- फरवरी में एक बार फिर एग्जाम फोबिया की चपेट में स्टूडेंट्स
- स्टूडेंट्स से ज्यादा पैरेंट्स कंसर्न, इमोशनली प्रेशर के शिकार बच्चे
- एक्सपर्ट्स के पास आने लगे काउंसलिंग के लिए कॉल्स
BAREILLY: फरवरी का आधा पखवाड़ा बीतने के साथ ही बोर्ड एग्जाम्स की डेट भी नजदीक आ चुकी है। साल भर पढ़े सिलेबस को इन चंद दिनों में समेटने का प्रेशर ठंड में भी स्टूडेंट्स के माथे पर पसीना ला रहा है। स्टूडेंट्स के लिए यह समय मुट्ठी में बंद फिसलती रेत की तरह और और सिलेबस पहाड़ सरीखा हो गया है। फरवरी में होने वाला एग्जाम फोबिया एक बार फिर स्टूडेंट्स पर हावी है, लेकिन बेहतर रिजल्ट लाने का प्रेशर सिर्फ एवरेज या कमजोर स्टूडेंट्स पर ही नहीं है। दबाव के इस दौर से एक्सीलेंट व स्मार्ट स्टूडेंट्स भी बुरी तरह जूझ रहे हैं। या यूं कहें कि बोर्ड एग्जाम्स का सबसे ज्यादा स्ट्रेस तो इन्हीं स्मार्ट स्टूडेंट्स के सिर पर सवार है, जिनसे क्लासरूम से लेकर घर व सोसाइटी को शानदार रिजल्ट की उम्मीद हो, उन्हीं की तैयारियों पर टेंशन हावी है।
स्टूडेंट्स सफरिंग फ्रॉम स्ट्रेस
एग्जाम्स में टॉप करने वाले स्टूडेंट्स की तैयारियां साल भर चलती हैं। पूरी स्ट्रेटजी के साथ वह अपने गोल्स पर फोकस्ड भी रहते हैं। फिर ऐसे स्टूडेंट्स का स्ट्रेस में आने की वजह कई बार उनके पेरेंट्स की समझ से भी परे है। दरअसल ऐसे स्टूडेंट्स अपने एंबिशंस को पूरा करने लायक केपेबल भी होते हैं। उनके अपने गोल्स और स्टैंडर्ड काफी हाई होते हैं। ऐसे में परफॉर्मेस में थोड़ी भी गिरावट उन्हें डिप्रेस करने के लिए काफी होती है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि एग्जाम्स के दौरान एक भी पेपर खराब हो जाए तो ऐसे स्टूडेंट्स स्ट्रेस में आ जाते हैं। जबकि एवरेज स्टूडेंट्स इन सिचुएशन से जल्द उबरकर बाकी के पेपर्स पर ध्यान लगा लेते हैं।
हार बिल्कुल नहीं बर्दाश्त
कॉम्पीटिशन के इस जबरदस्त दौर में कामयाब होने और एक एक नंबर से एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ ने एग्जाम फोबिया को और खतरनाक बना दिया है। अपनी सोच से जरा भी खराब परफॉर्मेस स्मार्ट स्टूडेंट्स को डिप्रेस करने की वजह बन रही है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि आज टॉपर्स को हार जरा भी बर्दाश्त नहीं। वह अपनी सक्सेस इमेज को लेकर बेहद कॉन्शस हैं। एक्सपर्ट्स ने बताया कि उनके पास ऐसे स्टूडेंट्स भी काउंसलिंग के लिए आ रहे हैं, जो स्कूल के मिड टर्म एग्जाम्स में बेहतर परफॉर्म न कर पाने से स्ट्रेस में आ गए थे।
सेहत को बिगाड़ रहा स्ट्रेस
बोर्ड एग्जाम्स के नजदीक आने के साथ ही सिलेबस कंप्लीट करने की फिक्र में आधे हुए जा रहे स्टूडेंट्स की सेहत पर भी असर पड़ रहा है। स्ट्रेस से निजात पाने को एक्सपर्ट्स के पास काउंसलिंग कराने आ रहे स्टूडेंट्स डिप्रेशन, एंग्जाइटी, इनसोमेनिया, इरिटेशन और भूख कम लगने जैसी प्रॉब्लम्स से जूझ रहे हैं। समय पर तैयारी पूरी होने की उम्मीद न होती देख स्टूडेंट्स पर प्रेशर बढ़ता जाता है। ऐसे में कई स्टूडेंट्स एग्जाम से गिव-अप करने लगते हैं। वहीं पेरेंट्स का अपने बच्चों को उसी पुराने तरीके से पढ़ने और बेहतर रिजल्ट देने की सीख स्टूडेंट्स पर डबल प्रेशर बना रही है।
रियलस्टिक बनें पेरेंट्स
एग्जाम से ठीक पहले स्ट्रेस और दबाव से रिलीफ पाने को स्टूडेंट्स से ज्यादा उनके पेरेंट्स कंसर्न्ड हैं। पेरेंट्स में अपने बच्चों की एग्जाम्स प्रिपरेशन के लिए नजरिया बेहतर हुआ है, लेकिन बावजूद इसके ज्यादातर पेरेंट्स अब भी बच्चों को एग्जाम के दौरान अपना क्वालिटी टाइम नहीं दे पा रहे। बच्चों की पढ़ाई में बाधा न हो इललिए ज्यादातर पेरेंट्स एग्जाम्स के दौरान इंटरनेट व केबल कनेक्शन कटवा देते हैं। एक्सपर्ट्स इसे सही तरीका नहीं मानते। उनका कहना है कि बच्चों को रिलैक्स होना भी जरूरी है। जरुरत है उनके लिए एंटरटेनमेंट का समय तय करने की। जिससे वह स्टडीज के लिए स रिफ्रेश हो सकें।
एक्सपर्ट्स एडवाइस
क्- एग्जाम्स से ठीक पहले जो याद है, उसी को रिवाइज करें। नए चीजें कन्फ्यूजन में डालेंगी।
ख्- स्टडीज के लिए टाइम शेड्यूल बनाएं। हर दो घंटे बाद क्भ्-ख्0 मिनट का गैप लें।
फ्- स्टूडेंट्स हर दिन ख्0 मिनट की एक्सरसाइज जरूर करें। खुली हवा में टहलना बेहतर।
ब्- अपनी बॉडी क्लॉक के हिसाब से पढ़ने का समय बनाएं। टाइम मैनेजमेंट अपनाएं।
भ्- पेरेंट्स बच्चों पर इमोशनल प्रेशर न बनाएं। उन्हें स्टडीज में कोऑपरेट करें।
एग्जाम फोबिया का सबसे ज्यादा स्ट्रेस स्मार्ट स्टूडेंट्स पर है। वह अपनी परफॉर्मेंस को अपनी इमेज से जोड़कर देखते हैं। काउंसलिंग के लिए स्टूडेंट्स से ज्यादा उनके पेरेंट्स के कॉल्स आ रहे हैं। स्टूडेंट्स अपनी केपेबिलिटीज के मुताबिक गोल्स सेट करें। पेरेंट्स इमोशनल प्रेशर न डालें।
- डॉ। हेमा खन्ना, सायकोलॉजिस्ट
स्टूडेंट्स अपनी बॉडी क्लॉक के मुताबिक अपने पढ़ने का समय तय करें। स्कूल्स और पेरेंट्स उन्हें प्यार से डील करें। एग्जाम फोबिया से निपटने को वर्कशॉप हेल्प कर सकते हैं। इसमें हम पेरेंट्स और टीचर्स को स्टूडेंट्स के मोटिवेट करने की टिप्स दे रहे। साथ ही स्टूडेंट्स को टाइम मैनेजमेंट भी सिखा रहे।
- डॉ। मीना गुप्ता, सायकोलॉजिस्ट