- एफएसडीए में 12 लाख से अधिक इनकम वाले कारोबारियों ने लिया है लाइसेंस
बरेली : बाहर के फूड आइटम के शौकीन लोगों के लिए यह खबर काम की है। अगर आप किसी दुकान से फूड आइटम खाने के लिए खरीद रहे हैं तो हो सकता है कि वह दुकान बिना लाइसेंस के संचालित हो रही हो। बता दें कि एफएसडीए यानि फूड सेफ्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट की ओर से जिले में कुल 2466 फूड कारोबारियों को लाइसेंस जारी किए हुए है।
13231 दुकानदार हैं रजिस्टर्ड
अपने घर से निकलते ही आप जिधर भी नजर घुमाएंगे आपको बड़ी संख्या में फूड आइटम बेचने और बनाने वाली दुकार्न नजर आ जाएंगी लेकिन बता दें कि पूरे जिले में महज 13,231 दुकानदार ऐसे हैं जिनका रजिस्ट्रेशन एफएसडीए में हैं। अन्य सभी दुकानदार अवैध तरीके से सामान की बिक्री कर रहे हैं।
क्या है नियम
एफएसडीए के अधिकारियों के अनुसार फूड आइटम बेचने वाले जिन कारोबारियों का बिजनेस टर्न ओवर 12 लाख से अधिक हैं उन्हें विभाग की ओर से लाइसेंस जारी किया जाता है। वहीं इससे कम आय वाले कारोबारियों का विभाग में रजिस्ट्रेशन होना जरूरी है। अगर कोई कारोबारी बिजनेस कर रहा है और विभाग में रजिस्ट्रेशन नहीं है तो यह पूरी तरह से अवैध है।
उदासीनता से पनप रहा कारोबार
हैरत की बात तो यह है कि हर साल त्योहार के 15 दिन पूर्व से ही विभागीय अफसरों की नींद टूटती है। जिले भर में अभियान चलाकर कार्रवाई के नाम पर बस खानापूरी कर ली जाती है। ऐसे में अगर विभागीय अफसर व्यापक रूप से जिले भर में अभियान चलाकर लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन संबंधी जांच करें तो हजारों की तादाद में अवैध कारोबारियों की पकड़ हो सकती है।
रिपोर्ट को लंबा इंतजार
विभाग की ओर से फेस्टिवल से पहले जिन दुकानों से फूड आइटम के सैंपल लिए जाते हैं उनको जांच को लखनऊ भेजकर जांच कराई जाती है। करीब 15 दिन का समय जांच रिपोर्ट आने में लगता है। ऐसे में समय पर कार्रवाई भी नहीं हो पाती है। कई बार चेकिंग अभियान के दौरान कुछ फूड आइटम के सैंपल अधोमानक पाए जाते हैं इस दौरान संबंधित प्रोडक्ट को नष्ट तो कर दिया जाता है लेकिन संबंधित कारोबारी लंबी प्रक्रिया के चलते साठगांठ कर बच जाते हैं।
यह है आवेदन की प्रक्रिया
लाइसेंस व रजिस्ट्रेशन के लिए विभागीय बेवसाइट एफएसडीएयूपी.जीओवी.इन पर ऑनलाइन आवेदन करना होता है। इसके बाद पूरी प्रक्रिया पूर्ण करने के बाद ऑनलाइन ही सर्टिफिकेट जारी किया जाता है।
क्या कहना है व्यापारियों का
लाइसेंस प्रणाली जटिल होने के कारण छोटा दुकानदार लाइसेंस लेने से बचता है। यदि ये प्रक्रिया पारदर्शी रूप से सरल कर दी जाए तो अधिकांश व्यापारी पंजीकृत हो जाएंगे।
राजेश जसौरिया, महामंत्री, उप्र उद्योग व्यापार मंडल
बगैर लाइसेंस कारोबार करना गलत है लेकिन लाइसेंस प्रक्रिया के दौरान ही कारोबारियों को इतना शोषित कर दिया जाता है कि अन्य कारोबारी नियम का पालन करने से बचते हैं। इस प्रक्रिया को सरल होना चाहिए।
राजेंद्र गुप्ता, अध्यक्ष, उप्र उद्योग व्यापार मंडल
जिले में 2466 लाइसेंस धारक हैं वहीं पंजीकृत दुकानदार भी 13231 के करीब हैं। आवेदन करने वालों को नियमानुसार पंजीकरण और लाइसेंस जारी किए जा रहे हैं।
धर्मराज मिश्र, मुख्य अभिहित अधिकारी