बरेली (ब्यूरो)। Pitru Paksha Shardh 2023 Date: पितृ पक्ष की शुरुआत 29 सितंबर से शुरू हो रही है। समापन 14 अक्टूबर को होगा। इस बार दो दिन गजछाया योग बन रहा है। 53 साल के बाद ऐसा हो रहा है। विद्वानों के अनुसार गजछाया योग में पितरों को तर्पण करने से स्वास्थ्य, धन और पारिवारिक अशांति से संबधित समस्याओं का समाधान हो जाता है। पितृ पक्ष, भाद्रपद मास की पूर्णिमा यानी पौष्टपदी पूर्णिमा से शुरू होता है। इस तरह पितृ पक्ष 16 दिनों का होता है।
शांत होता है दोष
बालाजी ज्योतिष संस्थान के पंडित राजीव शर्मा ने बताया कि 3 अक्टूबर को चतुर्थी और पंचमी एक ही दिन पड़ेगी। सप्तमी तिथि 6 और 7 अक्टूबर दो दिन रहेगी। इस तरह पितृ पक्ष 16 दिनों का है। उन्होंने बताया कि 11 और 14 अक्टूबर को गजछाया योग बन रहा हैै। सूर्य चंद्र के पाप ग्रहों जैसे राहु और केतु से युति को पितृ दोष के रूप में व्यक्त किया गया है। इसके कारण मनुष्य जीवन भर संघर्ष करता रहता है। मंत्रों के साथ काले तिल, चावल और कुशा मिश्रित जल से तर्पण करने से पितृ दोष शांत होता है।
रोज करें तर्पण
पितृ पक्ष में गृहस्थ को प्रतिदिन चांदी, तांबा या कांसा के पात्र द्वारा तर्पण करना चाहिए। जल में काले तिल और जौ मिलाकर तर्पण कराना चाहिए। गया में श्राद्ध करके आने के बाद कुछ लोग पितरों का तर्पण करना छोड़ देते हैं। वास्तवकिता यह है कि श्राद्ध करके आने के बाद भी श्राद्ध तर्पण करना चाहिए।
प्रत्येक दिन महत्वपूर्ण
30 सितंबर : नाना-नानी का श्राद्ध के लिए उत्तम
03 अक्टूबर : अविवाहित परिजनों का श्राद्ध, इसे कुंवारा पंचमी भी कहते हंै।
्र07 अक्टूबर : माता का श्राद्ध, इसे मातृनवमी कहते है
09 अक्टूबर : संन्यास लेने वाले परिजनों का श्राद्ध।
12 व 13 अक्टूबर : अकाल मृत्यु वाले परिजनों का श्राद्ध
14 अक्टूबर : सभी पितरों का श्राद्ध
भरणी श्राद्ध 02 अक्टूबर को
2 अक्टूबर को दोपहर में भरणी नक्षत्र और तृतीया तिथि है। इस दिन किया गया तर्पण मनुष्य की शारीरिक, मानसिक, पारिवारिक और आर्थिक समस्याओं से मुक्ति दिलाता है। श्राद्ध पक्ष में कौओं को भोजन खिलाया जाता है।
पितरों के लिए श्राद्ध या तर्पण करना बहुत ही फलदायक होती है। श्राद्ध पक्ष 16 दिन के होते हैं। 16 दिनों तक अपने पितरों को पीतल के पात्र में जल लेकर उसमें काले तिल और जौ मिलाकर अपने पितृ को तर्पण कराना चाहिए।
पंडित सुशील पाठक, सर्वराकार, साई मंदिर