- एक मंच से कर रहे हैं लोगों को वोटिंग के लिए अवेयर

- महिलाएं भी बता रही हैं एक एक वोट की कीमत

- इस बार एक-एक नागरिक से मतदान की अपील

BAREILLY: दुनिया की सबसे बड़ी डेमोक्रेटिक कंट्री में चुनाव की घंटी बज चुकी है, लेकिन सवाल उठता है कि क्या सब इसमें अपनी भागीदारी समान रूप से निभाते हैं। शायद इसका जवाब नहीं है। क्योंकि ज्यादातर लोग चुनाव के दिन अपने अधिकार प्रयोग न कर सरकारी छुट्टी के नाम कर देते हैं। तभी तो बरेली के एक ग्रुप ने वोटिंग के लिए लोगों को अवेयर करने का बीड़ा उठाया है। इस पांच लोगों के ग्रुप में सभी महज के लोग शामिल हैं। गैर राजनीतिक दल या संगठन से जुड़े ये लोग एक मंच पर खड़े होकर लोगों से ज्यादा से ज्यादा मतदान करने की गुजारिश कर रहे हैं। इनकी ये पहल मतदान जागरूकता के साथ-साथ हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे का संदेश भी दे रही है। इनमें कुछ को यह प्रेरणा पर्यटन के दौरान मिली थी। तो बाकी को यह सीख विरासत में मिली। वहीं घर की महिलाएं भी पतियों के इस मुहिम में उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। महिलाएं भी घर-घर जाकर महिला मतदाताओं को एक-एक वोट की कीमत समझा रही हैं।

गु्रप बनाकर कर रहे जागरूक

अलग-अलग मजहब से जुड़े इन गैर राजनीतिक लोगों का मानना है कि उन्हें यह प्रेरणा आसपास के माहौल से मिली। उन्होंने महसूस किया कि मतदान को लेकर अभी भी लोगों में अवेयरनेस की कमी है। देश के महानगरों में मतदान को लेकर लोगों में जो जागरूकता है वह छोटे शहर और कस्बों में नहीं है। इस वजह से मतदाताओं का एक बड़ा तबका वोटिंग के लिए पोलिंग बूथ तक नहीं पहुंचता। इस समस्या को दूर करने के लिए उन्होंने अपने-अपने क्षेत्र में ग्रुप बनाकर लोगों को मतदान के लिए अवेयर करना शुरू कर दिया।

पिता से मिली विरासत

ब्रम्हपुरा निवासी शायर और स्वतंत्रता सेनानी स्व। फुरखान अहमद खां के बेटे दोस्त मोहम्मद खां को यह सीख उनके पिता से मिली थी। पिता के राजनीति में जुड़े होने की वजह से दोस्त मोहम्मद खां को होश संभालते ही एक-एक वोट की कीमत महसूस हुई। उनका मानना है कि वोट सबका संवैधानिक अधिकार है। जाति-धर्म से हटकर हर नागरिक को वोट डालना चाहिए। इसके लिए वे हर चुनाव में लोगों से जनसंपर्क करते हैं। इसके साथ मतदान को पे्ररित करने वाले स्लोगन और पम्पलेट्स के माध्यम से वोट डालने की अपील करते हैं।

विकास की कीमत है एक-एक वोट

मॉडल टाऊन निवासी नवनीत सिंह का मानना है कि वोटिंग लोगों का मौलिक अधिकार है। जब तक एक-एक नागरिक अपने वोट की कीमत नहीं समझेगा, विकास और देश में परिवर्तन का सपना अधूरा रहेगा। समाज और देश में बदलाव के लिए हर इंसान की सोच बदलनी होगी और उसे खुद को देश का जिम्मेदार नागरिक समझना होगा। यूथ ब्रिगेड इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। युवाओं को खुद के साथ अपने आसपास के लोगों को भी वोट के लिए प्रेरित करना चाहिए।

मतदान के लिए प्रेरित कर रहे

सलारा वाली गली, मलूकपुर निवासी डॉ। मुकेश रस्तोगी का प्रयास है कि इस बार लोकसभा चुनाव में पढ़े-लिखों के साथ-साथ ज्यादा से ज्यादा अनपढ़ भी अपने मत का प्रयोग करें। वे बताते हैं कि साक्षर लोग वोट के महत्व को जानते हैं, लेकिन अनपढ़ लोगों में जागरूकता की कमी होती है। उन्हें यह प्रेरणा 1989 के लोकसभा चुनाव के दौरान एक घटना से मिली। उन्होंने देखा कि बड़ी संख्या में मोहल्ले के लोग वोटिंग के लिए नहीं गए। तभी से उन्होंने लोगों को मतदान के लिए प्रेरित करना शुरू कर दिया। मुकेश का कहना है कि कई बार एक वोट की कमी एक कुशल और योग्य जनप्रतिनिधि को सदन में पहुंचने से रोक देती है।

कुनबे के साथ कर रहे प्रचार

मतदान के लिए लोगों को जागरूक करने वालों में हाजी मोहम्मद जावेद खां का पूरा कुनबा लगा हुआ है। जावेद ने बताया कि 1980-81 में दिल्ली गए थे। उन्होंने देखा की वहां लोगों में मतदान को लेकर काफी उत्साह था। हर आदमी वोट डालने जा रहा था। वहीं बरेली के लोग वोट देने में रूचि नहीं दिखाते। वोटिंग को लेकर उनके परिवार के साथ मोहल्ले के नागरिकों में बेरूखी से मायूस जावेद ने खुद आगे बढ़कर जागरूकता की मुहिम छेड़ी। वे हर इलेक्शन में लोगों को मतदान के लिए जरूर प्रेरित करते हैं और उन्हें अपने विवेक से सही कैंडीडेट को वोट देने की अपील करते है। पति के इस रूझान से प्रेरित उनकी पत्‍‌नी रूशी (रूकैया खां) और बहन फरहा खां भी आगे आई। वे हर इलेक्शन में अपने मोहल्ले की महिलाओं को वोटिंग के लिए जागरूक करने लगीं। आज जब लोकसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है तो यह कुनबा एकबार फिर अपने स्लोगन लिखे पम्पलेट्स के साथ वोटिंग के लिए डोर टू डोर संपर्क साध रहा है।