BAREILLY: बरेली कॉलेज में 30 अप्रैल को एनवायरमेंट एग्जाम में हुए जबरदस्त हंगामे के बाद आरयू ने इसे दोबारा कंडक्ट कराने को हरी झंडी दे दी है। संडे को वीसी की अध्यक्षता में हुई एग्जामिनेशन कमेटी की मीटिंग में यह डिसीजन लिया गया। हालांकि बीसीबी ने बवाल को देखते हुए एग्जाम निरस्त कर दिया था, लेकिन दूसरे डिस्ट्रिक्ट्स के कॉलेजेज से भी ऐसी कंप्लेन आई थीं। पर आरयू केवल बीसीबी के एग्जाम को दोबारा कंडक्ट करायाएगा। पूरे प्रकरण की जांच के लिए आरयू ने डॉ। बीआर कुकरेती, डॉ। एपी सिंह और डॉ। यशपाल की कमेटी बना दी है। आरयू ने इसकी डेट डिक्लेयर नहीं की है।

गलत पेपर पैटर्न पर बनी कमेटी

बीकॉम के कई सब्जेक्ट्स के एग्जाम में गलत पेपर आ गया था, जिसकी स्टूडेंट्स ने आरयू से कंप्लेन की थी। आरयू ने इस संबंध में मैनेजमेंट डिपार्टमेंट के डीन प्रो। पीके यादव और प्रो। एके सिन्हा की कमेटी का गठन कर दिया है। वे इस संबंध में अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे। जिसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी। बीकॉम फ‌र्स्ट ईयर के ग्रुप बी का फ‌र्स्ट पेपर फाइनेंशियल अकाउंटिंग के पेपर में काफी विसंगतियां थीं। वहीं बीकॉम सेकेंड ईयर के ग्रुप एक का फ‌र्स्ट पेपर कंपनी लॉ और सेकेंड पेपर कॉस्ट अकाउंटिंग का पेपर भी गलत आ गया था। इसके साथ ही बीकॉम थर्ड ईयर के ग्रुप सी का सेकेंड पेपर मैनेजमेंट अकाउंटिंग में गलत पैटर्न पर क्वेश्चंस पूछ लिए गए थे।

B.SC Agr मामले पर भी कमेटी

बीएससी एग्रीकल्चर के भ् सेमेस्टर के फ्रूट प्रिजर्वेशन सब्जेक्ट के मूल्यांकन की जाचं के लिए आरयू ने एग्रीकल्चर के डीन की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन कर दिया है। आरएसम कॉलेज धामपुर ने गलत मूल्यांकन करने का आरोप लगाया था। जिस वजह उनके कॉलेज के 70 परसेंट स्टूडेंट्स फेल कर दिए गए। कमेटी की रिपोर्ट के बाद कोई डिसिजन लिया जाएगा।

वीपी सिंह को मिली राहत

बीसीबी के टीचर डॉ। वीपी सिंह को ट्यूशन पढ़ाने के मामले में आरयू ने राहत दे दी है। पूर्व न्यायाधीश एमसी हरित की कमेटी से इस प्रकरण की जांच कराई गई। रिपोर्ट के आधार पर डॉ। वीपी सिंह को क्लिन चिट दे दी गई। स्टूडेंट्स ने उपर कोचिंग पढ़ाने का दबाव बनाने के आरोप लगाकर उनको एग्जाम कार्य से बहार करने की मांग की थी।

फर्जी फॉर्म के प्रकरण पर लीपापोती

एग्जामिनेशन कमेटी की मीटिंग में फर्जी फॉर्म का मामला भी उठा। लेकिन उसे सबके सामने सार्वजनिक नहीं किया गया। इस मामले में आरयू ने एक कमेटी का गठन किया था। क्भ् दिन में रिपोर्ट देनी थी, जिसे देने में चार महीने से ज्यादा का समय लग गया। रिपोर्ट कमेटी की मीटिंग में रखी गई लेकिन उसे सार्वजनिक ना करते हुए कार्यकारी रजिस्ट्रार वीएन सिंह को इसके प्वाइंट्स तैयार करने के निर्देश दिए गए।