रजिस्ट्रेशन की समय सीमा

- 20 साल के लिए होता है बस का रजिस्ट्रेशन

- 15 साल के लिए होता बाइक और कार का रजिस्ट्रेशन

- 12 साल के लिए होता है ट्रक का रजिस्ट्रेशन

- 10 साल के लिए होता है सीएनजी ऑटो का रजिस्ट्रेशन

फीगर स्पीक

- 5 लाख से अधिक वाहन शहर में पंजीकृत हैं

- 2 लाख से अधिक वाहन एक्सपायर हो चुके हैं

- 4 हजार नए वाहन हर माह रजिस्टर्ड होते हैं

ये है प्रावधान

- 2,000 से 5,000 रुपए तक है जुर्माने का प्रावधान है पहली बार पकड़ जाने पर

- 10,000 रुपए जुर्माने और एक साल की सजा है दोबारा यही अपराध करने पर

- डेट खत्म होने बाद भी वाहन ओनर्स नहीं कराते री-रजिस्ट्रेशन

- नियमों की उड़ रहे धज्जियां, लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहे

BAREILLY: सिटी की सड़कों पर दौड़ रहे लाखों वाहन एक्सपायर हो चुके हैं, लेकिन इसकी फिक्र न तो व्हीकल्स ओनर्स को और न ही विभाग को है। यही वजह है कि रोड एक्सीडेंट में इजाफा हो रहा है। इतना ही नहीं इन वाहनों से पॉल्यूशन लेवल भी बढ़ रहा है। बरेली की बात करें तो बाइक, एलएमवी, ऑटो, गुड्स कैरियर सहित तमाम प्रकार के वाहन एक्सपायर होने की कैटेगरी में आ चुके हैं।

री-रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी

एमवी एक्ट के मुताबिक कॉमर्शियल वाहनों को छोड़ दिया जाए तो कार व बाइक के रजिस्ट्रेशन क्भ् साल और सीएनजी ऑटो का रजिस्ट्रेशन क्0 साल के लिए होता है। रजिस्ट्रेशन की समय सीमा पूरे होने के बाद वाहनों की जांच करवा कर री-रजिस्ट्रेशन करवाना आवश्यक होता है। जांच में फिट पाए जाने पर ही अगले पांच साल के दोबारा रजिस्ट्रेशन जारी किया जाता है। ऐसा नहीं होने पर वाहनों को ऑफ रोड कर दिया जाता है।

नियमों को रखा ताक पर

सिटी में बाइक, एलएमवी, ऑटो, गुड्स कैरियर सहित टोटल वाहनों की संख्या भ् लाख से अधिक है। हर महीने फ् से ब् हजार नए वाहन आरटीओ ऑफिस में रजिस्टर्ड हो रहे हैं। सोर्सेज से मिली जानकारी के मुताबिक बरेली में करीब ख् लाख वाहनों का रजिस्ट्रेशन एक्सपायर हो चुका है। एक्सपायर हो चुके रजिस्ट्रेशन में टू व्हीलर, फोर व्हीलर, ऑटो और गुड्स सभी शामिल है। अगर इनकी प्रॉपर जांच की जाए तो मैक्सिमम वाहन ऐसे हैं जो मानक से कहीं अधिक पॉल्यूशन फैला रहे हैं, जबकि इन्हें नियमों के मुताबिक ऑफ रोड कर दिया जाना चाहिए।

क्998 के पहले के एक्सपायर

एमवी एक्ट के नियमों के मुताबिक वर्ष क्998 के पहले के जितने भी बाइक और कार हैं उनके रजिस्ट्रेशन एक्सपायर हो चुके हैं, जबकि ऑटो ख्00ब्, हैवी गुड्स ख्00ख् और अराष्ट्रीयकृत मार्गो पर चल रहे बस के जितने भी रजिस्ट्रेशन वर्ष क्99ब् के पहले के हैं उनकी भी डेट एक्सपायर हो चुकी है। अगर वाहनों की सीरिज की बात करें तो, ए, बी, सी, डी, ई, एफ, जी और एच सीरिज के सभी वाहन एक्सपायर के कैटैगरी में आ चुके हैं।

सिर्फ ट्रांसफर के समय रजिस्ट्रेशन

जिन वाहनों का रजिस्ट्रेशन एक्सपायर हुआ है उनका री-रजिस्ट्रेशन सिर्फ ट्रांसफर के समय ही करवाया जा रहा है। नियमों के मुताबिक किसी भी वाहन का अन्य व्यक्ति के नाम पर ट्रांसफर करने से पहले वाहन का रजिस्ट्रेशन होना आवश्यक है। यदि वाहन का रजिस्ट्रेशन एक्सपायर हो चुका है तो री-रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया के बाद ही उसका ट्रांसफर किया जा सकता है।

पॉल्यूशन और एक्सीडेंट के कारण

रजिस्ट्रेशन एक्सपायर होने पर ऑफिसर्स द्वारा वाहनों की प्रॉपर जांच के बाद ही री-रजिस्ट्रेशन अगले पांच साल के लिए किए जाते हैं, जबकि ऑटो के री-रजिस्ट्रेशन हर साल किए जाते हैं, लेकिन प्राय: ऐसा नहीं हो रहा है, जिसकी वजह से मियाद पूरी कर चुके वाहनों में कई तरह की खामियां होती हैं। इतना ही नहीं ये खटारा वाहन मानक से कहीं अधिक पॉल्यूशन छोड़ते है। यह इंवायरमेंट के साथ-साथ लोगों के लिए काफी खतरनाक है।

एक करोड़ से अधिक टैक्स

आलम यह है कि आरटीओ विभाग का करोड़ों रुपए का टैक्स वाहन ओनर्स के पर बकाया है। ऑफिसर्स की मानें तो सभी टैक्स मिलाकर यह आंकड़ा एक करोड़ रुपए से अधिक का है, लेकिन विभाग की उदासीनता के कारण नतीजा सिफर ही रहा है।

ये है प्रावधान

एमवी एक्ट क्988 के सेक्शन ब्क् ए 8 में री रजिस्ट्रेशन के नियमों का उल्लेख है। धारा क्9ख् के तहत एक्सपायर होने के बावजूद वाहन के उपयोग पर पहली बार पकड़े जाने पर ख्,000 से भ्,000 रुपए जुर्माने का प्रावधान है। वाहन मालिक द्वारा अगर दोबारा यही अपराध किया जाता है तो एक साल की सजा और दस हजार तक जुर्माने का प्रावधान है।

इस तरह के वाहनों की संख्या कम नहीं है, जिनके रजिस्ट्रेशन की मियाद पूरी हो चुकी है। वाहन ओनर्स की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे रजिस्ट्रेशन की डेट पूरा होने के बाद दोबारा री-रजिस्ट्रेशन करवाए। जांच में ओके पाए जाने के बाद ही री-रजिस्ट्रेशन किए जाते हैं।

- संजय सिंह, एआरटीओ, बरेली