बरेली (ब्यूरो)। प्रकृति का नियम है कि जब कोई वस्तु असीमित हो जाती है तो वह समस्या का कारण बन जाती है। ई-रिक्शा के मामले में स्थिति कुछ इसी तरह दिखाई पड़ रही है। शहर में कदम-कदम पर दिख रहे ई-रिक्शा जाम का कारण बन रहे हैं। जिस तरह तालाब में जलकुंभी फैल जाने से उन्हें निकालना मुश्किल हो जाता है उसी तरह यातायात व्यवस्था सुचारू कराने में ई-रिक्शा बड़ी समस्या बन गए हैं। इनकी आयु सीमा निर्धारित होने और रोड टैक्स लगाने की चल रही तैयारी इनकी संख्या कम हो सकती है।
1600 का पंजीकरण
जिले में ई-रिक्शा संचालन की बात करें तो कंपनियों से बनकर आए 16,000 का पंजीकरण हो चुका है। इसके अलावा सैकड़ों की संख्या में लोकल में ई-रिक्शा बनाकर सडक़ों पर दौड़ाया जा रहा है। शुक्रवार को दोपहर 12 बजे रोडवेज डिपो के पास जाम की स्थिति थी, जिसमें सबसे ज्यादा ई-रिक्शा दिखाई दे रहे थे। अपराह्न एक बजे जिला अस्पताल के सामने ई-रिक्शा की लंबी कतार लगी हुई थी। ई-रिक्शा चालक एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ में दिख रहे थे। अपराह्न तीन बजे कचहरी रोड पर भी इसी तरह के हालात दिखाई दिए। नगर निकाय स्तर पर ई-रिक्शा के संचालन के लिए कोई व्यवस्था नहीं दिख रही है। न तो कहीं स्टैंड है और न ही कोई चार्जिंग प्वाइंट है। ई-रिक्शा चार्जिंग के लिए विद्युत विभाग की ओर से 85 कनेक्शन दिए गए हैं। इनसे सभी ई-रिक्शों को चार्ज किया जाना संभव नहीं दिखता है। जबकि ई-रिक्शा खरीदने पर चार्जिंग और स्टैंड आदि के नाम पर 3,500 रुपये शुल्क डीलर ही एडवांस जमा करा लेता है। शहर में जाम का कारण बने ई-रिक्शा का दूसरा पहलू यह है कि इससे हजारों लोगों को रोजगार मिल रहा है, इसलिए परिवहन विभाग के अधिकारी भी कार्रवाई से कतरा रहे हैं। कोई नाबालिग ई-रिक्शा चलाते मिल जाता है तो उसे डांट-फटकार कर भगा दिया जाता है। इन पर अंकुश लगाने के लिए शासन स्तर पर परिवहन विभाग ने ई-रिक्शा की आयु सीमा पांच से सात वर्ष तक तय करने के साथ रोड टैक्स लगाने का भी मसौदा तैयार किया है। इसका क्रियान्वयन होने पर निश्चित रूप से अंकुश लग सकेगा।

बैट्रियों का निस्तारण भी मुसीबत
ई-रिक्शा की खराब हो रही बैट्रियों का निस्तारण भी बड़ी समस्या बनकर उभरी है। खराब हो जाने के बाद इसका कहीं कोई उपयोग नहीं है। इसे जमीन में कम से कम 100 मीटर गहराई में दबाने का नियम बनाया गया है, लेकिन इसका कहीं पालन होता नहीं दिख रहा है। इसका सही से निस्तारण नहीं होने पर भविष्य में बड़ी समस्या का कारण बन सकता है।

ई-रिक्शा का परिवहन विभाग में पंजीकरण कराकर नियमों का पालन कराया जा रहा है। 16 हजार ई-रिक्शा पंजीकृत हैं। अब इन पर रोड टैक्स लगाने का प्रस्ताव शासन स्तर पर लंबित है। शासन की गाइड लाइन का कड़ाई से पालन कराया जा रहा है।
- दिनेश कुमार, आरटीओ प्रवर्तन