-2020 फरवरी में सेटेलाइट बस स्टैंड में बस में मिला था कथित विस्फोटक

-2.5 क्विंटल संदिग्ध पदार्थ मिला था

-15 दिन काटी थी जेल फिर जमानत पर रिहा

-3.5 महीने पर आई रिपोर्ट से पता चला नहीं था विस्फोटक

- पिछले साल फर्रुखाबाद डिपो की बस में पकड़ा गया था कथित विस्फोटक

- ड्राइवर-कंडक्टर को भेजा गया था जेल, करीब तीन महीने बाद किए गए थे रिहा

पुलिस की जल्दबाजी व लापरवाही के चलते कई अन्य मामलों में भी बेगुनाह काट चुके हैं जेल

बरेली: घटनास्थल या मौके पर पुलिस को जो कोई मिला, पुलिस अक्सर उसे ही आरोपी समझ लेती है। कई मामलों लापरवाही व जल्दबाजी के चलते पुलिस अपनी गर्दन बचाने के लिए उन्हीं संदिग्धों को आरोपी बनाकर जेल भी भेज देती है। ऐसा ही पिछले साल सेटेलाइट पर फर्रुखाबाद डिपो की रोडवेज बस में पकड़े गए ढाई क्विंटल विस्फोटक के मामले में हुआ। खेप पकड़े जाते ही विस्फोटक, आतंकवाद और धमाकों की अफवाह शहर में हवा की तरह दौड़ने लगी थीं। ऐसे में पुलिस ने भी जल्दबाजी करते हुए एफएसएल रिपोर्ट के बिना ही बस के ड्राइवर और कंडक्टर को जेल भेज दिया था, जोकि बाद में मामला गलत पाए जाने पर बेगुनाह करार दिए गए और मामला भी रफादफा करना पड़ा।

संडे के दिन फैला था खौफ

पिछले साल दो फरवरी को इंटेलिजेंस के इनपुट पर बारादरी पुलिस ने सुबह तड़के ही नकटिया और सेटेलाइट के बीच एक फर्रुखाबाद डिपो की बस को पकड़ लिया था। पुलिस को बस के लगेज केबिन में चार बोरियों में भरा करीब ढाई क्विंटल संदिग्ध पदार्थ मिला था। जोकि प्रथम दृष्टया बिस्फोटक बताया गया था। ऐसे में संडे के दिन ही बस में बिस्फोटक मिलने की अफवाह पूरे शहर में आग की तरफ फैल गई थी। पुलिस प्रशासन में भी हड़कंप मच गया था। वहीं बस के कंडक्टर व ड्राइवर को पुलिस, एटीएस व इंटेलिजेंस ने हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी थी। वहीं पीलीभीत ले जाए जाने की बात पर मामला नेपाल बॉर्डर से भी जोड़ दिया था। अगले ही दिन मामले में पांच लोगों पर रिपोर्ट दर्ज कर पुलिस ने दो को जेल भी भेज दिया था।

जेल में काटे थे कई दिन

पुलिस कार्रवाई के बाद ड्राइवर हाफिझगंज के रहने वाले मुनीष कुमार और मैनपुरी के कंडक्टर सुधीर को पुलिस ने जेल भेज दिया था। साथ ही संदिग्ध पदार्थ का सैंपल भी फॉरेंसिक जांच को भेजा गया। लेकिन करीब साढ़े तीन महीने बाद आई जांच में सामने आया कि संदिग्ध पदार्थ कुछ और नहीं बल्कि फुलझडि़यों, महताब व अन्य मामूली पटाखों में इस्तेमाल होने वाला चमकीला पदार्थ है। लेकिन रिपोर्ट पुलिस तक पहुंचने से पहले ही दो निर्दोषों को करीब 15 दिनों तक सलाखों के पीछे रहना पड़ा था। काफी मशक्कत और सख्त पैरवी के बाद ही दोनों को जमानत मिल सकी थी।

लगी एफआर, माल ले गया कारोबारी

अब संदिग्ध पदार्थ को लेकर एफएसएल की रिपोर्ट आने के बाद सब कुछ साफ होने पर सामने आया कि पूरा मामला सिर्फ अफवाह और तथ्यों की कमी के कारण ही तूल पकड़ा था। साथ ही दो लोगों को इसके चक्कर में जेल भी काटना पड़ी थी। निष्पक्ष जांच के बाद बारादरी पुलिस ने करीब सात महीने पहले फाइनल रिपोर्ट लगाकर मामले को खत्म कर दिया। वहीं फर्रुखाबाद, पीलीभीत और बरेली के दर्ज किए गए आरोपियों को भी क्लीन चिट दी गई। वहीं चार दिन पहले ही फर्रुखाबाद के कारोबारी का एक कर्मचारी थाने में सील पड़े माल को अपने साथ वापस भी ले गया।

पहले भी बेगुनाहों को मिली सजा

केस-1 जेल में काटे 11 महीने

साल 2019 में बिथरी पुलिस ने हाईवे पर स्थित एक ईंट भट्टे से आठ क्विंटल डोडा से लदी एक ट्रैक्टर ट्रॉली बरामद की थी। साथ ही मौके से ही कुछ लोगों को गिरफ्तार करने के बाद आठ लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई थी। लेकिन बाद में सामने आया था कि नामजद एक युवक रिजवान महज मौके पर पेशाब करने रुका था, और पुलिस ने उसे पकड़ लिया। पुलिस की लापरवाही के चलते रिजवान को 11 महीनों की सजा भी काटनी पड़ी थी। लेकिन अब मामला साफ होने के बावजूद रिजवान को क्लीन चिट नहीं मिल सकी है।

केस: 2 नाम के फेर पर काटनी पड़ी जेल

साल 2019 में इज्जतनगर क्षेत्र की बैरियर वन चौकी क्षेत्र में हुई डकैती के मामले में पुलिस ने सुभाषनगर के रहने वाले एक व्यक्ति मनोज कश्यप को चिह्नित किया था। जिसे की पुलिस ने पकड़कर जेल भी भेज दिया। लेकिन फिर उसके परिवार की शिकायत पर जब मामले की जांच कराई गई तो सामने आया कि वह बेकसूर है। उसी के मोहल्ले के उसके नामाराशी ने साथी बदमाशों के साथ डकैती डाली थी। लेकिन पुलिस की लापरवाही के चलते उसे करीब एक महीना जेल काटनी पड़ी थी।