जुलाई में बस 12 दन हुई पढाई

पहले मौसम और अब कफ्र्यू ने स्टूडेंट्स को छुट्टियां ही छुट्टियां दे दी हैं। जुलाई में केवल 12 दिन ही स्कूल खुले हैं। अगस्त में 0 दिन की छुट्टियां होनी हैं। ऐसे में स्टूडेंट्स इसका मजा तो उठा रहे हैं लेकिन सबसे ज्यादा नुकसान भी उन्हीं का हो रहा है। इससे स्कू लों का सिलेबस प्लान पूरी तरह से गड़बड़ा गया है। इसका असर सीधे स्टूडेंट्स पर पड़ेगा। उन्हें कम समय में ज्यादा कोर्स कवर करना होगा। इसका असर रिजल्ट पर पडऩे की संभावनाएं भी नजर आ रही हैं। वहीं स्कूलों में इसकी भरपाई एक्स्ट्रा क्लासेज लगाकर और एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज को कम करके की जा सकती है।

जुलाई में ज्यादा working day

यूं तो जुलाई में पढ़ाई के लिए सबसे ज्यादा दिन मिलते हैं, पर इस बार जुलाई की शुरुआत ही ठीक नहीं रही। तेज गर्मी की वजह से फस्र्ट वीक में डीएम के ऑर्डर से स्कूल बंद रखे गए। सेकेंड और थर्ड वीक में स्कूल ओपन रहे। फोर्थ वीक स्टार्ट होने से पहले ही शहर में कफ्र्यू लग गया और स्कूल बंद हो गए। वैसे तो जुलाई में स्कूल खुलने के बाद केवल संडे की ही छुट्टियां होती हैं। स्कूल कैलेंडर के मुताबिक इस बार जुलाई में 26 वर्किंग डे होने थे। पर कफ्र्यू के चलते ऐसा नहीं हो सका।

महज 12 दिन हुई पढ़ाई

जुलाई में पहले गर्मी और फिर कफ्र्यू की वजह से सिटी के स्कूलों में महज 12 दिन ही पढ़ाई हो सकी। इससे स्टूडेंट्स का सिलेबस समय से कंप्लीट ना होने की वजह से फस्र्ट टर्म के एग्जाम्स भी आगे बढ़ाए जा रहे हैं। वहीं स्टूडेंट्स की एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज पर भी गाज गिरने वाली है। इससे सबसे ज्यादा नुकसान क्लास 10 व 12 के स्टूडेंट्स को हो रहा है। उनके लिए तो स्कूलों में एक्स्ट्रा क्लासेज के अलावा हाफ डे लीव भी खत्म की जा रही है।

Students पर बढ़ेगा बोझ

जुलाई में कम दिनों की पढ़ाई होने की वजह से स्कूलों का सिलेबस प्लान गड़बड़ा गया है। इसका असर रिजल्ट पर ना पड़े इसके लिए स्टूडेंट्स को ज्यादा मेहनत करने की जरूरत होगी। वहीं एक्स्ट्रा क्लासेज के चलते उनके पास सेल्फ स्टडी का टाइम भी कम ही रहेगा। वहीं पढ़ाई का एक्स्ट्रा बोझ पडऩे से कुछ स्टूडेंट्स तो आसानी से इसे कवर कर लेते हैं पर कुछ इसे कवर ना कर पाने पर डिप्रेशन में भी चले जाते हैं।

जुलाई में महज 12 दिन ही क्लासेज लग पाई हैं। इससे स्टूडेंट्स पर पढ़ाई का बर्डन बढ़ेगा। इसका असर रिजल्ट पर भी दिखाई दे सकता है। जो पढ़ाई छूट गई है, उसे कुछ स्टूडेंट्स तो कवर कर लेते हैं पर कुछ का ज्यादा लॉस हो जाता है। स्कूल में होने वाली एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज पर भी इसका असर पड़ेगा क्योंकि पढ़ाई ज्यादा जरूरी है।

-राजेश अग्रवाल, डायरेक्टर, जीआरएम

कफ्र्यू की वजह से सिलेबस प्लान बिल्कुल गड़बड़ा गया है। इसका भार तो स्टूडेंट्स पर ही पड़ेगा। एक्स्ट्रा क्लासेज लगाकर कोर्स तो पूरा कराया जा सकता है पर जो समय निकल गया उसकी भरपाई नहीं हो सकती है। इस बार फस्र्ट टर्म के एग्जाम्स भी शेड्यूल से एक सप्ताह से ज्यादा डिले करने पड़ सकते हैं। वहीं स्टूडेंट्स को कफ्र्यू के माहौल से निकलने में भी समय लगता है।

-दीपक गुप्ता, प्रॉक्टर, बीबीएल

कफ्र्यू से स्कूल का सिलेबस प्लान 10 दिन से ज्यादा लेट हो चुका है। इसका खामियाजा स्टूडेंट्स को ही भुगतना पड़ेगा। इसका असर रिजल्ट पर ना पड़े इसके लिए उन्हें ज्यादा मेहनत करने की जरूरत होगी। इस बार सिलेबस जल्दी कवर करने के लिए एक्स्ट्रा क्लासेज लगानी होंगी। इससे स्टूडेंट्स को सेल्फ स्टडी का टाइम मिलना भी मुश्किल हो सकता है।

-फादर ग्रेगरी मास्करहंस, प्रिंसिपल, बिशप कोनराड

यहां दूसरी तरह का कफ्र्यू है

Bareilly: स्कूल में अगर टीचर्स ना हों तो फिर पढ़ाई के बारे में सोचना भी जरा मजाक सा लगता है। इस कंडीशन में अगर कफ्र्यू हट भी जाए तो क्या फायदा? दरअसल, सिटी के 12 स्कूल फिलहाल इसी समस्या से जूझ रहे हैं। इनमें टीचर्स ही नहीं हैं। यही नहीं इनमें पूरी बुक्स भी स्टूडेंट्स तक नहीं पहुंची हैं। बेसिक एजुकेशन डिपार्टमेंट इस पर चुप्पी साधे हुए है।

12 school में 460 students

टीचर ना होने की वजह से बंद होने वाले 12 स्कूलों में 460 स्टूडेंट्स रजिस्टर्ड हैं। स्कूल बंद होने से इन बच्चों का भविष्य भी खतरे में पड़ गया है। इन स्कूलों में 10 प्राइमरी स्कूल और 2 जूनियर हाईस्कूल शामिल हैं। दरअसल इन स्कूलों में पढ़ाने वाले टीचर्स रिटायर हो चुके हैं। और ऐसे में समायोजन न किया जाने की वजह से इन स्कूलों अब तक ताला ही लगा हुआ है।

नहीं हैं books

नियमानुसार जुलाई के पहले दिन ही बेसिक स्कू लों में आने वाले स्टूडेंट्स को बुक्स मिल जानी चाहिए, पर बरेली में एक भी स्कूल में बुक्स नहीं बांटी गई हैं। इनमें क्लास वन की हालत ज्यादा खराब है। ऐसे में स्कू ल चलो अभियान में होने वाले नए रजिस्टे्रशन वाले स्टूडेंट्स स्कूल आने के लिए अट्रैक्ट नहीं हो रहे हैं।

ये स्कूल हैं बंद

-प्राइमरी स्कूल खुर्रम गौटिया

-प्राइमरी स्कूल कालीबाड़ी सेकेंड

-प्राइमरी स्कूल जखीरा फस्र्ट

-प्राइमरी स्कूल जखीरा सेकेंड

-प्राइमरी स्कूल रोठा नवदिया

-प्राइमरी स्कूल परसाखेड़ा गौटिया

-प्राइमरी स्कूल परसाखेड़ा फस्र्ट

-प्राइमरी स्कूल गढ़ैया फस्र्ट

-प्राइमरी स्कूल आजमनगर सेकेंड

-प्राइमरी स्कूल जाटवपुरा सेकेंड

-जूनियर हाईस्कूल ट्यूलिया

-जूनियर हाईस्कूल रोठा

इतनी ही किताबें हैं

-क्लास 1    -     नो बुक्स

-क्लास 2    -     2

-क्लास 3    -     1

-क्लास 4    -     3

-क्लास 5    -     2

-क्लास 6    -     5

-क्लास 7    -     4

-क्लास 8    -     4

बंद स्कूलों को खुलवाने की वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है। जल्द ही समायोजन करके इन स्कूलों को शुरू कर दिया जाएगा।

- लालमणि मिश्रा, नगर शिक्षा अधिकारी

बहुत जल्दी सभी स्कूलों में सभी किताबें पहुंच जाएंगी। वहीं जो किताबें आ चुकी हैं उन्हें स्कूलों में भिजवाया जा

चुक है।

- अनिल चौबे, कोऑर्डिनेटर, सर्व शिक्षा अभियान