हाईस्कूल पास हैं लेकिन, दोनों बेहद ही शातिर निकले। वर्ष 2019 में संजीव से हुए विवाद के चलते उनके साथ अनहोनी पर पुलिस का पहला शक दोनों पर जाता, यह बात सोनू-मोनू को बखूबी पता थी। इसी के चलते वारदात के दिन सोनू-मोनू कमरे से बाहर ही नहीं निकले। बकायदा, सीसीटीवी की निगरानी में रहे। सुपारी किलरों से कोई बात भी नहीं की। वारदात के बाद दोनों पर जब पुलिस को शक हुआ तो तुरंत ही दोनों ने सीसीटीवी फुटेज व मोबाइल सौंप दिया। दोनों का आत्मविश्वास व सीसीटीवी फुटेज देख पुलिस भी एक बार धोखा खा गई लेकिन, अंत में दोनों द्वारा रची गई साजिश का राजफाश हो गया।