BAREILLY: पुरुषों के साथ कदमताल कर रही आधी आबादी को जब वोट डालने का मौका मिला तो यहां पर भी वे किसी से कमतर नहीं बल्कि दो कदम आगे ही निकलीं। घर की दहलीज लांघकर उन्होंने दिल खोलकर वोटिंग की। पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। दिल्ली के निर्भया केस के बाद जो क्रांति का बीज फूटा उसने सबसे ज्यादा महिलाओं को ही झकझोरा। देश भर में इसके विरोध में आंदोलन हुए, जिसमें महिलाओं की अग्रणी भूमिका रही। इस घटना के बाद महिलाओं में जो जागरूकता आई उसी का नतीजा है कि पोलिंग के दौरान घंटों लाइन में लगकर महिलाओं ने जमकर भागीदारी की।
58% महिलाओं ने की वोटिंग
मतदान में इस बार महिलाएं पुरुषों को टक्कर देती नजर आई। पोलिंग सेंटर पर जहां एक तरफ पुरुषों की भीड़ देखने को मिली वहीं दूसरी तरफ महिलाएं भी लंबी-लंबी लाइन में मतदान के लिए खड़ी नजर आई। चाहे बात पहली बार वोट डालने वाली गर्ल्स की हों या फिर घूंघट में कैद रहने वाली महिलाओं कीं। मतदान के अधिकार की बारी आई तो यह सब घर की दहलीज लांघकर पोलिंग सेंटर्स पर पहुंच गई। बरेली सीट पर भ्8.8ख् परसेंट महिलाओं ने वोटिंग की, जिसे अब तक सबसे बेहतर परफॉर्मेस माना जा रहा है। महिलाओं की बढ़-चढ़कर रही भागीदारी का ही नतीजा है कि बरेली के ओवरऑल पोलिंग परसेंटेज ने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। वहीं पुरुषों की वोटिंग पर्सेटेज की बात करें तो महिलाओं से थोड़ा ही आगे रहे। उनकी पोलिंग म्फ्.ख्0 परसेंट रही। बरेली सीट पर महिला वोटर्स की संख्या 7,भ्ख्,ख्फ्9 है। इसमें से ब्,ब्ख्,ब्7फ् ने वोट किया। जबकि पुरुषों की संख्या 9,क्0,भ्97 है, जिसमें से भ्,7भ्,भ्क्म् ने वोट किया। टोटल वोटिंग परसेंटेज में से महिलाओं की भागीदारी की बात करें तो उन्होंने ब्फ्.ब्म् पर्सेट वोट किया।
ख्009 में ब्भ्.क्7 परसेंट वोटिंग
पिछले भ् वर्षो में महिलाओं की सोच में काफी बदलाव आया है। लोकसभा इलेक्शन के आंकड़ों पर गौर करें तो यह बदलाव साफ नजर आता है। ख्009 में महिला वोटर्स की संख्या म्,फ्8,भ्म्7 थी, जिसमें से सिर्फ ख्,88,ब्ब्7 महिला वोटर्स ने वोटिंग की। यहां पर महिलाओं का वोटिंग परसेंटेज ब्भ्.क्7 रहा। जबकि पुरुष वोटर्स की संख्या 7,म्ख्,8भ्म् थी। जिसमें से ब्,क्7,क्ख्भ् ने वोटिंग की। यहां पर पुरुषों का वोटिंग परसेंटेज महिलाओं से कहीं ज्यादा भ्ब्.म्7 परसेंट रहा। पिछले भ् वर्षो में महिलाओं के संदर्भ में ऐसी बयार बही कि उनका वोटिंग प्रतिशत क्भ् पर्सेट बढ़ गया।
डिसिजन मेकिंग की क्षमता बढ़ी
एक्सपर्ट्स की मानें तो पिछले कुछ वर्षो में महिलाओं की सोच और महिलाओं को लेकर समाज के सोचने के नजरिए में काफी बदलाव आया है। महिलाओं में डिसिजन मेकिंग की क्षमता बढ़ी है। अब वे हर मुद्दे पर सशक्त रूप से अपना डिसिजन लेती हैं और प्रमुखता से उसे स्पष्ट भी करती हैं। यही नहीं सिक्योरिटी को लेकर महिलाएं ज्यादा संजीदा हुई हैं। यही वजह है कि सिस्टम बदलने के लिए उन्होंने वोटिंग जैसा कारगर हथियार अपनाया है। महिलाओं की सशक्त भूमिका को देखते हुए परिवार में भी उनको अहम स्थान मिलने लगा है। यह सभी वजह कारगर हैं महिलाओं को घर की दहलीज से पोलिंग बूथ तक खींचने के लिए
एरिया टोटल वोट पोल्ड पर्सेटेज
मेल फीमेल मेल फीमेल
बरेली सिटी क्,ख्क्,ब्भ्म् 88,क्फ्8 भ्म्.ब्म् भ्0.90
बरेली कैंट 99,0फ्9 70,8फ्ख् भ्भ्.7भ् ब्8.87
मीरगंज क्,क्ख्,फ्77 9ख्,9क्7 म्भ्.7ब् म्फ्.98
भोजीपुरा फ्,फ्0,8भ्भ् क्,ख्म्,भ्90 म्9.म्म् म्म्.9क्
नवाबगंज फ्,0भ्,00भ् क्,क्म्,0भ्ब् 70.ख्म् म्ब्.9ब्
महिलाओं में सिक्योरिटी की भावना प्रबल रही। इन्हें लगा कि सरकार बेहतर होगी तो महिलाओं के हित में कार्य करेगी। इसलिए पुरुषों के साथ मिलकर सरकार बनाने में समान भागेदारी कर अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन किया। इन्हें कानून और समाजिक सपोर्ट के अहसास ने हौंसला दिया। इनमें डिसीजन मेकिंग की क्षमता का विकास हुआ है। महिलाओं को घूंघट में कैद करने वालों के बजाय हमकदम बनाने वालों की संख्या में इजाफा होना भी मेन रीजन बना। रुरल एरिया की महिलाओं ने आगे बढ़कर वोट के हक को कहीं बेहतर ढंग से निभाया है।
- प्रो। रीना, लॉ एक्सपर्ट
महिलाएं संवेदनशील और धैर्य की मिसाल रही हैं, लेकिन हर चीज की सीमा होती है। पिछले कुछ सालों में महिलाओं पर हो रहे अत्याचार पर उन्होंने खामोशी के साथ वोट की चोट की। साथ ही जब हर फ्रंट पर महिलाएं अपना वर्चस्व कायम कर रही हैं। तो लोकतंत्र बनाने के प्रॉसेस से कैसे अलग रह सकती थीे। एंटीइंकम्बैसी फैक्टर ज्यादा हावी था। इन्हें लगा कि अब कुछ करना है इसकी शुरुआत अब नहीं की तो कभी नहीं कर पाएंगे। यह रिवोल्यूशन की शुरुआत है, जो इस बार के वोटिंग से शुरु की गई है।
-प्रो। आशा चौबे, महिला प्रॉक्टर, आरयू