और पेट्रोल ने लगा दी आग
एक बार फिर पेट्रोल की कीमतें बढऩे की खबर आते ही पेट्रोल पंप्स पर टू व्हीलर्स ही नहीं फोर व्हीलर्स की भी लाइन लग गई। कुछ पंप्स पर तो पेट्रोल ही खत्म हो गया और भीड़ की हड़बड़ाहट में एक सर्विस स्टेशन पर पाइप ही टूट गया। ऐसे में जिन लोगों को इमरजेंसी में फ्यूलिंग करानी थी उन्हें काफी परेशानी हुई। वहीं सभी लोगों में बढ़े रेट को लेकर जबरदस्त गुस्सा था। किसी को अपने घर का बजट बिगडऩे की चिंता है तो किसी को पॉकेट मनी की। ऐसे में चुप बैठने से काम नहीं चलेगा। पेट्रोल में लगी इस आग की तपिश बरेलियंस में देखने को मिली। देर रात यूपी उद्योग व्यापार संगठन ने अय्यूब खां चौराहे पर मोमबत्ती जलाकर गाडिय़ों की अर्थी निकाली। इसमें महानगर अध्यक्ष विशाल मेहरात्रा, अजय, अनिल और अतुल समेत काफी लोग शामिल रहे।टूट गया पाइप
बढ़े हुए दाम की खबर फैलते ही पेट्रोल पंप पर भीड़ लगी तो हड़बड़ी में कोहाड़ापीर पर ड्राइव वेल सर्विस स्टेशन पर पेट्रोल भरने वाला फ्यूल पंप ही टूट गया। इस दौरान कु छ पेट्रोल भी नीचे गिर गया। उस पर तुरंत रेत आदि डालकर सुखाया गया। इतनी देर में पेट्रोल पंप पर अच्छी-खासी भीड़ लग चुकी थी।
बंद हुए पेट्रोल पंप
पेट्रोल के दाम बढ़ते ही सिटी के कुछ पेट्रोल पंप पर स्टॉक ही खत्म हो गया। हालांकि पेट्रोल पंप मालिकों ने इसकी वजह समय से डिलीवरी न मिलना बताया। सबसे पहले शाम पांच बजे कोहाड़ापीर के हीरालाल जैन पेट्रोल पंप पर पेट्रोल खत्म हो गया। यहां मशीन पर पेट्रोल खत्म होने का नोटिस चिपका दिया गया। पंप मालिक प्रशांत जैन ने बताया कि डिलीवरी न आने से पेट्रोल खत्म हो गया है। इसके बाद रात 8 बजे सिविल लाइंस के सैनिक पेट्रोल पंप पर पेट्रोल खत्म हो गया।
पेट्रोल पर पंगा
पेट्रोल के महंगे होने की खबर आते ही डीडीपुरम के हरिओम सर्विस स्टेशन पर बाइक्स और कारों की लंबी लाइन लग गई। शाम छह बजे से शुरू हुई यह लाइन देर रात तक लगी रही। यहां कार में फ्यूल डलवाने को लेकर तू तू, मैं मैं भी हुई। हुआ यूं कि एक कार में तकरीबन एक घंटे से लाइन में लगे हसबैंड-वाइफ बैठे थे। पर एक जनाब बीच में ही लाइन में आ गए। बस फिर क्या था, कपल का पारा चढ़ गया। वे बाहर निकल आए और शब्द बाणों के वार होने लगे। इसके बाद वहां मौजूद कुछ लोगों ने उन्हें शांत किया।
विरोध प्रदर्शनों का दौर
ट्रेड यूनियन के संजीव मेहरोत्रा ने बताया कि पेट्रोल प्राइस हाइक पर बीटीयूएफ थर्सडे को अय्यूब खां चौराहा पर विरोध प्रदर्शन करेगी। होल सेल व्यापारी दर्शन लाल भाटिया ने बताया कि होल सेल रेडीमेड एंड हौजरी एसोसिएशन फ्राइडे को पेट्रोल के दाम बढऩे के विरोध में पटेल चौक पर प्रदर्शन करेगी।
पता नहीं यह सरकार चाहती क्या है। अब तक तो दो या एक रुपए ही बढ़ते थे। पर इस बार तो सीधे आठ रुपए बढ़ रहे हैं। ऐसे में घर का बजट बुरी तरह गड़बड़ा जाएगा। पर हम तो आम जनता हैं ना।
-राघवेंद्र मेहरोत्रा
मुझे थर्सडे मॉर्निंग में नैनीताल जाना है। इसीलिए रात में ही फ्यूलिंग कराने चला आया था। पर यहां तो पहले से ही इतनी भीड़ लगी है। पता नहीं एक दिन में कितनी बचत कर लेंगे बरेलियंस।
-देवांग
सरकार तो बिल्कुल ही भावनाहीन हो चुकी है। पब्लिक के लिए तो कुछ सोचती ही नहीं है। पर एक दिन में भीड़ लगाकर पब्लिक भी कितना पैसा बचा लेगी। यहां तो केवल समय ही बर्बाद हो रहा है।
-एचएस विष्ट
दाम तो बढ़ ही गए हैं, पर क र भी क्या सकते हैं। हर बार दाम इतने तो नहीं बढ़ते हैं पर इस बार तो हद ही हो गई है। एक साथ आठ रुपए बढ़ाना तो आम जनता का शोषण ही है।
-ऋषि
पेट्रोल के दाम बढऩे से मेरी तो पॉकेट मनी ही बर्बाद हो जाएगी। अब तो फ्रेंड्स के साथ शेयरिंग करनी ही पड़ेगी। सरकार तो जब मन करता है तब ही दाम बढ़ा देती है।
-धान्या खुराना
सरकार ने फोड़ा पेट्रोल बम
-सरकार का बर्थडे गिफ्ट पेट्रोल की कीमतों में 7.50 रुपए की बढ़ोतरी
-तीन सालों में 47 परसेंट महंगा हुआ है पेट्रोल
मंगलवार को अपने तीन साल पूरे करने वाली सरकार ने बुधवार को बर्थडे गिफ्ट के रूप में आम जनता की जेब को जलाते हुए पेट्रोल की कीमत में 7.50 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी कर दी। ये बढ़ी हुई कीमतें आधी रात से लागू हो गई हैैं। पेट्रोल की कीमतों में एक साथ ये अब तक की सबसे बड़ी बढ़ोतरी है। संसद का बजट सेशन खत्म होते ही इस तरह पेट्रोल के दाम बढ़ाने से विपक्षी पार्टियों के साथ यूपीए की अलायंस पार्टियां भी हैरान हैैं। पेट्रोल की कीमतें बढऩे के संकेत उस वक्त मिल गए थे जब पब्लिक सेक्टर की ऑयल कंपनी इंडियन ऑयल के चेयरमैन ने कहा था कि पेट्रोलियम कंपनियों को प्रति लीटर पेट्रोल बेचने पर करीब आठ रुपए का घाटा हो रहा है।
3 साल में 16 बार बढ़े हैं दाम
इस इजाफे के साथ ही पिछले 3 सालों में पेट्रोल की कीमतों में करीब 23 रुपए का इजाफा किया जा चुका है। वहीं डीजल को लेकर ये आंकड़ा 8 रुपए प्रति लीटर है। दिलचस्प है कि पिछले तीन साल के दौरान पेट्रोल की कीमतों में 16 बार इजाफा किया गया है और यह 47 परसेंट महंगा हुआ है। 3 साल पहले पेट्रोल की कीमत करीब 44 रुपए प्रति लीटर थी, वहीं 7.50 रुपए के इजाफे से पहले ये आंकड़ा 67 रुपए के आस-पास बना हुआ था।
कब-कब बढ़े दाम
26 जून, 10 : 3.50 रुपए/लीटर
8 सितंबर, 10 : 0.13 रुपए/लीटर
21 सितंबर, 10 : 0.27 रुपए/लीटर
17 अक्टूबर, 10 : 0.76 रुपए/लीटर
9 नवंबर, 10 : 0.32 रुपए/लीटर
16 दिसंबर, 10 : 2.96 रुपए/लीटर
16 जनवरी, 11 : 2.50 रुपए/लीटर
15 मई, 11 : 5.00 रुपए/लीटर
1 जुलाई, 11 : 0.33 रुपए/लीटर
16 सितंबर, 11 : 3.14 रुपए/लीटर
4 नवंबर, 11 : 1.80 रुपए/लीटर
23 मई, 12 : 7.50 रुपए/लीटर
-पिछले 3 सालों में पेट्रोल की कीमतों में करीब 23 रुपए का इजाफा किया जा चुका है, जबकि पिछले एक साल में यह करीब दस रुपए रहा है।
-सेंट्रल और स्टेट गवर्नमेंट तकरीबन 48 परसेंट टैक्स जनता से वसूल करती हैं।
-हर स्टेट में टैक्स रेट अलग होने के कारण पेट्रोल की कीमतें भी अलग होती हैैं।
-गोवा में टैक्स सबसे कम 0.1 परसेंट लिया जाता है, जबकि आंध्र प्रदेश में यह सबसे अधिक 38 परसेंट है।
-पेट्रोल पर टैक्स से सेंट्रल और स्टेट गवर्नमेंट के खजाने में 1.6 लाख करोड़ रुपए जमा होते हैैं।
पेट्रोल का अर्थशास्त्र कीमत से दोगुना टैक्स
पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी की एक बड़ी वजह खुद इसका अर्थशास्त्र है। ऑयल कंपनियों द्वारा तैयार किया गया ऑयल कंपैरिटिवली काफी सस्ता होता है, लेकिन सेंट्रल और स्टेट गवर्नमेंट द्वारा लगाया जाने वाला टैक्स कंज्यूमर्स की गाड़ी तक आते-आते पेट्रोल को महंगा कर देता है। यह टैक्स पेट्रोल की टोटल कॉस्ट का तकरीबन 48 परसेंट होता है। इसमें सेंट्रल गवर्नमेंट 24 परसेंट और स्टेट गवर्नमेंट 23.4 परसेंट टैक्स वसूलती है। बाकी पेट्रोल पंप ओनर का कमीशन होता है। हम बेंगलुरू का एग्जांपल लेते हैं, जहां पेट्रोल की कीमत इस इजाफे से पहले 71 रुपए के करीब थी। यहां एक लीटर पेट्रोल में 33.69 रुपए तो टैक्स के रूप में सरकार के खाते में चले जाते हैं। इसमें सेंट्रल गवर्नमेंट के टैक्स का हिस्सा 17.06 रुपए है, जबकि स्टेट गवर्नमेंट के हिस्से में 16.63 रुपए आता है। हर स्टेट में वैट का रेट अलग-अलग है, इसीलिए वहां पेट्रोल की कीमतें भी अलग-अलग होती हैैं। इस लिहाज से गोवा सबसे सस्ता है, जहां टैक्स महज 0.1 परसेंट है। वहीं पुडुचेरी में 15 परसेंट और आंध्र प्रदेश में यह सबसे अधिक 38 परसेंट है। ये टैक्स सरकारों के सबसे भरोसेमंद रेवेन्यू रिसोर्सेज हैं। सेंट्रल और स्टेट गवर्नमेंट के खजाने में 1.6 लाख करोड़ रुपए इसी रास्ते से आते हैं।