शाही के काशीपुर गांव में किसान ने गेहूं की फसल बर्बाद होने पर उठाया कदम
मिट्टी का तेल डालकर लगायी आग, दोनों की इलाज के दौरान हुई मौत
अपने पीछे चार बच्चों को कर गए बेसहारा
BAREILLY: कुदरत के कहर के आगे किसानों को जिंदगी भारी लगने लगी है। पेट की चिंता उसको चिता तक पहुंचा रही है। ट्यूज्डे को एक झकझोर कर रख देने वाले मामले में एक किसान ने पत्नी के साथ मिलकर जिंदगी खत्म कर ली। बर्बादी ने उसको इस कदर तोड़कर रख दिया कि वह उन चार बच्चों की जिम्मेदारी को भी भूल गया, जो उनके भरोसे थे। बच्चों के सामने ही पहले किसान ने खुद को आग लगाई और फिर पत्नी को भी साथ ले लिया। शर्मनाक यह है कि हमारा सिस्टम एक बार फिर मौत के बाद मातम मनाने के लिए पहुंचा और मुआवजे की बात करने लगा। दहला देने वाली यह घटना शाही गांव की है। पति-पत्नी की मौत हो चुकी है और चारों बच्चे अनाथ।
वह हर हाल में मरना चाहता था
यह दर्दनाक घटना काशीपुर के शाही गांव की है। यहां पर ब्भ् वर्षीय किसान हंसगिरी पत्नी पुष्पा के साथ रहता था। उसके चार बच्चे क्7 वर्षीय पूजा, क्भ् वर्षीय आरती, क्ख् वर्षीय सुशील और क्0 वर्षीय अन्नू हैं। बीती रात को हंसगिरी ने घर में ही आग लगाकर अपनी जिंदगी खत्म कर ली। जब वह खुद को आग लगा रहा था, उस दौरान पत्नी भी नजदीक पर खड़ी हुई थी। दर्द से बेइंतहा भरे हंसगिरी को जब पत्नी ने बचाने का प्रयास किया तो उसने उसको भी खींच लिया और कहा कि तू यहां क्या करेगी। उसकी यह हरकत इशारा करती है कि वह किसी भी कीमत में जीना नहीं चाहता था।
पूरी फसल हो गई थी बर्बाद
रिश्तेदारों ने बताया कि हंस गिरी के पास तीन बीघा खेत थे। जिसमें उसने गेहूं की फसल बोई थी। हंस गिरी ने तीन बीघा बटाई पर भी जमीन लेकर गेहूं बोए थे। खेती के लिए उसने सूद पर लोन भी लिया था। ओलावृष्टि में फसल बर्बाद हो गई थी लेकिन उसे उम्मीद थी कि कुछ न कुछ तो खेत में गेहूं निकल आएगा जिससे वह अपने परिवार का पेट पाल लेगा और बटाईदार का गेहूं चुका देगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
पत्नी से फसल को लेकर कहासुनी
हंस गिरी के चचेरे भाई श्याम गिरी ने बताया कि दो-तीन दिन पहले ही गेहूं कटकर पहुंचे तो फसल देखकर हंस गिरी परेशान हो गया। उसे चिंता हो गई कि वह अब कैसे अपने परिवार का पेट पालेगा। मंडे शाम को हंसगिरी की पत्नी पुष्पा से फसल कम होने को लेकर कहासुनी हो गई। पुष्पा ने हंस को बटाई पर गेहूं करने के लिए मना किया था। श्याम गिरी ने बताया कि उन्हें हंस के बच्चों ने बताया कि झगड़े मे बाद पिता ने खुद पर मिट्टी का तेल छिड़क लिया और आग लगाने लगे। बचाने के लिए मां पहुंची तो पिता ने उन पर भी तेल छिड़क दिया और साथ ही अाग लगा ली।
पड़ोसियों ने बुझाई आग
जब दोनों जलने लगे तो बच्चों ने शोर मचाना शुरू कर दिया। शोर सुनकर पड़ोसी पहुंचे और किसी तरह से आग को बुझाया। रिश्तेदार व ग्रामीण गंभीर हालत में दोनों को हॉस्पिटल लेकर पहुंचे। हंस की डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में इलाज के दौरान मौत हो गई। करीब ब् बजे हालत खराब होने पर पुष्पा को प्राइवेट हॉस्पिटल ले जाने लगे लेकिन रास्ते में उसकी भी मौत हो गई। पुलिस ने दोनों के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। सूचना पर पुलिस और प्रशासन के अधिकारी पहुंचे और जांच शुरू की।
हंस के परिवार को होगी मदद
एसडीएम मीरगंज ने बताया कि हंस गिरी के पास तीन बीघा खेत थे। उसकी फसल नुकसान का सर्वे भी हुआ था और मुआवजा मिलने वाला था। दोनों को प्रशासन की ओर से अधिक से अधिक मदद कराई जाएगी। हंस गिरी के परिवार को मुख्यमंत्री राहत कोष से मुआवजा दिलाने के लिए लिखकर भेज दिया गया है।
गेहूं न होने के चलते आत्मदाह की बात परिजनों ने बतायी है। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। मामले की जांच की जा रही है।
कालू सिंह, सीओ मीरगंज