सीएआरआई, इज्जतनगर ने 8 महीने के शोध के बाद तैयार किया एमू एग नूडल्स
एमू नामक पक्षी के अंडे और गेहूं के आटे से तैयार हुआ है ये नूडल्स
स्वाद के मामले में मैगी और दूसरे नूडल्स से एक कदम आगे, लेकिन पौष्टिक
BAREILLY:
मैगी नूडल्स का लजीज स्वाद एक बार फिर आप ले सकेंगे। यह न सिर्फ हेल्दी होगा। बल्कि, दो मिनट में पक भी जाएगा। इस प्रोडक्ट को सेंट्रल एवियन रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएआरआई) ने तैयार किया है। जल्द, ही यह मार्केट में भी अवेलबल होगा। इसकी खासियत है कि इसे एमू बर्ड के एग और गेहूं के आटा से तैयार किया गया है।
बेहद पौष्टिक है ये नूडल
एमू एग नूडल्स, एमू पक्षी के अंडे और गेंहू के आटे से तैयार किया गया है। अक्टूबर-14 में इसका शोध इस सोच के साथ किया गया कि लोगों को प्रोटीन युक्त नाश्ता दिया जा सके। इसके साथ ही संस्थान का उद्देश्य था कि एमू नामक पक्षी के प्रोटीन की प्रचुर मात्रा युक्त अंडे का औद्योगिक उपयोग किया जा सके। ताकि इस पक्षी का संरक्षण आसान हो सके। इसके मिश्रण में गेहू के आटे के इस्तेमाल के पीछे डॉ। एएस यादव बताते हैं कि गेहूं बेहद पौष्टिक होता है, यह अंडे के साथ आसानी से मिल जाता है। डॉ। यादव इसे एमू एग का वेल्यू एडिड प्रोडक्ट कह रहे है, क्योंकि इस नूडल्स के जरिए इस अंडे की पौष्टिकता का उपयोग हो सकेगा।
कौन है एमू पक्षी
आपके लिए जानना रोचक होगा कि देश के महाराष्ट्र राज्य में ज्यादा संख्या में पाया जाने वाले इस पक्षी का एक अंडा 600 ग्राम का होता है। एक महीने में ये पक्षी 30 से 40 अंडे देता है। इस पक्षी की उम्र 13 से 18 वर्ष है, अब उत्तरप्रदेश में भी ये पाया जाने लगा है। ये पक्षी सामान्यता ऑस्ट्रेलिया में पाया जाता है, 50 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से भागने और उड़ने वाला ये पक्षी तैरना भी जानता है।
तो भूल जाएंगे पुराने नूडल्स का स्वाद
ये दावा हम नहीं कर रहे, बल्कि सीएआरआई प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ। एएस यादव एमू एग नूडल्स के टेस्ट को एक शब्द में 'लजीज' कहते हैं। इसके पीछे इनका तर्क है कि एमू नामक पक्षी के अंडे और गेहू के आटे के मिश्रण से बने इस नूडल्स के शोध में स्वाद का खास ध्यान रखा गया है। हालांकि, इसमें लजीज बनाने का काम मैगी व मार्केट में उपलब्ध अन्य नूडल्स की तरह टेस्ट मेकर पैकेट नहीं करेगा। लेकिन इन नूडल्स की मेकिंग में नमक व अन्य ऐसे फूड इंग्रेडिएंट्स का प्रयोग किया गया है, जो स्वाद को लजीज बनाने के साथ ही हेल्थ के लिए जरूरी हैं। इंग्रेडिएंट्स के बारे में बताते वक्त डॉ। यादव जोर देकर बताते हैं कि इसकी मेकिंग में एमएसजी सरीखे ऐसे स्वाद बढ़ाने वाले पदार्थो का कतई इस्तेमाल नहीं किया गया है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
ये है एमू एग नूडल्स
एमू पक्षी के अंडे व गेंहू के आटे के मिश्रण से तैयार, इसका स्वाद बेहद लजीज है।
एमू का अंडा में काफी पोष्टिक तत्व होते हैं, स्वास्थ्य के लिए हेल्दी होगा।
-अंडे की दुर्गध नहीं है। जो लोग अंडा नहीं खाते उन्हें भी इसे खाने में परेशानी नहीं होगी।
-इसे घर में सामान्य मसालों से पकाया जा सकेगा।
-पकाने की रेसिपी बेहद आसान है, दूसरे नूडल्स की तरह कम समय में पकाया जा सकता है।
-नूडल्स का पैकेट दो महीने तक रूम टैंप्रेचर पर फ्रेश रखे जा सकते हैं।
जल्द ही मार्केट में उपलब्ध
ये नूडल्स बनकर तैयार हो चुका है, अब इसकी इंडस्ट्रियल मैन्युफैक्चरिंग के लिए सीएआरआई ने आवेदन आमंत्रित किए है। टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के बाद इसका इंडस्ट्रिलाइजेशन शुरू हो जाएगा। संस्थान का कहना है कि हम टेक्नोलॉजी को इंडस्ट्रियल यूज के साथ डोमेस्टिक यूज के लिए भी बेचेंगे। विशेषज्ञ बताते हैं कि रिसर्च सेंटर्स से इंडस्ट्रियल कंपनीज को टेक्नोलॉजी ट्रांसफर में करीब 10 से एक साल का वक्त लगता है। इस लिहाज से अगले साल ये नूडल्स मार्केट में उपलब्ध हो सकेंगे। आठ महीने के शोध के बाद तैयार हुए इन नूडल के शोध में सीएआरआई के तीन प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ। एके विश्वास, डॉ। एएस यादव व डॉ। भुवनेश आर्या टैक्नीकल की टीम ने योगदान दिया।
प्रोटीन युक्त ये एमू एग नूडल्स जल्द ही मार्केट में उपलब्ध होंगे, इसका मार्केट प्राइस सामान्य रखा जाएगा। हमारी कोशिश है कि शोध द्वारा ऐसे खाद्य पदार्थ बने जो पौष्टिक व स्वास्थ्य वर्धक हो, जिससे हानिकारक नूडल्स खा रहे लोगों को एक अच्छे पौष्टिक नाश्ते का विकल्प मिल सके।
- जे। मोहन कटारिया, डायरेक्टर, सेंट्रल एवियन रिसर्च इंस्टीट्यूट