शिक्षामित्रों के हेल्थ सर्टिफिकेट बनवाने में अवैध वसूली पर कसी नकेल

सीएमएस ऑफिस में बनवाए गए सर्टिफिकेट, ओपीडी में हुई जरूरी जांच

आई नेक्स्ट की खबर पर असर, दलालों ने चुपके से वापस किए पैसे

BAREILLY:

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में शिक्षामित्रों के हेल्थ सर्टिफिकेट बनाए जाने में ख्00 रुपए की खुली वसूली के खेल का खुलासा होने के बाद आखिरकार जिम्मेदारों की भी नींद टूटी। सैटरडे को सीएमएस डॉ। डीपी शर्मा ने शिक्षामित्रों के हेल्थ सर्टिफिकेट बनवाने की प्रोसेस पर खुद निगहबानी की। खुफिया कैमरे के डर से दलाल और कर्मचारी खुलेआम पैसे लेने से हिचकते रहे। आई नेक्स्ट ने सैटरडे को हॉस्पिटल में चल रही वसूली के खेल का खुलासा प्रमुखता से किया था, जिसके बाद मुफ्त बनाए जाने वाले हेल्थ सर्टिफिकेट को बिना मेडिकल जांच ख्00 रुपए में बेचने का खेल सैटरडे को ठप पड़ गया।

जांच के बाद बने सिर्टफिकेट

फ्राइडे को जहां बिना डॉक्टरी जांच के ही शिक्षामित्रों को ख्00 रुपए लेकर हेल्थ सर्टिफिकेट थमाकर फिट डिक्लेयर किया जा रहा था। वहीं खुलासे के बाद सैटरडे को बकायदा ओपीडी में आई चेकअप व फिजिशियन की मेडिकल जांच में पास होने के बाद ही शिक्षामित्रों को हेल्थ सर्टिफिकेट थमाए गए। शिक्षामित्रों के पर्चे पर डॉक्टरी चेकअप के साइन होने के बाद ही हेल्थ सर्टिफिकेट जारी किए गए। दलालों ने सैटरडे सुबह भी कुछ शिक्षामित्रों से पैसे ऐंठ लिए थे, लेकिन फंसने के डर से चुपचाप जाकर कइयों को उनके पैसे वापस कर दिए।

सीएमएस ऑफिस में बने सिर्टफिकेट

हेल्थ सर्टिफिकेट बनाने में दिन दहाड़े वसूली का खेल उजागर होने के बाद हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन भी सवालों में घिर गया। साख पर बट्टा लगता देख सैटरडे को हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन ने हेल्थ सर्टिफिकेट बनवाने की प्रोसेस कॉर्डियोलोजी विभाग के ऊपरी हॉल में न कराकर सीएमएस ऑफिस में कराई। खुद सीएमएस ने शिक्षामित्रों को किसी भी कर्मचारी व दलाल को पैसे न देने की कड़ी हिदायत दी। वहीं बीच-बीच में जाकर हेल्थ सर्टिफिकेट बनाने में जुटे कर्मचारियों पर कड़ी निगरानी भी रखी।

जांच में फेल होने का दिखाया था डर

शिक्षामित्रों को मेडिकल जांच में फेल होने और हेल्थ सर्टिफिकेट में सेहतमंद न होने का डर दिखलाकर पैसों की वसूली की जा रही थी। बिना पैसे दिए जांच कराने के बाद हेल्थ सर्टिफिकेट पाने वाले शिक्षामित्रों ने यह बात कुबूल की। शिक्षामित्रों ने बताया कि उन्हें बिना पैस दिए आई चेकअप व मेडिकल फिटनेस में कमजोर दिखाए जाने का डर दिखलाया गया। साथ ही सर्टिफिकेट पाने में कई घंटे लगने की बात कही गई। इस झंझट से बचने को ही उनसे पैसों की मांग की जा रही थी, जिसे ज्यादातर शिक्षामित्रों ने फ्राइडे को मान लिया था।

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वर्जन

सर्टिफिकेट बनवाने में पैसा देने की बात सुनी थी लेकिन मुझसे कोई पैसा नहीं मांगा गया। ओपीडी में जांच हुई और एक घंटे के बाद हेल्थ सर्टिफिकेट मिल गया। - सरिता सिंह, शिक्षामित्र

मुझसे किसी ने हेल्थ सर्टिफिकेट के लिए ख्00 रुपए की मांग नहीं की है। जांच के बाद हेल्थ सर्टिफिकेट के लिए लाइन में लगी हूं। खुश हूं पैसे नहीं देने पड़े। - गीतेश्वरी शर्मा, शिक्षामित्र

मुझसे एक आदमी ने ख्00 रुपए लिए थे। बिना पैसे दिए हेल्थ सर्टिफिकेट न बन पाने की बात की। मैनें पैसे दे दिए। लेकिन यहां फोटों खिंचने के बाद उस आदमी ने पैसे वापस कर दिए। - आशीष शर्मा, शिक्षामित्र

अवैध वसूली की खबर पब्लिश होने और इसकी कंप्लेन मिलने के बाद सभी को कड़ी चेतावनी दी गई। ऑफिस में ही हेल्थ सर्टिफिकेट बनवाए गए। शिक्षामित्रों को किसी को पैसे न देने और मांगने वालों की कंप्लेन करने के निर्देश दिए। - डॉ। डीपी शर्मा, सीएमएस