- 300 रुपए मंथली उगाही करते हैं पुलिसकर्मी

- 20 रुपए रोजाना देना पड़ता है दुकानदारों को

- अतिक्रमण रोकने की जिम्मेदारी पुलिस व नगर निगम पर

BAREILLY : इंक्रोचमेंट ड्राइव चलाकर दुकानें तो हटा दी जाती हैं, लेकिन कुछ दिन बाद स्थिति जस की तस हो जाती है। आखिर बार-बार इंक्रोचमेंट क्यों होता है? इसकी परमीशन कौन देता है? सवाल जितना सीधा है जवाब उतना ही टेढ़ा। आईनेक्स्ट ने जब इसकी पड़ताल की तो चौंकने वाले फैक्ट्स सामाने आए। सोर्सेज के मुताबिक इसकी आड़ में पुलिसकर्मी और नगर निगम के अधिकारी अपनी जेब गर्म करते हैं। मंथली व वीकली के हिसाब से रेहड़ी-पटरी वालों से उगाही की जाती है। हालांकि अतिक्रमण रोकने की जिम्मेदारी पुलिस और नगर निगम पर है, लेकिन दोनों अतिक्रमण अभियान चलाकर महज दिखावा करते हैं।

धीरे-धीरे बढ़ती है दुकान

रोड पर इंक्रोचमेंट कोई एक बार में नहीं होता है। सड़क के किनारे इसकी शुरुआत धीरे-धीरे होती है। सबसे पहले दुकानदार अपनी दुकान के आगे थोड़ा सा काउंटर बढ़ाता है और कुछ सामान आगे रख लेता है। फिर जब उसे कोई नहीं रोकता है तो उतनी जगह को वह पक्की कर लेता है। इस दौरान अगर पुलिस या नगर निगम इसे रोकने के लिए आता भी है तो वो सिर्फ अपनी जेब गर्म कर चले जाते हैं। इसी तरह से फिर वही काम होता है और धीरे-धीरे दुकान अपनी बाउंड्री से तीन-चार फुट तक आगे निकल जाती है। यही नहीं ऊपरी मंजिल पर भी हवा में ही कब्जा कर लिया जाता है।

रेहड़ी-पटरी वाले करते हैं कब्जे

सड़क किनारे रेहड़ी-पटरी वाले अपनी रोजी-रोटी के लिए दुकानें लगाते हैं। उसके बाद शुरू होता है लेनदेन का खेल। नगर निगम और पुलिस इन्हें रोकने के लिए पहुंच जाते हैं, लेकिन जब रोकने वालों की जेब भर दी जाती है तो वो चुपचाप वापस चले जाते हैं। अगर कोई दुकानदार रुपये नहीं देता है तो उसे परेशान किया जाता है। उसकी दुकान लगने नहीं दी जाती है। उसका सामान भी फेंक दिया जाता है।

ऐसे होती है वसूली

सोर्सेस की मानें तो रेहड़ी-पटरी वालों से सबसे ज्यादा उगाही पुलिस करती है। इसके लिए बाकायदा डेली या मंथली के हिसाब से वसूली होती है। जानकारी के अनुसार सभी दुकानदारों से ख्0 रुपये डेली वसूले जाते हैं। या फिर कुछ लोगों से फ्00 रुपये मंथली भी वसूली जाती है। वसूली का जिम्मा सिपाहियों को सौंपा जाता है। प्राइवेट लोगों को भी इस काम में लगाया जाता है। वेडनसडे को जब कई दुकानदारों से इस बारे में पूछा गया तो वह खुलकर तो कुछ नहीं बोले, लेकिन जब उन्हें अंदर तक कुरेदा गया तो कहने लगे कि अब रोजी-रोटी कमानी है तो कुछ दो देना पड़ेगा। किसी ने कहा कि उसे नहीं पता जो कुछ लेते-देते हैं वो पापा जानते हैं।

वसूली के अलग-अलग तरीके

वैसे तो पुलिस सीधे तौर पर रुपए की वसूली करती है। उगाही के लिए पुलिस ने कई हथकंडे अपनाए हैं। अगर किसी ने अतिक्रमण कर जूस की दुकान लगाई है तो उससे फ्री में जूस मंगवाया जाता है। कभी फल ले लिए जाते हैं तो कहीं कपड़े ले लिए जाते हैं। कहीं दवाब बनाकर सामान या फिर उसमें भारी छूट ले ली जाती है। अब कोतवाली एरिया की ही बात करें तो यहां कोतवाली के सामने ही डेली अतिक्रमण होता है, लेकिन पुलिस को यह दिखाई नहीं देता है। वहीं कुतुबखाना चौकी के चारों और अतिक्रमण होता है, लेकिन पुलिस आंख बंद करके रहती है।

वीकली मार्केट पर निगम का कब्जा

रेहड़ी-पटरी वालों ने बताया कि पहले नगर निगम के लोग वीकली मार्केट से वसूली करते हैं। खास ऑकेजन जैसे होली-दीपावली पर उनसे वसूली की जाती है। वहीं सिटी के दुकानदार भी कम नहीं हैं। कुछ दुकानदारों ने अपनी दुकानें आगे तो बढ़ा ही रखी हैं साथ ही दुकानों के आगे रेहड़ी- पटरी वालों को भी लगवाते हैं और उनसे डेली मोटी रकम भी वसूली जाती है।

जिम्मेदारी से

सिटी में रेहड़ी-पटरी वालों को जगह देने की जिम्मेदारी नगर निगम की है, लेकिन वह हमेशा अपनी जिम्मेदारी से बचता रहा है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर वेंडिंग पॉलिसी भी लागू की जानी है, जिसके तहत ऐसे वेंडर को लाइसेंस देने के साथ-साथ उन्हें जगह भी मुहैया कराई जाएगी, दुकानदारों का कहना है कि अभी तक इसे अमल में नहीं लाया जा सका है। एक दुकानदार ने बताया कि वह ग्रेजुएट है। नौकरी नहीं लगी तो परिवार का पेट पालने के लिए रेहड़ी लगा ली। कल अतिक्रमण हटाने के दौरान उसका काफी नुकसान हुआ। पहले मेयर साहब आए थे और वेंडिंग पॉलिसी की बात की थी, लेकिन कुछ नहीं हुआ।

पुलिस ने नहीं उठाई जिम्मेदारी

कुछ महीने पहले पुराने एसपी ट्रैफिक ने भी सिटी से इंक्रोचमेंट हटाने का जिम्मा लिया था। उस वक्त जेसीबी से भी दुकानें तोड़कर हटाई गई थीं, लेकिन कुछ दिनों बाद फिर अतिक्रमण हो गया। तब अतिक्रमण दोबारा ना हो इसकी जिम्मेदारी पुलिस को दी गई थी। एसएचओ व चौकी इंचार्ज को अपने एरिया में अतिक्रमण न होने देने का आदेश दिया गया था। पर फिर से अतिक्रमण हो गया। इससे तो साफ है कि या तो पुलिस ने ही अतिक्रमण कराया या फिर उन्होंने अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभाई है। यही वजह रही कि जब दोबारा अतिक्रमण हटाने के लिए कल पुलिस पहुंची थी तो दुकानदारों के चेहरे पर कोई डर नहीं था। क्योंकि उन्हें पता है कि कुछ दिन अभियान चलेगा और फिर वैसे ही हो जाएगा।