सुबह आठ बजे से पहले ही मैं वोट कास्ट कर चुकी थी.  फस्र्ट टाइम वोट कास्ट करना था, इसलिए ब्रेकफास्ट से पहले ही यहां पहुंच गई। मैंने एक्सपीरिएंस के बेस पर ही वोट कास्ट किया है। मुझे विश्वास है कि यूथ के वोट से ही देश का भविष्य बदलेगा।
-नयन गुरहा, बीटेक स्टूडेंट

मैं अपने दोस्त शैलेंद्र के साथ वोटिंग के लिए आया हूं। हमने पहले से डिसाइड किया था कि पहले वोट करेंगे उसके बाद ही ब्रेक फास्ट करेंगे। हमने बिल्कुल ऐसा ही किया। यूथ वोट करेंगे तो एजुकेटेड प्रत्याशी को मौका मिलेगा।
-मिथुन कुमार, बीटेक स्टूडेंट

मैं फस्र्ट टाइम वोट कास्ट करने आई हूं। कई दिन से इसके  लिए इंतजार कर रही थी। वोट करने के बाद एहसास हुआ कि हमारी भी देश के प्रति जिम्मेदारी है। मैंने वेबसाइट पर प्रत्याशियों का ब्यौरा देखा था, उसके हिसाब से ही वोट किया है।
-चांदनी सिंह, बीए स्टूडेंट

फस्र्ट टाइम वोट करने का क्रेज ही मुझे पोलिंग के पहले घंटे में बूथ तक ले आया। मुझे काफी अच्छा लगा वोट करके। मुझे लगता है एक-एक वोट जरूरी है। इससे ही बदलाव आ सकता है। चुने जाने वाले कैंडिडेट का एजुकेटेड होना बहुत जरूरी है।
-शैलेंद्र कुमार, बीबीए स्टूडेंट

एक्साइटमेंटखींच लाईवापस
फस्र्ट टाइम वोटर बने यूथ में इतना एक्साइटमेंट था कि वे वोट देने के लिए अपने आप को रोक न सके और दूर रहकर पढ़ाई करने के बावजूद शहर पहुंचे। स्नेहा वैला दिल्ली में रहकर सीएस की तैयारी कर रही हैं और साथ ही ओपन कॉलेज से बीकॉम भी। स्नेहा ने बताया कि उसका वोटर आईडी पहली बार बना है। इसलिए काफी एक्साइटेड थी। तहसील में अपना वोट कास्ट करने के बाद उन्होंने कहा कि एक अलग अहसास हो रहा है जो बयान नहीं किया जा सकता। वहीं वुडरो में पहली बार वोट कास्ट करने आई रुड़की से इंजीनियरिंग कर रही आरिबा खान ने कहा कि कंट्री का सिटीजन कहलाने का हक तभी है जब वे अपना वोट कास्ट कर सकें।

पल-पल घनघनाते रहे फोन
कलेक्ट्रेट लाइव

सुबह के 6 बज रहे थे। कलेक्ट्रेट में सक्सेजफुल पोलिंग करवाने के लिए जोड़-तोड़ चल रही थी। कुछ ही देर में सभी पोलिंग बूथों से मॉक पोल शुरू होने की जानकारी आई। कुछ पोलिंग बूथ से पीठासीन अधिकारियों ने कंट्रोल रूम में फोन करके जानकारी दी कि बूथ पर कुछ ही एजेंट मौजूद हैं। इस पर पीडीडीआरडीए रामनरेश ने कहा कि आयोग और एडमिनिस्ट्रेशन के आदेश के अनुसार, जितने एजेंट मौजूद हैं उन्ही के सामने मॉक पॉल कराएं। अनावश्यक देरी न करें। इसके बाद मॉक पोल स्टार्ट हो गया।
घड़ी में 7 बजे ही थे कि कंट्रोल रूम के फोन एक बार फिर बज उठे भोजीपुरा जोगी खेर की 231 बूथ संख्या के पीठासीन अधिकारी लोचन प्रसाद ने बताया कि ईवीएम मशीन ठीक से काम नहीं कर रही है। कंट्रोल रूम से सीधे संबंधित सेक्टर मजिस्ट्रेट को मामले की सूचना दी गई। इसके बाद एक के बाद एक कई पोलिंग बूथ से ये कंप्लेन आई कि ईवीएम सही से काम नहीं कर रही है। कंट्रोल रूम से ऑफिसर्स ने बूथ पर मौजूद इंप्लॉईज से कहा कि घबराएं नहीं। फोन पर निर्देश दिया जा रहा है उसे ध्यान पूर्वक सुनें।
इसी के बाद एक कंप्लेन बहेड़ी से आई कि वहां फोर्स नहीं पहुंची है। कंट्रोल रूम से जवाब दिया गया कि कोतवाल से संपर्क करें। तभी कंट्रोल रूम में कॉल आई कि सेक्टर मजिस्ट्रेट की गाड़ी खराब हो गई है। इसे संबंधित ऑफिसर को फॉरवर्ड किया गया। घड़ी में 7.55 बज रहे थे। तभी रूम में एडीएम सिटी दाखिल हुए। उन्होंने कंट्रोल रूम में बैठे लोगों से कहा कि कंप्लेन रजिस्टर मेंटेन करिए। कुछ देर बाद भोजीपुरा के दोहरा बूथ संख्या 262 से कंप्लेन आई कि लगभग 200 लोगों के नाम वोटर लिस्ट में नहीं हैं। इस पर कंट्रोल रूम से जानकारी दी गई कि जिन लोगों के नाम वोटर लिस्ट में हैं केवल वही अपना वोट कास्ट कर सकते हैं। इसी तरह एक कंप्लेन आई कि जूनियर हाईस्कूल बारादरी के कमरा नंबर एक में कुछ पोलिंग एजेंट अंदर घुसकर जबरन लोगों से वोट कास्ट करवा रहे हैं, जो बाद में फर्जी निकली।

पल पल रखी गई नजर

कलेक्ट्रेट स्थित मीडिया सेल में पत्रकारों को हर दो घंटे के बाद बरेली डिस्ट्रिक्ट में कास्ट हुए वोटिंग परसेंटेज की जानकारी संबंधित आरओ से पूछकर दी जा रही थी।

जब नाराज हुए डीएम
घड़ी में 4.10 बजे थे। डीएम सुभाष चंद्र शर्मा और डीआईजी राजकुमार मीडिया सेल में आए। डीएम की नजर एक चैनल पर गई, जिसमें बरेली का कुल मतदान 50.33 परसेंट दिखाया जा रहा था। डीएम सुभाष चंद्र शर्मा ने इस पर नाराजगी दिखाते हुए कहा कि संबंधित चैनल के रिपोर्टर को फोन लगाओ।

वोट वही जो पिया को भाए
बरेली उन चुनिंदा जगहों में से है, जहां फीमेल वोटर्स की संख्या मेल वोटर्स से ज्यादा है। पोलिंग के दौरान महिलाओं की अच्छी-खासी संख्या लाइनों में लगी भी दिखी। इस कंडीशन में महिलाओं का रुख बहुत हद तक किसी भी कैंडिडेट का भाग्य बदल सकता है। जनरली हमारे आस-पास यही देखने को मिलता है कि घर की महिलाएं अपने पति के कहने पर ही वोट कास्ट करती हैं। उन्हें बता दिया जाता है कि किस निशान पर बटन पुश करना है, वे कर देती हैं। आई नेक्स्ट ने पोलिंग डे पर इसी परंपरा का रियलिटी चेक किया। आई नेक्स्ट ने जानने की कोशिश की कि बरेली की फीमेल वोटर्स ने इंडिविजुअल लेवल पर मतदान किया या फिर वोट वही जो पिया मन भाए का परंपरागत तरीका अपनाया। एक बार फिर वही परंपरागत तस्वीर हमारे सामने आई। आप भी जानिए-
जी हां मैंने अपने पति के कहे अनुसार ही वोट किया है। वह मुझसे ज्यादा घर से बाहर रहते हैं। इसलिए मेरा मानना है कि उन्हें कैंडिडेट के बारे में मुझसे ज्यादा जानकारी है। इस पर उनका कोई प्रेशर नहीं था और आपसी सहमति से मैंने वोट डाला।
-प्रियंका सिंह चौहान

जी बिल्कुल। मैंने उस कैंडिडेट को ही वोट डाला है, जिसके बारे में मेरे हसबैंड ने बताया था। इसमें किसी तरह का कोई प्रेशर भी नहीं है। किसी भी फैसले पर पति-पत्नी की आपसी सहमति का होना जरूरी होता है और मैंने उसी आधार पर वोट डाला है।
-संतोष सिंह

राइट टु रिजेक्ट करने में हुए परेशान
चुनाव आयोग ने मतदाताओं को राइट टु रिजेक्ट का ऑप्शन तो दिया है पर इसे यूज करने वालों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। कहीं रिटर्निंग ऑफिसर्स को ही इसकी जानकारी नहीं है तो कहीं सेक्टर मजिस्ट्रेट भी इसके लिए जूझते नजर आए। मतदान अधिकारियों को भी 49-0 और 17ए जैसे शब्द अंजाने से नजर आए। राइट टु रिजेक्ट का यूज करने वाले वोटर्स से आई नेक्स्ट से अपनी प्रॉब्लम्स शेयर कीं।

मैं लखनऊ यूनिवर्सिटी में बीकॉम का स्टूडेंट हूं। वोट करने यहां आया हूं। इंटरनेट के जरिए प्रत्याशियों की इन्फॉर्मेशन निकाली तो कोई भी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा। मैनें रिजेक्शन फइल किया है। जब मैंने मना किया तो उसने सेक्टर मजिस्ट्रेट को बुलाया।
-अंशुल खन्ना, स्टूडेंट

मैं पुणे में जॉब करता हूं। यहां किसी भी प्रत्याशी पर विश्वास करना मुश्कि ल हुआ तो मैंने राइट टु रिजेक्ट यूज करने का फै सला किया। जब मैं बूथ पर पहुंचा तो मुझे दो घंटे इंतजार करना पड़ा। दरअसल, पोलिंग करवा रहे ऑफिसर्स को ही इसकी जानकारी नहीं थी।
-मयंक अग्रवाल, इंजीनियर

मैंने राइट टु रिजेक्ट यूज किया है। इससे पहले भी लोकसभा के इलेक्शन में मैंने इसका यूज किया था लेकिन आज मुझे इसे यूज करने के लिए पेपर की कटिंग भी दिखानी पड़ी। मुझे किसी भी पार्टी की आइडियोलॉजी पसंद नहीं आई. 
-डॉ। प्रदीप कुमार, लॉ डिपार्टमेंट बीसीबी

राइट टु रिजेक्ट यूज करना अच्छा लगा। पर इसे ईवीएम पर ही होना चाहिए और वह भी गोपनीय। इसका यूज ओपन होने की वजह से वोटर्स यूज करने में डरते हैं। इसका प्रयोग करना वास्तव में कड़ी मशक्कत करने जैसा है। कोई भी प्रत्याशी अपने दायित्व ही नहीं निभाता।
-मनोज चौहान, एलएलबी स्टूडेंट


Report: Abhishek Singh, Amber Chaturvedi, Abhishek Mishra, Nidhi Gupta, Gupteshwar Kumar।
Pic: Hardeep Singh Tony, Jagvendra Patel