-भूकंप के झटकों के बाद दहशत से नहीं उबर पा रहे बरेलियंस
-अपार्टमेंट में रहने वालों के मन में खौफ ने किया घर
-बिल्डर्स का कहना अपार्टमेंट में फ्लैट की डिमांड में आ सकती है कमी
BAREILLY: नेपाल में आए भीषण भूकंप के झटकों ने बरेलियंस को भी दशहत से भर दिया है। खासकर से ऊंचे अपार्टमेंट में रहने वाले लोगों के दिमाग से तो यह डर निकल ही नहीं पा रहा है। जब भी वह खौफ से उबरने की कोशिश करते हैं कि फिर से नेपाल में भूकंप के झटके मिलने की खबर से सहम जाते हैं। नेपाल में शनिवार के बाद फिर से संडे को हल्के झटके मिलने की खबर से लोग सकपका गए। आलम यह है कि अपार्टमेंट में रहने वाले लोगों की नींद उड़ी रहती है। वह चाहकर भी छोड़ने की स्थिति में नहीं हैं। बस, भगवान पर भरोसे की बात कहकर खामोश हो जाते हैं।
झटकों ने बदल दी सोच
इस भूकंप से पहले तक लोग अपार्टमेंट को ज्यादा बेहतर मानते थे। सेफ्टी, फैसेलिटी के मामले में लोग अपार्टमेंट को ज्यादा प्रिफर करते थे। साथ ही यह मकान के कम्पेरिजन में सस्ता भी पड़ता है, लेकिन भूकंप के झटकों ने लोगों की सोच बदल दी है। बरेलियंस अब खुद का प्लाट खरीदकर मकान बनवाने को ज्यादा प्रिफर करने लग गए हैं। सिटी के बिल्डर्स भी लोगों के दिलो दिमाग पर बैठे इस डर की तस्दीक करते हैं। बिल्डर्स बताते हैं कि जब से भूकंप आए हैं हमने अपनी मार्केटिंग को कम कर दिया है, क्योंकि जब तक लोगों के मन से भूकंप का खौफ नहीं निकलेगा, वह अपार्टमेंट खरीदने की तरफ डाइवर्ट ही नहीं होगा।
रियल एस्टेट मार्केट पर रहेगा असर
सिटी के बिल्डर्स बताते हैं कि भूकंप रियल एस्टेट मार्केट पर गहरा असर डाल दिया है। कई लोगों तो कांटीन्यू फ्लैट या जमीन खरीदने के लिए हमारे कांटेक्ट में थे, अब वह बिल्कुल कट से गए हैं। बिल्डर्स कहते हैं कि करीब छह से सात महीने का वक्त लोगों को झटकों के इस खौफ से निकलने में लग जाएगा। इतना वक्त बीतने के बाद ही कुछ रियल एस्टेट सेक्टर अपनी स्थिति में लौट पाएगा।
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कैंसर से नहीं अब भूकंप से डर लगता
क्लासिक ग्रीन अपार्टमेंट में रहने वाली सावित्री अग्रवाल कहती हैं कि उनको कैंसर से ज्यादा अब भूकंप से डर लगता है। सावित्री पति के साथ रहती हैं। दो बेटियां हैं दोनों की शादी हो चुकी है। कैंसर जैसी बीमारी से सावित्री हौसले से लड़ रही हैं, लेकिन भूकंप के झटकों ने उनको डरा दिया है। वह बताती है कि जिस दिन भूकंप आया था उस दिन उनको चक्कर आ गया था। उसके बाद से अपार्टमेंट में रहने से डर सा लगने लगा है। वह कहती है कि यहां से तो भागने का भी वक्त नहीं मिल पाएगा, लेकिन छोड़ने के नाम पर वह कहती है कि सालों से यहां रह रहे हैं, लोगों से जान पहचान हो चुकी है। नई जगह जाएंगे तो फिर नए सिरे से सबकुछ बनाना होता है। वह कहती हैं कि भूकंप वाले दिन घर बदलने की सोची लेकिन बाद में लगा कि इस एज में हम लोग कहां जाएंगे।
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आसान नहीं है घर चेंज करना, वरना बदल देते
सिविल लाइंस में फ्रेंड्स अपार्टमेंट में रहने वाले रवि भी भूकंप के बाद से सदमे में हैं। रवि बताते हैं कि जिस दिन भूकंप आया, उस दिन वह चाय पी रहे थे, लेकिन झटकों से उनके हाथ से प्याली छूट गई थी। उसके बाद वह नीचे दौड़ कर आए। वह कहते हैं कि तब से लगातार टीवी पर बार-बार भूकंप के झटकों की खबर सुनकर डर खत्म ही नहीं हो रहा है। बातचीत के दौरान रवि की आंखों में खौफ साफ दिखायी दे रहा था। वह कहते हैं कि फ्लैट चेंज करना इतना आसान नहीं होता है, ऐसे में चाहकर भी इसको बदल पाना इतना आसान नहीं हैं।
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चाहते तो हैं, लेकिन नई जगह वह बात नहीं होती
डीडीपुरम के अपार्टमेंट में रहने वाले हरी गोविंद के मन से भी भूकंप के झटकों की दशहत बाहर नहीं निकल पाए हैं। वह कहते हैं कि फ्लैट में रहने पर डर तो लगता है, लेकिन फिर यह सोच कर मन को समझा लेते हैं कि हजारों-लाखों लोग अपार्टमेंट में रह रहे हैं जो भी होना होगा, उसको देखा जाएगा। वह कहते हैं कि एक घर बनाने में तो जिंदगी गुजर जाती है, अब बार-बार बदलने की सोचे भी तो कैसे। नई जगह जाओ तो फिर नए सिरे से सबकुछ करना होता है।
इस समय सिटी में जितने भी अपार्टमेंट हैं वह सभी भूकंप रोधी तकनीक से बनाए गए हैं। ऐसे में इन जगहों पर रहने वाले लोगों को डरने की जरुरत नहीं है।
पीयूष अग्रवाल, बिल्डर, इंफ्रासिटी प्राइवेट लिमिटेड
प्रदेश में आसपास कहीं भूकंप का सेंटर बनता है तो नुकसान हो सकता है। नेपाल जैसी जगहों पर भूकंप आने से ज्यादा डरने की जरुरत नहीं है। अपार्टमेंट बनाने के दौरान नार्म्स फॉलो किए जाते हैं।
राहुल श्रीवास्तव, मार्केटिंग मैनेजर, हॉराइजन ट्रेडर्स