केस- वन
रामपुर गार्डन के रहने वाले राजीव शर्मा (नेम चेंज्ड) पर बिजली विभाग का 40,000 रुपए बिल बकाया था। इसके बाद भी राजीव शर्मा ने विभाग द्वारा चलाए जा रहे स्पेशल कैंप में नए कनेक्शन के लिए अप्लाई किया था, विभाग ने उन्हें नया कनेक्शन जारी भी कर दिया।
केस - टू
जगतपुर निवासी दिनेश कुमार (नेम चेंज्ड) पर भी 25,000 रुपए बिजली बिल बकाया है। नोटिस जारी होने के बावजूद भी इन्होंने बिजली बिल जमा नहीं किया। फिर भी स्पेशल कैंप में नए कनेक्शन के लिए अप्लाई कर दो किलोवॉट का नया कनेक्शन ले लिया।
- बड़े बकाएदारों को भी स्पेशल कैंप में नए कनेक्शन दे रहा बिजली विभाग
- विद्युत विनियामक अधिनियम धारा 3 के तहत बकाएदारों को नोटिस भी भेजा जा चुका है
- ऐसे तो विभाग की लुटिया डूब जाएगी
BAREILLY: ये दो केस तो बस एक बानगी भर है। शहर में न जाने ऐसे कितने ही कंज्यूमर्स होंगे जिन पर बिजली बिल बकाया है। इसके बावजूद बिजली विभाग स्पेशल कैंप में बड़े बकाएदारों को भी कनेक्शन बांट रहा है। विभाग ने जिस तरह से नए कनेक्शन देने का फॉर्मूला अपना रखा उससे नए कनेक्शन लेने में कोई परेशानी नहीं हो रही है। यही नहीं विभाग के कार्यप्रणाली में ऐसे कई लूप होल्स हैं, जिससे आ बैल मुझे मार वाली कहावत चरितार्थ हो रही है।
क्00 करोड़ रुपए बकाया
बिजली विभाग का कंज्यूमर्स पर करीब क्00 करोड़ रुपए बिजली बिल बकाया है। इनमें फर्स्ट और थर्ड डिविजन के अंतर्गत आने वाले कंज्यूमर पर ब्0-ब्0 करोड़ रुपए और सेकेंड डिविजन के कंज्यूमर पर ख्0 करोड़ रुपए का बिल बकाया है। विभाग बिल वसूलने के लिए विद्युत विनियामक अधिनियम धारा फ् के तहत सभी बकाएदार को नोटिस भी भेजा चुका है। इससे भी बात नहीं बनी तो तहसील के माध्यम से धारा भ् के तहत रिकवरी नोटिस भी भेजा, लेकिन नतीजा सिफर ही रहा।
कार्यप्रणाली में लूप होल
बकाया बिजली बिल वसूलने में नाकाम विभाग नए कनेक्शन देने के लिए कैंप लगा रहा है। बकाएदार भी नए कनेक्शन पाने के लिए लाइन में लगे हुए हैं। विभाग बड़े बकाएदारों को वैरीफाई करने के बजाय कनेक्शन पर कनेक्शन दिए जा रहा है। कंज्यूमर को भी यह लग रहा है कि नए कनेक्शन मिलने से उनके पर कर्ज का ठप्पा नहीं रहेगा। विभाग सिर्फ खानापूर्ति के नाम पर एक शपथ पत्र भरवा रहा है। अगर बाद में विभाग कंज्यूमर के खिलाफ कोई कार्रवाई करने की भी सोचता है तो ये उसके लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा। क्योंकि वह लीगली कंज्यूमर को कनेक्शन दे चुका होगा। यही नहीं विभाग के कार्यप्रणाली में और भी कई लूप होल्स हैं। विभाग के स्टोर रूम में मीटर नहीं होने से बिना मीटर के भी कनेक्शन दे रहा है। पोल से घर की दूरी ब्0 मीटर दूर होने के बाद भी कनेक्शन दिए जा रहा है।
तो विभाग की होगी मजबूरी
पोल से घर की दूरी ब्0 मीटर से अधिक होने पर प्रति पोल कंज्यूमर को ख्0 हजार रुपए देने हैं, लेकिन बिना जांच पड़ताल के विभाग जिस तरह से कनेक्शन बांटने में लगा उससे यही लग रहा है कि अगर कंज्यूमर्स पैसे नहीं भी देते हैं तो विभाग को खुद के पैसे से पोल लगाने की मजबूरी हो जाएगी। क्योंकि जिस हिसाब से नए कनेक्शन दिए जा रहे हैं उस हिसाब से अगस्त तक नए कनेक्शन होल्डर्स की संख्या ब्0 हजार के पास पहुंच जाएगी। फिलहाल क्भ् दिन में ही क्0 हजार से अधिक नए कनेक्शन दिए जा चुके हैं।
फंड मिलने का वेट
जर्जर पोल व वायर, खराब ट्रांसफार्मर, ब्रेकर, डिमांड से कम सब स्टेशन की क्षमता इन सभी को सही करने के लिए ऑफिसर्स जिस फंड का रोना रोते हैं अगर वे बड़े बकाएदारों से पैसे निकलवाने में कामयाब हो जाते तो उन्हें गवर्नमेंट से फंड मिलने का वेट नहीं करना पड़ता। क्योंकि क्00 करोड़ की रकम कुछ कम नहीं होती है। इस बात को ऑफिसर्स भी भलीभांति अच्छी तरह से समझते हैं।
कैंप में जो भी आ रहा है उसे कनेक्शन प्रोवाइड कराया जा रहा है। क्000 ऐसे कंज्यूमर है जिन पर विभाग का करोड़ों रुपए बिजली बिल बकाया है। कई बार नोटिस भेजा जा चुका है, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
- मधुकर वर्मा, एसई
मेरे डिविजन में ख्0 करोड़ रुपए कंज्यूमर पर बिल बकाया है। इनमें से कई कंज्यूमर ऐसे हैं, जिन्होंने कैंप में आकर दोबारा नए कनेक्शन के लिए अप्लाई किया है।
- मनोज पाठक, एक्सईएन