अलग से हो button
बरेली में इंडिया अगेंस्ट करप्शन के कार्यकर्ता मयंक अग्रवाल के अनुसार, अन्ना हजारे ने करप्ट और दागी कैंडीडेट्स को वोट न करने की अपील की है। उनकी मांग है कि कैंडीडेट्स पसंद न आने पर वोटर के पास वोटिंग से मना करने का पूरा अधिकार तो होना चाहिए। इसके लिए इलेक्शन कमीशन को ईवीएम में एक अलग से बटन की व्यवस्था करनी चाहिए। इसके अलावा अन्ना ने इलेक्टेड लीडर जो बाद में करप्ट हो जाए या ठीक काम न करे तो उसे राइट टु रिकॉल के तहत वापस बुलाने की भी मांग की थी। उनका कहना था कि प्रतिनिधियों को जनता की सेवा के लिए चुना जाता है। अगर वे ढंग से काम नहीं करेंगे तो वापस आ जाएं।
अन्ना का असर
करप्शन के अगेंस्ट व्यापक स्तर पर मूवमेंट चलाने और पब्लिक के बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने के कारण इलेक्शन कमीशन ने ऐसा कदम उठाया है। राइट टू रिजेक्ट को लोकतंत्र के लिए घातक मानने वाले चीफ इलेक्शन कमीश्नर एसवाई कुरैशी के शासनकाल में यह पहल की जा रही है। अब पार्टियां भी संभलकर कैंडीडेट्स सेलेक्ट कर रही हैं।
ये change positive है
इलेक्शन में लगे ऑफिसर इसे बड़ी बात नहीं मानते लेकिन सोर्स के अकॉर्डिंग, यह चेंज पॉजिटिव है। रिजेक्ट करने वालों की संख्या बढऩे पर फ्यूचर में राइट टू रिजेक्ट और राइट टू रिकॉल प्रचलन में आ सकता है। अभी यह अरेंजमेंट पब्लिक व्यू जानने के लिए किया गया है। पांच राज्यों के इलेक्शन डेटा से इलेक्शन सिस्टम में चेंज किए जा सकते हैं।
कर सकते हैं वोटिंग से इनकार
इंडियन कॉन्सटीट्यूशन में 1961 एक्ट के सेक्शन 49-ओ के अनुसार कोई भी वोटर बूथ पर जाकर पोलिंग प्रोसेस कंप्लीट करने के बाद किसी कैंडीडेट को वोट नहीं करना चाहता तो प्रिजाइडिंग ऑफिसर को यह जानकारी दे सकता है। प्रिजाइडिंग ऑफिसर उस व्यक्ति का नाम एक अलग रजिस्टर में दर्ज कर लेगा।यह एक अच्छा कदम है, जिससे हमें वास्तव में एक ताकत मिलेगी कि हम साफ छवि वाले नेता का चुनाव कर सकें।
-अंकिता अग्रवाल, स्टूडेंट
जिन लोगों को हम पसंद ही नहीं करते उन्हें वोट देने का कोई मतलब ही नहीं बनता लेकिन अगर रिजेक्शन का कोई प्रावधान इस बार के चुनाव में शामिल होता है तो हमें ज्यादा खुशी होगी।
-बबिता यादव, स्टूडेंट
सिर्फ इलेक्शन के समय दिखने वाले कैंडीडेट्स को को वोट करने से अच्छा है कि हम अपने मताधिकार का प्रयोग ही न करें। अगर इस बार के चुनाव में रिजेक्शन का कोई भी प्रावधान होता है तो मैं उसका वेलकम जरूर करती हूं।
-प्रियंका गोयल, स्टूडेंट
पहले चुनावों के समय लोग घर में छुट्टी बिताते थे क्योंकि उनका मानना था कि कोई भी नेता साफ छवि का नहीं है। ऐसे में हम वोट क्यों और किसे दें लेकिन चुनाव में रिजेक्शन का प्रावधान होने के बाद से लोगों में चुनाव को लेकर दिलचस्पी बढ़ी है। यह अच्छा कदम है। इससे आम लोगों की बात पुरजोर तरीके से सरकार तक पहुंच पाएगी। वैसे इस ऑप्शन को ईवीएम मशीन में भी एड किया जाए।
-स्वाति गुप्ता, सर्विसवुमन
देश में हर किसी को मताधिकार का संवैधानिक अधिकार है। इस बार पोलिंग प्रॉसेस पूरा करने के बाद वोटर वोट करने से इनकार कर सकता है। उसका ऑब्जेक्शन प्रिजाइडिंग ऑफिसर नोट कर लेगा।
-राजेश कुमार राय, एडीएम सिटी
यह एक अच्छा कदम है। आज के समय में मतदाता वैसे भी जागरूक है। मुझे नहीं लगता कि एक या दो लोगों के रिजेक्शन से चुनाव पर कोई खास इंपैक्ट पड़ेगा। बड़े लेवल पर ही ऐसा होने पर फर्क पड़ता है।
-पवन अग्रवाल, बसपा
यह एक अच्छा कदम है लेकिन मुझे नहीं लगता कि लोग वोट न देने के लिए मतदान केंद्र का रुख करेंगे। मुझे लगता है कि पढ़े-लिखे लोग ही इसका यूज कर सकते हैं।
-सुप्रिया ऐरन, कांग्रेस
यह एक अच्छा कदम है। इससे साफ छवि की सरकार बनने में मदद मिलेगी, जिससे अभी नहीं तो आने वाले चुनाव में इसका फायदा जरूर दिखाई देगा।
-पूरन सिंह लोधी, भाजपा
यह एक अव्यवहारिक कदम है। यह आदमी का अपना मत है कि वह किसे वोट दे और किसे नहीं। 50 परसेंट निगेटिव वोट हों तो आयोग मतदान कैंसिल कर सकता है लेकिन एक या दो वोट से क्या होगा?
-वीरपाल सिंह, सपा