- सर्च कमेटी के प्रस्ताव के बाद राज्य सरकार से भी मिली सहमति
- स्थानीय स्तर पर हो रहा है उनके नाम पर विरोध
BAREILLY: बीसीबी के पूर्व प्रिंसिपल डॉ। आरपी सिंह का जोधपुर यूनिवर्सिटी के नाम से जाने जाना वाला जयनारायण व्यास यूनिवर्सिटी के वीसी बनना तय माना जा रहा है। वे करीब क्ख् वर्षो से भी ज्यादा समय तक बीसीबी के प्रिंसिपल का कार्यभार संभाल चुके हैं। इससे पहले उन्होंने मेरठ यूनिवर्सिटी के भी वीसी रह चुके हैं। प्रिंसिपल पद से रिटायर होने के बाद उन्होंने राजनीति में भी हाथ आजमाने की कोशिश की, लेकिन उन्हें असफलता ही हाथ लगी। हालांकि सोर्सेज की मानें तो राजनीतिक पार्टियों की नजदीकियों की वजह से ही उन्हें वीसी के पद से उपकृत किया जाने वाला है।
राज्य सरकार की भी मिली सहमति
जयनारायण व्यास यूनिवर्सिटी के वर्तमान वीवी प्रो। बीएस राज पुरोहित का कार्यकाल क्8 फरवरी को खत्म हो रहा है। नए वीसी की नियुक्ति की प्रक्रिया के क्रम में गत वर्ष राज्य सरकार ने सर्च कमेटी का गठन कर दिया था। गत ख्फ् जनवरी को कमेटी की मीटिंग हुई थी। जिसमें में कमेटी की मेंबर्स की तरफ से वीसी के पद के लिए चार नामों के प्रस्ताव पर सहमति बनी। जिसमें बीसीबी के पूर्व प्रिंसिपल डॉ। आरपी सिंह, राजस्थान टेक्निकल यूनिवर्सिटी के प्रो। एचडी चारण, बीएचयू के प्रो। केके मिश्रा और डीडीयू, गोरखपुर के प्रो। ईश्वर शरण शर्मा शामिल थे। सर्च कमेटी ने चारों नाम राजस्थान के राज्यपाल और जयनारायण यूनिवर्सिटी के चांसलर कल्याण सिंह को सौंप दिए। सोर्सेज की मानें तो राज्यपाल ने डॉ। आरपी सिंह के नाम पर राज्य सरकार से सहमति मांगी और राज्य सरकार ने सहमति प्रदान कर दी है।
विवादों से भी रहा है नाता
डॉ। आरपी सिंह का विवादों के साथ चोली-दामन जैसा नाता रहा है। उनके ऊपर बीसीबी में कार्यकाल के दौरान करीब एक करोड़ रुपए की वित्तिय अनियमितताओं का आरोप लग चुका है। गत क्क् नवम्बर को तत्कालीन कमिश्नर की अध्यक्षता में आयोजित किए गए कॉलेज की बोर्ड ऑफ कंट्रोल की मीटिंग में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और रिकवरी के आदेश दिए गए थे। डॉ। आरपी सिंह के ऊपर प्रॉसपेक्टस छपवाने, कई मदों में बिल जमा करने, एडवांस पेमेंट के मामले में फर्जीवाड़ा करने के आरोप लगे थे, लेकिन बोर्ड ऑफ कंट्रोल के आदेश पर भी उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। यही नहीं मेरठ यूनिवर्सिटी के वीसी के कार्यकाल के दौरान भी उन पर गलत तरीके से कोर्सेज व कॉलेजेज को मान्यता देने के आरोप लगे थे। जिसको लेकर जांच कमेटी भी बनी थी। जांच में यह आरोप सही भी पाए गए थे।
स्थानीय स्तर पर भी है विरोध
जयनारायण व्यास यूनिवर्सिटी के वीसी के तौर पर उनका नाम तय माने जाने पर स्थानीय स्तर पर भी विरोध शुरू हो गया है। जोधपुर में पूर्व शिक्षकों व जनप्रतिनिधियों ने उनके नाम पर खूब विरोध करना शुरू कर दिया, लेकिन सोर्सेज की मानें तो विरोध के इन स्वरों के बीच उनका वीसी बनना तय माना जा रहा है।