जांच के बाद पता चलेगा
रामबेही ने बताया कि उन्होंने फरवरी 2011 को हॉस्पिटल से नसबंदी करवाई थी। मगर वह प्रेगनेंट हो गई है। इस पर डॉ। शम्मी ने बताया कि चूंकि इस मामले में काफी समय बीत चुका है। इसलिए बिना जांच के कुछ भी कहना पॉसिबल नहीं है। अगर ऐसा हुआ है तो गाइडलाइन के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी।
लिया निशा केस का संज्ञान
ट्यूजडे को एडमिनिस्ट्रेशन ने निशा के नसबंदी फेल्योर मामले का संज्ञान लिया। डॉ। मंजरी ने डॉ। शम्मी को डायरेक्शन दिए हैं कि निशा की दोबारा जांच की जाए। प्रेगनेंसी डेट की तस्दीक करके अगर पॉसिबल हो तो एबॉर्शन या दोबारा नसबंदी कर दी जाए। डॉ। मंजरी नारायण का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग के नोटिफिकेशन के अकॉर्डिंग, 10 फीसदी मामलों में नसबंदंी फेल्योर हो सकती है। इसके लिए बाकायदा स्वास्थ्य विभाग की गाइड लाइन है और मुआवजे की व्यवस्था रखी गई है।
पैसे मांगने पर सख्ती
निशा ने काउंसलर पर आरोप लगाया था कि उसने ऑपरेशन से पहले 500 रुपए और बाद में 200 रुपए लिए थे। पैसों की डिमांड पर सख्त रुख अख्तियार करते हुए उन्होंने दो दिन के अंदर काउंसलर पद्मा मिश्रा से स्पष्टीकरण मांगा है। डॉ। मंजरी ने पूरे मामले पर डॉ। शम्मी को सभी काउंसलर्स को चेतावनी जारी करने के डायरेक्शन दिए हैं ताकि आगे से पैसे मांगने के मामले सामने न आए।