दुनिया में तेजी से पंाव पसार चुकी बीमारी हर साल छीन रही लाखों जिंदगी
शुरुआती लक्षण पहचान 4 घंटे के अंदर एक्सपर्ट डॉक्टर के ले जाएं मरीज
BAREILLY: पैरालिसिस, ब्रेन स्ट्रोक या आम बोलचाल में कहे तो लकवा पूरी दुनिया में तेजी से लाखों लोगों को हर साल अपनी चपेट में ले रही है। हार्ट अटैक, कैंसर व इंफेक्शन के बाद लकवा ही वह बीमारी है जिसने पिछले कुछ साल में सबसे ज्यादा लोगों की जाने ली हैं। अमेरिकी रिसर्च के मुताबिक हर ब् सेकेंड्स में दुनिया भर में पैरालिसिस की बीमारी एक नया शिकार बना रही है। वहीं औसतन हर ब् मिनट में पैरालिसिस से एक मरीज की मौत हो रही है। साल ख्0क्क् में पैरालिसिस दुनिया भर में सबसे ज्यादा मौतों की वजह बना। इस दौरान म्0 लाख लोग इस बीमारी से अपनी जान गवां बैठे। ऐसे में इस बीमारी के लक्षणों की जल्द पहचान कर इससे बचाव की जानकारी समझना बेहद जरूरी है।
जुटे आईएमए के जिम्मेदार
ख्9 अक्टूबर को वर्ल्ड पैरालिसिस डे के मौके पर आईएमए बरेली के डॉक्टर्स ने इस बीमारी के खिलाफ एक प्रेस कान्फ्रेंस की। आईएमए प्रेसीडेंट डॉ। रवि खन्ना, डॉ। राम सिंह कुशवाहा, डॉ। अनिल गुप्ता और डॉ। सोमेश मेहरोत्रा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बीमारी के बारे में जानकारी दी। ब्रेन स्ट्रोक या पैरालिसिस तीन तरह का होता है। पहला इश्मिक स्ट्रोक जिसमें दिमाग की नसों में खून की क्लॉटिंग हो जाती है। दूसरा हेमोरजिक स्ट्रोक जिसमें दिमाग की नसे फट जाती हैं। इसे ब्रेन हेमरेज भी कहते हैं। वही तीसरी ट्रांसजिएंट स्ट्रोक होती है, जिसमें दिमाग की नसों में क्लॉटिंग होने के कुछ देर बाद ही यह सही हो जाती है। डॉक्टर्स के मुताबिक दुनिया में 8भ् फीसदी केसेज इश्मिक स्ट्रोक के और क्भ् फीसदी हेमेरेजिक स्ट्रोक के हाेते हैं।
महिलाओं में केसेज कम पर खतरा ज्यादा
पैरालिसिस के केसेज महिलाओं की तुलना में पुरुषों में ज्यादा पाए जाते हैं। हार्ट अटैक की ही तरह पैरालिसिस भी महिलाओं को अपना शिकार कम बनाता है। लेकिन इसके बावजूद महिलाओं में पैरालिसिस से होने वाली मौतों का रिस्क फैक्टर पुरुषों से ज्यादा होता है। इसकी वजह महिलाओं का शुगर लेवल व बीपी बढ़ा होना, मोटापा होना, परिवार नियोजन की दवाएं लेना, प्रेग्नेंसी के दौरान शुगर होना व माइग्रेन समेत कम देखभाल होने जैसी वजहें जिम्मेदार हैं। इसके चलते पैरालिसिस के केसेज में जहां हर म् में से एक आदमी की मौत होती है। वहीं महिलाओं में यह आंकड़ा हर भ् में से क् मौत का है।
समझे एक्ट 'फास्ट' को
पैरालिसिस के खतरे को कम करने और इसका अटैक पड़ने पर तुरंत कारगर कदम उठाना बेहद जरुरी है। इसके लिए डॉक्टर्स 'फास्ट' को फॉलो करने की सलाह देते हैं। एफ यानि फेस का एक ओर झुक जाना इसका पहला लक्षण है। ए यानि आर्म्स या हाथ का पूर तरह न उठना पैरालिसिस की दूसरी पहचान है। एस यानि स्पीच या बोलने में दिक्कत होना इस बीमारी का तीसरा बड़ा लक्षण है। इन तीन लक्षणों से पैरालिसिस की पहचान होने पर टी यानि टाइम मैनेजमेंट फॉलो करें। पैरालिसिस का अटैक पड़ने पर तुरंत आईसीयू सुविधा वाले नजदीकी हॉस्पिटल ले जाएं। न्यूरोसर्जन-न्यूरोफिजिशियन से संपर्क करें।
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पैरालिसिस के लक्षण
एक ओर से हाथ-पैर कमजोर पड़ना या सुन्न होना।
चेहरे का टेढ़ा हो जाना या एक ओर लटक जाना।
आवाज में लड़खड़ाहट, साफ बोलने में दिक्कत।
अचानक एक या दोनों आंखों की रोशनी चली जाना।
चलने फिरने में तकलीफ होना, बैलेंस का बिगड़ना।
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पैरालिसिस की बड़ी वजहें
अधिक उम्र
हाई ब्लड प्रेशर
शराब पीना-स्मोकिंग
मोटापा
डायबिटीज
दिल की अनियमित धड़कन
असंतुलित लाइफ स्टाइल
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जान बचा लेंगे ब्.फ्0 घंटे
पैरालिसिस अटैक पड़ने के शुरुआती ब्.फ्0 घंटे बेहद अहम होते हैं। इस समय में अगर मरीज को इलाज मिल जाए तो उसकी रिकवरी के चांसेज 90 फीसदी तक बढ़ जाते हैं। न्यूरोसर्जन-न्यूरोफिजिशियन न होने पर समय न बर्बाद करें, अनुभवी क्रिटिकल केयर एक्सपर्ट से भी शुरुआती इलाज लें।