- यूपी बोर्ड ने सिलेबस से पांच फॉरेन लैंग्वेज को हटाया, और लैंग्वेज को हटाने पर मंथन

-अरबी, तिब्बती, मेंड्रिन (चीनी), जर्मन और फ्रांसीसी लैंग्वेज को हटाया गया

BAREILLY: फॉरेन लैंग्वेज की पढ़ाई करने की चाह रखने वाले स्टूडेंट्स को यूपी बोर्ड ने झटका दिया है। यूपी बोर्ड इस सेशन से सेलेबस से पांच फॉरेन लैंग्वेज को अलविदा कह दिया है। बोर्ड का यह डिसीजन उस वक्त आया है जब पूरे देश में फॉरेन लैंग्वेज को सीखने के लिए यंगस्टर्स में क्रेज नजर आ रहा था। फिलहाल, पांच लैंग्वेज की पढ़ाई को बंद करने के पीछे यूपी बोर्ड का तर्क है कि यह कोर्स उनके लिए मुसीबत थे।

इन पांच लैंग्वेज को बोला अलविदा

यूपी बोर्ड ने इस सेशन से जर्मन, फ्रेंच, मेंड्रिन (चीनी), तिब्बती व अरबी लैंग्वेज को सेलेबस से हटा दिया है। इसमें से अंग्रेजी के बाद जर्मन व फ्रेंच लैंग्वेज की ग्लोबल मार्केट में भी काफी डिमांड रहती है। ऐसे में इन लैंग्वेज को काफी अहम माना जाता है। ऑफिसर्स ने बताया कि यूपी बोर्ड के सिलेबस में क्8 देशी-विदेशी लैंग्वेज शामिल थी, इसमें से पांच को हटा दिया गया है। यानी की प्रजेंट में यूपी बोर्ड के सेलेबस में क्फ् लैंग्वेज है।

कमेटी की सिफारिश के बाद उठाया कदम

माध्यमिक शिक्षा परिषद के ऑफिसर्स ने बताया कि करिकुलम कमेटी की सिफारिशों के बाद इन लैंग्वेज को हटाया गया है। ऑफिसर्स सोर्स ने यह भी बताया कि कमेटी द्वारा और भी लैंग्वेज व कुछ वोकेशनल कोर्स को हटाने पर मंथन किया जा रहा है। परिषद के परीक्षा अनुभाग प्रमुख रविप्रकाश श्रीवास्तव ने बताया कि कमेटी सिलेबस में नई लैंग्वेज को जोड़ने व कुछ में संशोधन पर भी काम कर रही है। जल्द ही इसका रिजल्ट सामने आ जाएगा।

यूपी बोर्ड बता रहा यह वजह

इन फॉरेन लैंग्वेज को सेलेबस से हटाने की वजह स्टूडेंट्स की संख्या में कमी बताई जा रही है। क्षेत्रीय सचिव ने बताया कि इन लैंग्वेज का सेलेक्शन करने वाले स्टूडेंट्स की तादाद साल दर साल घटती जा रही है। वह यह भी दावा करते हैं कि पिछले कुछ सालों में न के बराबर स्टूडेंट्स ने इन लैंग्वेज का चयन किया था। इन्हीं सब कारणों को देखते हुए इसे सेलेबस से हटाया गया है।

वोकेशनल कोर्स का भी लग सकता है नंबर

फॉरेन लैंग्वेज के बाद कुछ वोकेशनल कोर्स को भी अलविदा कहा जा सकता है। ऑफिसर्स सोर्स ने बताया कि करिकुलम कमेटी की रिपोर्ट में वोकेशनल कोर्स का भी नाम है। इसके पीछे भी बोर्ड ऑफिसर्स का सेम तर्क है कि स्टूडेंट्स ने इसमें कोई इंटरेस्ट नहीं दिखाया है।

पर्दे के पीछे की यह वजह भी

हालांकि यूपी बोर्ड यह दावा कर रहा है कि इन लैंग्वेज के प्रति स्टूडेंट्स ने कोई इंट्रेस्ट नहीं दिखाया पर पर्दे की पीछे की सच्चाई कुछ और ही कही जा रही है। जानकार बताते हैं कि यूपी बोर्ड के पास इन लैंग्वेज को पढ़ाने के लिए टीचर्स ही नहीं हैं। ऐसे में स्कूल लेवल से ही स्टूडेंट्स को ऑप्शनल सब्जेक्ट के तौर पर इन लैंग्वेज को लेने की मनाही की जाती है। वहीं इन लैंग्वेज को जानने वाले ट्रांसलेटर की जॉब करके अच्छी कमाई कर लेते हैं।

सेलेबस से फॉरेन लैंग्वेज को हटाने का कोई ऑफिशियल लेटर फिलहाल नहीं आया है।

- संजय उपाध्याय, क्षेत्रीय सचिव-माध्यमिक शिक्षा परिषद

यूपी बोर्ड सेलेबस से पांच फॉरेन लैंग्वेज को हटा दिया है। इसका कारण है कि इन लैंग्वेज में स्टूडेंट्स नहीं होते हैं।

- रवि प्रकाश श्रीवास्तव, परीक्षा अनुभाग-माध्यमिक शिक्षा परिषद इलाहाबाद