बरेली (ब्यूरो)। हत्या के प्रयास के मामले में फरार चल रहे पूर्व मंत्री सपा नेता भगवत सरन गंगवार ने गुरुवार को दो पूर्व लाक प्रमुख सहिïत 10 लोगों के साथ स्पेशल जज एमपी एमएलए कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया। स्पेशल जज एमपी एमएलए कोर्ट देवाशीष पांडेय ने सुनवाई के बाद पूर्व मंत्री सहिïत दस आरोपितों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल ोज दिया। साी आरोपितों ने जमानत अर्जी ाी लगाई है। जिस पर आज सुनवाई होगी।
पांच साल पुराना मामला
वर्ष 2017 में हुए विधानसभा चुनाव के समय के दौरान का मामला है। समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के रूप में भगवत सरन गंगवार ने भाजपा के पूर्व विधायक स्वर्गीय केसर सिंह के खिलाफ नवाबगंज सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा था। चुनाव प्रचार के दौरान सपा और भाजपा कार्यकर्ताओं में मारपीट हुई थी, जिसके बाद शिकायतकर्ता तेजराम ने नवाबगंज थाने में प्राथमिकी लिखाते हुए बताया कि भगवत सरन व उनके समर्थकों के काफिले ने उनकी कार पर हमला बोला। आरोपित केसर सिंह को समर्थन करने की बात से रंजिश मान रहे थे। पुलिस ने कार्रवाई पूरी कर रिपोर्ट कोर्ट में भेज दी थी।
किया था भगोड़ा घोषित
आरोपितों ने अदालत में बिना हाजिर हुए अग्रिम जमानत की मांग की। जमानत अर्जी में आरोपितों ने बाकायदा कहा था कि वह देश छोडक़र नहीं जाएंगे और मुकदमे की सुनवाई में पूरा सहयोग करेंगे। उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया जाए। लेकिन अदालत ने उन्हें अग्रिम जमानत देने से इंकार कर दिया और उनके विरुद्ध गैर जमानती वारंट जारी किया गया। इसके बाद ाी पूर्व मंत्री समेत साी आरोपित कोर्ट में हाजिर नहीं हुए। जिसके बाद कोर्ट ने उन्हें ागोड़ा घोषित कर दिया था। इसके बाद सभी आरोपित गिरतारी से बचने के लिए हाईकोर्ट पहुंच गए। लेकिन उन्हें हाईकोर्ट से भी कोई राहत नहीं मिल सकी। गुरुवार को पूर्व मंत्री ागवत शरण गंगवार, वीरपाल, विनोद दिवाकर, अनिल गंगवार, पुरुषोत्तम गंगवार, ओमेंद्र सिंह, योगेंद्र सिंह गंगवार, शेर सिंह गंगवार, तरुण कुमार और सुधीर मिश्रा ने अपने अधिवक्ता भूपेंद्र सिंह भड़ाना के जरिये स्पेशल कोर्ट एमपी एमएलए के समक्ष सरेंडर कर दिया।
भाजपा पर कसा तंज
सपा के पूर्व मंत्री ने सफाई देते हुए भाजपा सरकार पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि वर्ष 2017 में विधानसभा चुनाव के दौरान उन्हें अकेले में भाजपा समर्थकों ने घेर कर आद्रता की थी। पुलिस के आने पर वे लोग भाग गए थे। इसके बाद उन्होंने हाफिजगंज थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। भाजपा सरकार बनने के बाद भाजपा समर्थक तेजराम की ओर से भी मुकदमा दर्ज करा दिया गया। तब उनके विरुद्ध धारा 307 नहीं लगाई गई थी। तत्कालीन इंस्पेक्टर के पीलीभीत स्थानांतरण के बाद सत्ता पक्ष ने चार्जशीट बदलवा कर उसमें 307 बढ़वा दी। भाजपा की विपक्ष को हटाने के लिए ऐसी रणनीति निंदनीय है।