-शहर में स्वाइन फ्लू से पहली मौत का मामला आया

-सिटी के बड़े मेडिकल इंस्टीट्यूट में महिला की मौत

-स्वास्थ्य महकमा पूरे मामले को दबाने में जुटा

-शहर में अलर्ट के साथ हेल्पलाइन नंबर भी जारी

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ajeet.pratap@inext.co.in

BAREILLY: देश के कई हिस्सों में कहर बरपाने वाले एचक्एनक् वायरस यानि कि स्वाइन फ्लू ने बरेली में भी ठिकाना बना लिया है। सिटी में इस डेडली वाइरस ने एक महिला को अपने शिकंजे में कस कर उसकी सांसें थाम दी हैं। बरेली में स्वाइन फ्लू के पहले शिकार की खबर फैलते ही हड़कंप मच गया है। हेल्थ डिपार्टमेंट ने अलर्ट भी जारी कर दिया है, हालांकि मामले को दबाने में स्वास्थ्य महकमा पूरी तरह से जुट गया है।

सीबीगंज की महिला बनी पहला शिकार

चौपला स्थित एक हास्पिटल में सीबीगंज की रहने वाली फ्9 वर्षीय अनीता उपाध्याय को करीब क्क् जनवरी को हल्का सर्दी-जुकाम और हाथ पांव में दर्द था। कफ-सिरप और दवाइयों से वह इसे दूर करने का प्रयास करती रहीं। लेकिन फिर तेज खांसी और बुखार होने लगा.इसके बाद परिजनों ने क्9 जनवरी को हॉस्पिटल में एडमिट कराया। डॉक्टर ने नॉर्मल पेशेंट की तरह ही ट्रीटमेंट शुरू कर दिया। लेकिन हालत और खराब होती गई। ख्क् जनवरी को बॉडी में आक्सीजन लेवल भ्0 परसेंट तक जा पहुंचा। इसके बाद महिला को प्रोन-वेंटीलेटर पर रखा गया, जिससे आक्सीजन लेवल 7ख् परसेंट तक पहुंचा। हालांकि हालात में सुधार न होने पर स्वाइन फ्लू का अंदेशा हुआ। इसके बाद ख्ब् जनवरी को टेस्ट के लिए सैंपल भेजा गया। जहां ख्भ् जनवरी को स्वाइन फ्लू डायग्नोज हुआ। हालांकि तक तक देर हो चुकी थी, वायरस ने पूरी तरह से महिला को लपेटे में ले चुका था। रिपोर्ट मिलने के दिन ही अनीता का देहांत हो गया। डॉक्टर के मुताबिक, अनीता डायबिटीक भी थी। जिससे वायरस ने उन्हें तेजी से चपेट में लिया था।

बड़े मेडिकल इंस्टीट्यूट ने भी किया कंफर्म

अनीता को स्वाइन फ्लू होने पर सिटी के एक बड़े मेडिकल इंस्टीट्यूट ने भी मुहर लगाई है। दरअसल, हालत बिगड़ने पर महिला को निजी अस्पताल से एक मेडिकल इंस्टीट्यूट में रेफर कर दिया गया था। जांच के बाद इंस्टीट्यूट ने भी अनीता को स्वाइन फ्लू होने की पुष्टि की है। लेकिन खुलकर बोलने को कोई तैयार नहीं है।

स्वास्थ्य महकमा मामले को दबाने में जुटा

स्वाइन फ्लू की दस्तक होने की पुष्टि शहर के एक मेडिकल इंस्टीट्यूट ने की है। लेकिन स्वास्थ्य महकमे के आलाधिकारियों की ओर से मामले को छिपाया जा रहा है। अनीता उपाध्याय का ट्रीटमेंट कर रहे डॉक्टर ने ट्रीटमेंट के दौरान स्वाइन फ्लू का अंदेशा जताया था। इसकी जानकारी उन्होंने डिस्ट्रिक्ट इंफेक्शियस डिजीज ऑफिसर डॉ। मीसान अब्बास को दी। डॉ। मीसान ने सैंपल को जांच के लिए एजीपीजीआई भेजा। जिसमें स्वाइन फ्लू की रिपोर्ट पॉजिटिव मिली। इसकी सूचना डॉ। मीसान ने ट्रीटमेंट कर रहे डॉक्टर को दी और बिना समय गंवाए पूरे स्टॉफ को एंटी ड्रग लेने की सलाह भी दी थी। लेकिन डॉ। मीसान से बात की गई तो, उन्होंने ऐसी किसी भी प्रकार की जानकारी होने से इंकार कर दिया। वहीं, सीएमओ भी मामले की जानकारी होने से पल्ला झाड़ रहे हैं।

बरेली में पहला मामला

व‌र्ल्ड ऑर्गनाइजेशन फॉर एनिमल हेल्थ की रिपोर्ट के अनुसार यह वायरस सूअरों में है, जो अब इंसानों के बीच तेजी से फैल रहा है। अमेरिका में ख्00भ् से अब तक केवल क्ख् मामले ही सामने आए हैं। जबकि भारत के राजस्थान में करीब भ्0 और दिल्ली में क्8, लखनऊ में क्क् और बरेली में पहला मामला सामने आया है। यह वायरस लगातार अपना स्वरूप बदलता रहता है। जिस पर एंटीबॉडीज का कोई असर नहीं होता। यही वजह है कि वैक्सीन का भी इस वायरस पर असर नहीं होता।

ऐसे लक्षण हों तो सावधान हो जाएं

एक्सप‌र्ट्स मानते हैं कि स्वाइन फ्लू के लक्षण भी सामान्य एन्फ्लूएंजा के लक्षणों की तरह ही हैं। यानि बुखार होना, तेज ठंड लगना, गला खराब हो जाना, मांसपेशियों समेत सिर में तेज दर्द होना, खांसी आना, कमजोरी महसूस करना आदि लक्षण इस बीमारी के दौरान उभरते हैं। लेकिन स्वाइन फ्लू के पेशेंट्स में इन्हीं लक्षणों की मात्रा तीव्र होती है। पेशेंट्स को तेज सूखी खांसी, क्0ब् से क्0भ् डिग्री तक बुखार, बेहद कमजोरी और हाथ पांव में तेज दर्द इसके लक्षण हैं। एक्सपर्ट ने बताया कि इस साल इंसानों में जो स्वाइन फ्लू का संक्रमण हुआ है। वह तीन अलग-अलग वायरस से मिलकर उपजा है। जो कि अमेरिका की सीडीसी यानि सेंटर फॉर डीजीज कंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, जानलेवा है।

यूं फैलता है डेडली वायरस

किसी भी स्वाइन फ्लू वायरस का इंसानों में संक्रमण रेस्पिरेटरी सिस्टम से होता है। पेशेंट के छींकने, खांसने, हाथ न धोने, छूने, हाथ मिलाने, बगैर हाथ धोए मुंह या नाक को छूने से फ्लू होने की संभावना है। वहीं, संक्रमित व्यक्ति द्वारा ऐसे उपकरणों का स्पर्श करना जो दूसरों के संपर्क में भी आता है, उन्हें भी संक्रमित कर सकता है। इसमें दरवाजे के हैंडल, टेलीफोन रिसीवर या टॉयलेट के नल के स्पर्श के बाद स्वयं की नाक पर हाथ लगाने भर से संक्रमित हो सकते हैं। इसके अलावा बस, ट्रेन में यात्रा के दौरान भी संक्रमित व्यक्ति के बैठे, छुए स्थान को छूने से भी फैलता है। वायरस करीब म् घंटों तक जीवित रहता है।

सावधानियां

सामान्य एन्फ्लूएंजा के दौरान रखी जाने वाली सभी सावधानियां वायरस के संक्रमण के दौरान भी रखें। हाथों को साबुन या ऐसे सॉल्यूशन से धोना, नाक और मुंह को हमेशा मॉस्क ये ढकना, जरूरत हो तभी आम जगहों पर जाना, संक्रमण के लक्षण मिलते ही दो दिन में एंटीवायरल ड्रग देना चाहिए। इससे मरीज को राहत संग बीमारी की तीव्रता कम हो जाती है। साथ ही, पेशेंट को हास्पिटलाइज्ड करना चाहिए, ताकि समय रहते इलाज स्टार्ट हो सके।

महिला और बच्चों पर अधिक असर

वैसे तो फ्लू किसी को भी अपने चपेट में ले सकता है। लेकिन भ् साल से कम उम्र के बच्चों, बुजुर्गो, गर्भवती महिलाओं को तेजी से इफेक्ट करता है। इसके अलावा अस्थमा, डायबिटीज और श्वास रोग के पेशेंट्स के लिए यह सबसे अधिक खतरनाक है।

कोट

मां की तबीयत खराब होने के बाद उसे एक निजी अस्सपताल में भर्ती किया गया था। वहां हालत और बिगड़ने पर उसे एक बड़े मेडिकल इंस्टीट्यूट में एडमिट किया गया था। पहले डॉक्टरों ने बताया था कि उन्हें डबल निमोनिया है, बाद में स्वाइन फ्लू की पुष्टि की थी।

-रितेश उपाध्याय, मृत अनीता का बेटा