150 से ज्यादा hostlers
बीडीए हॉस्टल में सीनियर स्टूडेंट्स के ठहरने की व्यवस्था की गई है। यहां पर पांच ब्लॉक्स हैं जिनमें करीब 150 से भी ज्यादा स्टूडेंट्स ठहरे हुए हैं। इनमें से भी करीब 80 परसेंट स्टूडेंट्स बीटेक सेकेंड, थर्ड और फोर्थ ईयर के हैं। सभी के खाने की व्यवस्था के लिए एक मेस है। वहीं हॉस्टल एडमिनिस्ट्रेशन की मानें तो हॉस्टल में 24 घंटे वाटर सप्लाई है। साथ ही पीने के साफ पानी के लिए 3 वाटर कूलर और एक्वागार्ड की व्यवस्था का भी दावा कर रहा है।
बत्ती हमेशा रहती है गुल
स्टूडेंट्स का आरोप है कि एडमिशन के समय हॉस्टल में फैसिलिटीज प्रोवाइड करने को लेकर बड़े-बड़े दावे किए गए थे। 24 घंटे वाटर और इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई का ख्वाब दिखाया गया। इस वर्ष फीस 5,500 रुपए से बढ़ाकर 10,000 रुपए कर दी गई लेकिन हॉस्टल की बत्ती हमेशा गुल रहती है। 12-12 घंटे से ज्यादा की बिजली कटौती रहती है। जेनरेटर न होने की वजह से कई प्रॉब्लम्स होती हैं। दिन में गर्मी सताती है और रात में अंधेरे में पढ़ाई नहीं हो पाती।
खुद लगाने पड़ते हैं बल्ब
स्टूडेंट्स का यह भी आरोप है कि कमरों में उन्हें बल्ब की व्यवस्था खुद ही करनी पड़ती है। यदि पंखा खराब हो जाए तो उसे रिपेयर कराने के लिए कई दिनों तक चक्कर काटना पड़ता है। काफी मान-मनौव्वल के बाद जाकर वह रिपेयर हो पाता है।
खराब पड़े हैं एक्वागार्ड
हॉस्टल एडमिनिस्ट्रेशन कैंपस में तीन एक्वागार्ड युक्त वाटर कूलर होने का दावा कर रहा है लेकिन दो ही वाटर कूलर लगे हैं। एक्वागार्ड काम नहीं करता। लाइट न होने से उनमें पानी नहीं रहता। रहता भी है तो स्टूडेंट्स को टंकी का गंदा पानी पीना पड़ता है।
इंटरटेनमेंट के लिए कुछ नहीं
कॉमन रूम में स्टूडेंट्स के इंटरटेनमेंट के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। इस वजह से वह अक्सर बंद ही रहता है। स्टूडेंट्स ने बताया कि कॉमन रूम में टीवी की कोई व्यवस्था नहीं है और न ही इंडोर गेम्स के लिए कुछ है। जबकि इंटरटेनमेंट के लिए चार्ज फीस में इंक्लूड होता है। स्टूडेंट्स ने बताया कि हॉस्टल में मैगजीन, न्यूजपेपर्स आदि कुछ भी मंगाया नहीं जाता। स्टूडेंट्स खुद ही उसकी व्यवस्था करते हैं।
रात में रहता है अंधेरा
हॉस्टल कैंपस में स्ट्रीट लाइट्स के पोल तो लगे हैं, लेकिन अधिकांश की ट्यूब लाइट या तो खराब पड़ी हैं या फिर लगी ही नहीं। रात में कमरों के बाहर अंधेरा रहता है।
अनहाइजीनिक है कैंपस
हॉस्टल के कैंपस में सफाई की कोई खास व्यवस्था नहीं है। यह तस्वीर देखकर इसका साफ अंदाजा लगाया जा सकता है। कैंपस में जगह-जगह कूड़े के ढेर हो गए हैं। वॉश बेसिन तो ऐसा लगता है कि जमानों से साफ ही नहीं किया गया है। स्टूडेंट्स ने बताया कि सफाई के लिए हमेशा कर्मचारियों के साथ हुज्जत करनी पड़ती है। वॉश रूम तो स्टूडेंट्स खुद ही साफ कर लेते हैं। मेस की भी कंडीशन अनहाइजीनिक है। गंदे बर्तन में ही खाना परोस देते हैं। कहने के बावजूद कुछ असर नहीं पड़ता।
खराब पड़े हैं हैंडपंप
हॉस्टल के कैंपस में कई जगह हैंडपंप लगाए हैं लेकिन मेस के सामने के अलावा बाकी सभी हैंडपंप काफी टाइम से खराब पड़े हैं। नल से जो टंकी का पानी आता है वह भी गंदा होता है। स्टूडेंट्स ने बताया कि अक्सर नल में काला पानी आता है। रात में तो वह भी नहीं आता।
हॉस्टल में साफ-सफाई का ध्यान नहीं रखा जाता। कई दिन बीत जाते हैं पर सफाई नहीं कराई जाती। कमरों के बाहर कूड़े का ढेर जमा हो जाता है। मेस में भी सफाई व्यवस्था नहीं है। जिस बर्तन में खाना परोसा जाता है वह भी अक्सर गंदा ही रहता है। कैंपस के अनहाइजीनिक कंडीशन की वजह से स्टूडेंट्स अक्सर बीमारी से ग्रस्त रहते हैं। हॉस्टल में इंडोर गेम्स और टीवी की भी कोई व्यवस्था नहीं है.
- आनंद पाल, स्टूडेंट
लाइट न होने से काफी प्रॉब्लम होती है। दिन में कमरे के बाहर दिन गुजारते हैं और रात में अंधेरे की वजह से भी वही हाल रहता है। जेनरेटर की सुविधा नहीं है। हम लोगों की पढ़ाई इफेक्ट होती है। पीने के पानी की बड़ी दिक्कत है। नल से काला पानी आता है। ऐसा लगता है कि टंकी की बरसों से सफाई नहीं कराई गई। 150 से भी ज्यादा स्टूडेंट्स का भार दो वाटरकूलर्स पर है लेकिन लाइट न होने की वजह से उसका भी कोई फायदा नहीं है।
- उपमन्यु, स्टूडेंट
हॉस्टल की फीस डबल करने पर उम्मीद जगी थी कि अब सारी सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी। फीस तो बढ़ी लेकिन हॉस्टल और उनमें रहने वाले हॉस्टलर्स की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। आज भी हमारी डिमांड वही पुरानी हैं। हॉस्टल की बिल्डिंग को रिपेयर किया गया लेकिन टंकी नहीं बनाई गई। एडमिनिस्ट्रेशन से कई बार शिकायत की गई पर कोई सुनवाई नहीं हुई। अब तो हमें उनसे कोई उम्मीद नहीं है।
- रोहन, स्टूडेंट
हॉस्टल में सुधार के लिए एमाउंट पहले ही सेंक्शन हो चुका है। हॉस्टल में फैसिलिटीज प्रोवाइड करने की पूरी कोशिशें की जा रही हैं। थोड़ा टाइम तो लगेगा ही। धीरे-धीरे कमियां दूर कर ली जाएंगी। हॉस्टल की बिल्डिंग का रेनोवेशन पहले ही करा लिया गया था। बाकी कमियों को भी दूर करने का प्रयास जारी है।
- डॉ। विजय बहादुर सिंह यादव, चीफ वॉर्डन