- तीसरी टीम की भूमिका केवल जीत-हार के बीच का डिफ्रेंस कम करने तक ही सीमित

BAREILLY: वैसे तो क्रिकेट की पिच पर एक टीम में क्क् प्लेयर्स अपने जौहर का प्रदर्शन करते हैं, लेकिन चुनावी मैदान की बात ही अलग होती है। आम चुनाव में बरेली सीट की पिच पर अमूमन क्भ् से ज्यादा प्लेयर्स अपना गेम खेलने के लिए उतरते हैं, लेकिन फाइनल में केवल दो ही प्लेयर गेंद को बाउंड्री पार लगाते हैं। बाकी तो क्लीन बोल्ड हो जाते हैं। पिछले कुछ वर्षो के आम चुनावों की बात करें तो औसतन क्9 कैंडीडेट्स मैदान में ताल ठोके थे, लेकिन उनमें से एवरेज दो को छोड़ बाकी अपनी जमानत तक नहीं बचा पाते।

वन सिक्स्थ चाहिए वोट

इलेक्शन कमीशन के रूल के अनुसार अपनी जमानत बचाने के लिए हर कैंडीडेट को टोटल वोटिंग का मिनिमम वन सिक्स्थ वोट लाना जरूरी है। ऐसा करने में असफल रहने पर कैंडीडेट की जमानत जब्त कर ली जाती है। वर्तमान में इलेक्शन कमीशन प्रत्येक कैंडीडेट से सिक्योरिटी के नाम पर ख्भ्,000 रुपए डिपॉजिट कराता है, जो इलेक्शन कमीशन की डेडलाइन को पार कर जाएगा। उसी को ही यह डिपॉजिट वापस किया जाएगा।

8म् परसेंट गंवा देते हैं डिपॉजिट

बरेली लोकसभा सीट के पिछले छह चुनावों का आंकलन करें तो यहां पर एवरेज क्भ् कैंडीडेट्स नामांकन दाखिल करते हैं, लेकिन इसमें में से दो कैंडीडेट के बीच ही फाइट देखने को मिली है। बाकी की भूमिका तो महज वोट काटने की ही रहती है। 8म् परसेंट कैंडीडेट अपनी जमानत भी नहीं बचा पाते। पिछले छह चुनावों में क्0भ् कैंडीडेट ने ताल ठोकी, लेकिन 90 कैंडीडेट थोथा चना बाजे घना साबित हुए। तीसरे कैंडीडेट ने जरूर थोड़े बहुत वोट बटोरे, लेकिन बाकी तो 0 से क् परसेंट ही वोट बटोर सके।

सबसे ज्यादा कैंडीडेट क्99म् में

वर्ष क्99म् के लोकसभा इलेक्शन में बरेली की सीट पर फ्म् धुरंधरों ने एक दूसरे को ललकारा, लेकिन फ्ब् कैंडीडेट्स अपनी जमानत नहीं बचा सके। भ्,फ्7,क्म्9 मत पड़े, जहां ब्क्.9ब् परसेंट वोट गेन कर बीजेपी के संतोष गंगवार ने जीत हासिल की। तो वहीं सपा के इस्लाम साबिर फ्ब्.म्म् परसेंट वोट के साथ अपनी जमानत बचाने में कामयाब रहे। बसपा, कांग्रेस जैसी दिग्गज पार्टी के कैंडीडेट की जमानत जब्त हो गई। बसपा के जाहिद खान क्0.07 परसेंट वोट के साथ तीसरे नम्बर पर रहे तो तिवारी कांग्रेस के प्रवीण सिंह ऐरन म्.7भ् परसेंट के साथ चौथे नम्बर पर रहे। दोनों को ही जमानत राशि गंवानी पड़ी। बाकी के सभी कैंडीडेट 0 से क् परसेंट वोट शेयर ही हासिल कर सके। पिछले ख्009 के इलेक्शन में 8 में से भ् कैंडीडेट जमानत नहीं बचा सके। फ्क्.फ्क् परसेंट के साथ कांग्रेस के प्रवीण सिंह ऐरन जीते थे। भाजपा के संतोष गंगवार दूसरे और बसपा के इस्लाम साबिर तीसरे नम्बर पर रहे। सपा के भगवत शरन गंगवार समेत सभी ने जमानत गंवा दी। इस बार बरेली सीट पर क्ब् कैंडीडेट्स मैदान में हैं।

गेम प्लान के तहत खड़े किए जाते हैं

पॉलिटिकल एनालिस्ट की मानें तो कुछ कैंडीडेट्स को खड़ा किए जाने के पीछे एक बड़ा गेम प्लान होता है। चार प्रमुख पार्टी अपने विरोधियों के वोट को काटने के लिए कुछ डमी कैंडीडेट्स को खड़ा करवाती हैं। इसके पीछे जातीय समीकरण और कैंडीडेट के क्षेत्रीय प्रभाव को भी ध्यान में रखा जाता है। ताकि वोटिंग के दौरान विरोधी कैंडीडेट के वोट का बिखराव हो सके और फायदा उनको मिले।

ब्लैकमेलिंग भी है वजह

कुछ कैंडीडेट्स के खड़ा होने के पीछे ब्लैकमेलिंग का भी मकसद होता है। किसी खास कैंडीडेट के विरोध में वे अपनी ताल ठोकते हैं। फिर बैकडोर से सेटिंग कर पीछे हट जाते हैं। कैंपेनिंग या तो खत्म कर देते हैं या फिर दूसरे को अपना समर्थन देते हैं। वहीं इन्हीं में से कुछ ऐसे होते हैं जिनको अपने क्षेत्र में नेताजी कहलाने के लिए चाह होती है और बस इसी उद्देश्य से खड़े होते हैं। जीत-हार से उनका कोई मतलब नहीं होता।

ईयर टोटल कैंडीडेट्स जमानत जब्त

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