बरेली(ब्यूरो)। हाथ में सिगरेट और मुंह में तंबाकू चबाने को कई लोग आज भी टशन मानते हैैं। लेकिन, जब यह शौक जीवन और जेब पर भारी पडऩे लगता है तो इस से निजात पाने के लिए अस्पताल का रुख करने लगते हैैं। चिकित्सक बताते हैं कि लोग शुरू में नशे का सेवन शौकिया तौर पर करते हैैं, लेकिन धीरे-धीरे उस पर निर्भर हो जाते हैैं। नशे के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर वर्ष 31 मई को मनाया जाता है विश्व तंबाकू दिवस मनाया जाता है। इस बार की थीम वी नीड फूड नॉट तंबाकू है।
युवाओं की संख्या अधिक
तंबाकू का सेवन करने वाले लोगों में युवाओं की संख्या अधिक हैैं। जिला अस्पताल स्थित मन कक्ष में अपनी इस लत को छुड़ाने के लिए हर माह 80 से 90 युवा आते हैैं। ऐेसे युवाओं की काउंसलिंग की जाती है। साथ ही बताया जाता है कि यह लत धीरे-धीरे छुट जाती है, बस इस के लिए मन में इच्छाशक्ति होना जरूरी है। मन कक्ष में आने वाले इन युवाओं को निकोटिन रिप्लेसमेंट थेरेपी भी दी जाती है, जिस में उन्हें निकोटिन युक्त च्विंग गम दी जाती है।
नहीं बनता प्रेशर
जिला अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉ। आशीष बताते हैैं कि उन के पास कई ऐसे मरीज आते हैैं जो कहते हैं, उन्होंने नशा शौकिया तौर शुरू किया था, लेकिन अब यह आदत बनने के बाद जेब पर बोझ बन रहा है। महंगा होने के कारण मैैं इसे यूज नहीं करना चाहता, काफी रुपए इस में वेस्ट हो जाता है। कई मरीज कहते हैं कि बिना तंबाकू खाए उन का प्रेशर नहीं बनता तो कोई कहता है कि सिगरेट के बिना उन्हें घबराहट होने लगती है। साथ ही बेचैनी महसूस होती है। ऐसे में इन पेशेंट्स की काउंसलिंग की जाती है, साथ ही निकोटिन रिप्लेसमेंट थेरेपी दी जाती है।
आते हैैं स्टूडेंट्स
मन कक्ष में आने वाले युवाओं में स्कूल व कॉलेज के स्टूडेंट्स भी शामिल होते हैैं। साथ ही ऐसे लोग भी आते हैैं जिन्हें शुरूआती दौर का ट्यूमर हो चुका होता है। ऐसे में मरीज डर के कारण भी इस आदत को छुड़ाने के लिए अस्पताल का रुख करते हैैं।
दिलाई गई शपथ
एसआरएमएस मेडिकल कॉलेज में बुधवार को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया गया। कैंसर विभाग के डॉ। दीक्षा चतुर्वेदी, डॉ। हिमांशी खट्टर, डॉ। देवेश पांडेय, डॉ। अनीश कोरगांवकर, डॉ। सोमदत्ता सिंगा व नर्सिंग स्टूडेंट्स ने नुक्कड़ नाटक के जरिए तंबाकू खाने से होने वाले दुष्परिणामों को बताया। साथ ही अवेयर भी किया। रेडिएशन ओंकोलॉजी डिपार्टमेंट के एचओडी व कैंसर विशेषज्ञ प्रोफेसर डॉ। पियूष कुमार ने मरीजों और तीमारदारों को खुद तंबाकू न खाने और दूसरे किसी को भी इसे खाने पर रोकने की शपथ दिलाई। डॉ। अनीश कोरगांवकर ने सब ही के सामने सिगरेट की डिब्बी तोड़ कर भविष्य में कभी सिगरेट न पीने की शपथ ली। डॉ। पियूष ने कहा कि तंबाकू से मुंह के कैंसर के साथ ही खाने की नली का कैंसर, पेशाब की नली का कैंसर, फेफड़ों का कैंसर, किडनी का कैंसर हो सकते हैं।
परामर्श से कराएं उपचार
ऐसी स्थिति में बिना घबराए अनुभवी और कुशल कैंसर विशेषज्ञ और संस्थान में परामर्श से इलाज कराएं। आरआर कैंसर इंस्टीट्यूट व रिसर्च सेंटर में रेडिएशन ओंकोलॉजी के साथ मेडिकल और सर्जिकल ऑन्कोलॉजी के साथ कीमोथेरेपी, हार्मोनल थेरेपी, इम्यूनोथेरेपी, टारगेटेड थेरेपी भी की जा रही है। डॉ। अनिकेत जाधव और डॉ। पल्लवी गौड़ ने लोगों के सवालों के जवाब दिए। कॉलेज स्थित आरआर कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर में सात दिवसीय विशेष कैंसर स्क्रीनिंग कैंप आयोजित किया गया। डॉ। पियूष कुमार के अनुसार 25 मई से 31 मई तक संचालित इस कैंप में करीब 800 मरीज पहुंचे। इस मौके पर प्रिंसिपल एयर मार्शल (रिटायर्ड) डॉ। एमएस बुटोला, डिप्टी एमएस डॉ। सीएम चतुर्वेदी, डॉ। पवन कुमार, डॉ। आयुष गर्ग, डॉ। राशिका सचान, डॉ। संयमिता जैन मौजूद रहे।