-- 100 दिन में 68 आग की घटनाएं

-- दो करोड़ से ज्यादा का नुकसान हो चुका है

-- फायर डिपार्टमेंट जूझ रहा संसाधन की कमी से

BAREILLY: गर्मी शुरू होते ही आग लगने की घटनाएं भी बढ़ने लगती हैं। अगर बात बरेली की करें तो वर्ष ख्0क्ब् के क्00 दिन में ही म्8 आग लगने की घटनाएं घट चुकी हैं। देखा जाए तो औसतन तीन दिन में दो जगह आग लग रही हैं। भीषण आग की कहानी बताने के लिए ये आंकड़ें काफी हैं। अभी तक ख् करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान भी हो चुका है, लेकिन फायर डिपार्टमेंट इसे काबू करने के बजाय अपनी कमजोरी को छुपा रहा है। वह हमेशा की तरह संसाधनों की कमी का रोना रो रहा है।

आधे से कम स्टाफ

डिस्ट्रिक्ट में फायर डिपार्टमेंट के सात फायर स्टेशन हैं। इनमें कुल क्क्फ् फायरकर्मियों की जरूरत है, लेकिन मौजूदा समय में भ्फ् फायरकर्मी ही से काम चलाया रहा है। ये संख्या कुल जरूरत के आधे ही हैं। वहीं डिस्ट्रिक्ट में फायर टेंडर सिर्फ क्0 ही हैं, जबकि आवश्यकता क्भ् फायर टेंडर की है। इसके अलावा भी फायर डिपार्टमेंट के पास कई ऐसे इक्विमेंट नहीं है, जिससे आग बुझाने में डिपार्टमेंट को काफी प्रॉब्लम होती है।

नहीं है हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म

ऊंची बिल्डिंग में आग बुझाने के लिए फायर डिपार्टमेंट को हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म यानी फायर क्रेन की जरूरत पड़ती है। इसके अभाव में ऊंची बिल्डिंग तक पानी पहुंचाने में डिपार्टमेंट को काफी समस्या होती है। इसके साथ ही शटर, जाल या अन्य अवरोधक भी काटने में दिक्कतें आती हैं। इसके अलावा डिपार्टमेंट के पास हाई प्रेसर वाटर फायर टेंडर व नोजल भी नहीं है।

नहीं है प्रॉप्रर किट

भीषण आग लगने पर कई बार फायरकर्मियों को बिल्डिंग के अंदर भी इंट्री करनी पड़ती है। इसके लिए उनके पास फायर प्रूफ किट होनी जरुरी होती है। इन्हें फ्लेम प्रूफ क्लाथ भी कहते हैं, जो एक से चार लेयर तक होते हैं, लेकिन बरेली डिस्ट्रिक्ट में ये भी नहीं है। इसलिए बरेली के फायरकर्मी सिर्फ हेल्मेट व रबर गम बूट के सहारे ही आग बुझाने का प्रयास करते हैं।

ख् कॉल निकली फेक

डिस्ट्रिक्ट में ख्0क्ब् में तीन महीनों में आग लगने की 70 कॉल फायर कंट्रोल रूम में पहुंची, जिनमें से दो कॉल फेक निकलीं। इस हिसाब से देखा जाए तो डिस्ट्रिक्ट में तीन दिन में दो आग की घटनाएं हुई हैं। इन घटनाओं में अभी तक ख्,फ्9,म्भ्,800 रुपए का नुकसान हो चुका है। दो लोग अपनी जान भी गंवा चुके हैं। हालांकि दो लोगों की जान बचाने में फायर डिपार्टमेंट कामयाब रहा।

ख्0क्ब् में आग लगने की बड़ी घटनाएं

क्ब् जनवरी- स्टेट बैंक ऑफ जयपुर एंड बीकानेर, सिविल लाइंस

फ्क् जनवरी- नरेंद्र सक्सेना का घर, गली नंबर- म्, कर्मचारी नगर

क्ब् फरवरी- गुरुनानक कॉस्मेटिक एंड जनरल स्टोर, राजेंद्र नगर

ख्7 फरवरी- भगवान दास का घर, रेलवे कॉलोनी, सुभाषनगर

क् मार्च- एलएमएल मोटर शोरूम, पीलीभीत बाईपास

क्9 मार्च- स्वराज ट्रेडर्स, बड़ा बाजार

इनवर्टर की वजह से लगी आग

मामा फोम इंवर्टर की वजह से आग लगने की बात सामने आई है। शोरूम के मालिक संतोष अग्रवाल ने फायर डिपार्टमेंट को बताया कि शॉप बंद थी, लेकिन पीछे के हिस्से में इनवर्टर ऑन था। इनवर्टर के वायर जलने से ही आग लगने की संभावना जताई जा रही है। वहीं फायर डिपार्टमेंट का कहना है कि इसकी जांच की जा रही है। आग में कितने का नुकसान हुआ इसका आंकलन नहीं किया जा सका है।

रात भर बुझानी पड़ी आग

मामा फोम हाउस में थर्सडे शाम 7 बजे लगी आग इतनी बड़ी थी जो फ्राइडे सुबह तक लगी रही। आग बुझाने में फायर डिपार्टमेंट की पांच व एयरफोर्स की एक गाड़ी लगी रही। फायर टेंडर में पानी भरने के लिए फायर डिपार्टमेंट हेड ऑफिस, होटल ओवराय, भ्ब् सिविल लाइंस, रत्‍‌नदीप कांप्लेक्स, गुजराल टावर व विशाल मेगा मार्ट के वाटर पंपों से पानी लेना पड़ा। इसकी वजह से ग्राउंड फ्लोर व बेसमेंट में रखे सामान को पूरी तरह से बचा लिया गया।

मिसबिहेव पर िलखा लेटर

मामा फोम हाउस में लगी आग को बुझाने के लिए फायर डिपार्टमेंट ने एयरफोर्स की हेल्प मांगी थी। एयरफोर्स की एक गाड़ी 9 बजे और दूसरी गाड़ी पौने दस बजे पहुंची। दूसरी गाड़ी पूरी तरह से खराब निकली। वहीं एक गाड़ी में पहुंचे फायरकर्मियों ने कुछ देर काम करने के बाद सीएफओ से रिप्लेसमेंट मांगा। जब रिप्लेसमेंट देने से इंकार किया गया तो फायरकर्मियों ने सीएफओ से मिसबिहेव किया। मिसबिहेव के चलते सीएफओ ने एयरफोर्स के फायरकर्मियों के खिलाफ एक्शन लेने के लिए लेटर लिखा है। वहीं फरीदपुर फायर स्टेशन के एक कर्मचारी द्वारा डयूटी में लापरवाही बरतने पर उससे जवाब मांगा गया है।

बंद जगह में ही क्यों लगती है आग

अमूमन सिटी में जितनी भी बड़ी घटनाएं आग की सामने आई हैं, उनमें बिल्डिंग, मकान, या शॉप बंद ही मिले। इसके पीछे की असली वजह पर सवाल उठना लाजिमी है। आखिर बंद मकान और शॉप में ही आग क्यों लगती है? क्या इसे महज एक संयोग कहें या फिर साजिश? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिनका उत्तर खोजना अभी बाकी है। हालांकि देखने में ये भी आया है कि इंश्योरेंस लेना भी इसके पीछे की अहम वजह हो सकती है।

ये घटनाएं हैं उदाहरण

फ्क् मार्च को कर्मचारी नगर में बंद घर में आग लगने की घटना हुई। घर के मुखिया ने फायर डिपार्टमेंट को बताया कि घर में कोई मौजूद नहीं है, जबकि रेस्क्यू हुआ तो बाद में एक महिला बेहोशी की हालत में घर से निकली। रेलवे कॉलोनी में भी बंद घर में आग लगी, जिसमें जलकर भगवान दास व उनकी पत्‍‌नी की मौत हो गई। इसी तरह एलएमएल शोरूम में भी मार्निग में आग लगी, लेकिन जब आग लगी तो शोरूम बंद था। बड़ा बाजार में स्वराज ट्रेडर में आग लगी तब भी शॉप बंद थी। सिटी स्टेशन के सामने बैंक में भी आग बंद होने के समय लगी थी। वहीं थर्सडे को भी मामा फोम हाउस में आग उस वक्त लगी जब शोरूम छुट्टी का दिन होने के चलते बंद था।