- एआरटीओ ऑफिस में नहीं मिला कोई रिकॉर्ड

- फर्जी लाइसेंस पर बदायूं डिपो में भर्ती हुए थे कर्मचारी

BAREILLY:

फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस के माध्यम परिवहन निगम की बसों को दौड़ाने वाले संविदा चालकों, परिचालकों पर वेडनसडे को गाज गिर गई। अधिकारियों की मिलीभगत के चलते बदायूं डिपों में दो दर्जन से अधिक संविदा कर्मचारियों की भर्ती हुई थी। मजे की बात यह है कि, फर्जी लाइसेंस पर ही ये शातिर स्टॉफ पैसेंजर्स की जान जोखिम में डालकर सालों से बसों को दौड़ा रहे थे। बदायूं डिपो में नियुक्त किए गए चालक, परिचालकों के लाइसेंस फतेहगढ़ के एआरटीओ ऑफिस से बने थे। लेकिन, मामला सामने पर जब छानबीन शुरू हुई तो वहां

कोई रिकॉर्ड नहीं मिला।

फ्ब् पर गिरी गाज

सोर्सेज से मिली जानकारी के मुताबिक बदायूं डिपो के अधिकारियों ने इन संविदा कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया भी स्थानीय स्तर पर ही पूरी कर ली गयी थी। लेकिन जब इस मामले ने तूल पकड़ा तो, अधिकारियों ने अपनी गर्दन बचाने के लिए फर्जी ढंग से भर्ती हुए चालकों को बली का बकरा बनाना शुरू किया। वेडनसडे को इसी कड़ी में फ्ब् संविदा चालकों और परिचालकों पर कार्रवाई की गयी। इन सभी को बदायूं डिपो के एआरएम जेपी सिंह ने काम से हटा दिया गया।

लेकिन इनका क्या

छोटों की बली और बड़ों को खरोंच तक नहीं। जी हां, इस मामले में यही बात छन कर सामने आ रही है। फर्जी ढंग से परिवहन निगम में संविदा पर भर्ती करने वाले रिलेटेड अधिकारी अभी मौज कर रहे है। सवाल यह उठता है कि, जब इन कर्मचारियों की भर्ती हुई तो, उस समय डॉक्यूमेंट की जांच क्यों नहीं की गयी। उसी समय इनकी भर्ती प्रक्रिया पर रोक क्यों नहीं लगायी गयी। इस संबंध में जिम्मेदार अधिक गोल मटोल बातें करते रखे। खैर देखने वाली बात यह है कि, आने वाले दिनों में दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई होती है या नहीं।

फर्जी ढंग से भर्ती हुए कर्मचारियों पर कार्रवाई की गई है। यदि, इस मामले में डिपो के अधिकारी भी दोषी पाए जाते है तो, मामले की जांच कर उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।

एसके शर्मा, आरएम, परिवहन निगम