-- निगम से संपत्ति और टैक्स की सबसे ज्यादा फाइलें गायब
-- मामले पर मेयर गंभीर विभाग को दिए सख्त निर्देश
केस-1 निगम के कंस्ट्रक्शन वर्क का कॉन्ट्रैक्ट लेने वाले अवतार कृष्ण ने पिछले सात साल पहले गणेशगंज में रोड मेंटनेंस और बदायूं रोड पर नाला का काम कराया था। करीब 12.50 लाख रुपए का पेमेंट न होने पर उन्होंने मेयर से मदद की गुहार लगाई। डिपार्टमेंट ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि उनके पास बकाया राशि की फाइल ही नहीं है।
केस-2 निगम के पूर्व पार्षद स्व। अशोक मेहरोत्रा की ओर से टैक्स विभाग में अनियमितताओं को लेकर 2007 में सीएम को कंप्लेन की गई थी। शासन के निर्देश पर तत्कालीन अपर नगर आयुक्त ने कंप्लेन वाले बिंदुओं पर जांच की आख्या मांगी, लेकिन सात साल बाद भी आख्या पर कार्रवाई नहीं हुई। फाइल से अहम दस्तावेज गायब हैं। इस लापरवाही पर मेयर ने नगर आयुक्त को दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए।
केस-3 बरेली क्लब ने निगम की तरफ से ज्यादा टैक्स लगाए जाने को लेकर कोर्ट में अपील की। कोर्ट ने निगम को इसे सही करने के निर्देश दिए। मेयर ने उपनगर आयुक्त इस मामले की फाइल अवेलबेल कराने को कहा, लेकिन उपनगर आयुक्त ने फाइल न होने की बात कही।
BAREILLY: नगर निगम से फाइल गुम होना नई बात नहीं है। यह सिलसिला वर्षो पुराना है। बताया जाता है कि इसकी आड़ में हेराफेरी का खेल खेला जा रहा है। नगर निगम से कंस्ट्रक्शन, टैक्स निस्तारण, निगम की जमीन और संपत्ति कई अहम फाइलें गायब हो चुकी हैं, जिनका न तो कोई सिरा तलाशा जा सका और न ही इसके जिम्मेदार लोगों की पहचान हो पाई। इसका नतीजा यह है कि घपलों, हेराफेरी, गड़बडि़यों और करप्शन के कई मामलों की जांच सिर्फ इसी वजह से दम तोड़ रही है। वहीं नगर आयुक्त से लेकर मेयर की कोशिश बेअसर साबित हो रही है।
डॉक्यूमेंट मूवमेंट रजिस्टर नहीं
फाइलों की प्रोपर प्रोसेसिंग, रिसिविंग और एंट्री के लिए कोई मजबूत सिस्टम नहीं है। नगर आयुक्त और मेयर ऑफिस के अलावा निगम के किसी भी विभाग में डॉक्यूमेंट मूवमेंट रजिस्टर नहीं यूज किया जाता है। इस वजह से हेराफेरी के चक्कर बाबू और अधिकारी फाइल को गायब करने से भी नहीं हिचकते हैं। वे बहुत आसानी से अपनी जवाबदेही से बच निकलते हैं।
संपत्ति्ा से जुड़ी फाइलें गायब
निगम में संपत्ति से जुड़े मामलों की सबसे ज्यादा फाइलें गायब हुई हैं, जिसका खामियाजा निगम के अलावा पब्लिक को भी उठाना पड़ा है। राजेन्द्र नगर में बाबा छोटे लाल की जमीन पर बने निजी अपार्टमेंट्स की बात हो या विकास भवन के पास एक इंक्लेव की ओर से निगम की जमीन हड़पने का मामला। निगम को अपनी करोड़ों की जमीन और संपत्ति से हाथ धोना पड़ा है। ऐसे मामलों में अपना कब्जा जताने के लिए निगम के पास अपने ही डॉक्यूमेंटस अवेलबेल नहीं हुए।
टैक्स के मामलों में भी गड़बड़ी
निगम पर टैक्स निस्तारण को लेकर म्00 से ज्यादा केसेस कोर्ट में चल रहे थे, जिनमें से करीब क्भ्8 पर ही फैसला हो सका है। निगम के खिलाफ कई टैक्सपेई पर गलत टैक्स लगाने के आरोप लगे हैं। पुराने रेट के टैक्स से जुड़ी कई फाइलें नदारद हैं। ऐसे में ज्यादा टैक्स जमा करने वालों को न्याय नहीं मिल सका है।
स्टॉक रजिस्टर बनाने की कवायद
अब विभाग ने कर्मचारियों व बाबुओं पर जवाबदेही तय करने को लेकर मेयर ने स्टॉक रजिस्टर प्रोसीजर शुरू करने के निर्देश दिए हैं। नई व्यवस्था में हर विभाग के बाबू के पास एक स्टॉक रजिस्टर होगा, जिसमें बाबू को अपने पास आने वाली हर फाइल का ब्यौरा दर्ज करना होगा। इस पर उच्चाधिकारियों के साइन भी होंगे। बाबू का ट्रांसफर होने पर वह इस रजिस्टर का चार्ज नए बाबू को देकर विदा लेगा। इसके बावजूद फाइल गायब होने पर बाबू की जवाबदेही तय होगी और उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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निगम में जल्द ही स्टॉक रजिस्टर मेंटेन किए जाएंगे। अपर नगर आयुक्त को इसका परफॉर्मा तैयार करने की जिम्मेदारी दी जाएगी। बेहतर क्वालिटी के ऐसे रजिस्टर तैयार किए जाएंगे, जिनकी लाइफ करीब भ्0 साल तक हो। इस व्यवस्था से फाइल व रिकार्ड्स गायब नहीं होंगे।
- डॉ। आईएस तोमर, मेयर
गायब फाइल को देखते हुए उन पर लगाम लगाने के लिए स्टॉक रजिस्टर की कवायद शुरू की जा रही है। मेयर के निर्देश मिलने के बाद अगले कुछ दिनों में इसे हर विभाग में शुरू कर दिया जाएगा। इसके बावजूद अगर फाइल गायब हुई तो जिम्मेदार बाबूओं पर कार्रवाई होगी। - -- उमेश प्रताप सिंह, नगर आयुक्त