बरेली (ब्यूरो)। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि व विश्व कुष्ठ दिवस 30 जनवरी को स्पर्श कुष्ठ अवेयरनेस अभियान के रूप में मनाया जाएगा। इस बार इसकी थीम &आइए कुष्ठ से लड़ें और कुष्ठ को इतिहास बनाएं&य रखी गई है। अभियान का उद्देश्य घर-घर तक जागरूकता फैलाना है। कुष्ठ एक दीर्घकालीन संक्रामक रोग है, यह जीवाणु माइकोबैक्टीरियम लेप्री के कारण होता है। यह मुय रूप से हाथ-पांव, त्वचा, नाक की परत और ऊपरी श्वसन पथ की नासिका तंत्र को प्रभावित करता है। जिले में 2021-22 में 343 लोगों का इलाज चल रहा था। वहीं 2022- 2023 में अब तक 207 मरीजों का उपचार चल रहा है।

किया जाएगा अवेयर
जिला कुष्ठ अधिकारी डॉ। सुदेश कुमारी ने बताया कि कुष्ठ रोग त्वचा में अल्सर, तंत्रिका क्षति और मांसपेशियों में कमजोरी पैदा करता है। यदि इसका समय पर उचित इलाज नहीं किया जाए तो इसकी वजह से पीडि़त को गंभीर विकलांगता का सामना करना पड़ सकता है। डॉ। सुदेश ने बताया कि भारत में कुष्ठ रोगी खोज, उपचार एवं विकलांगता की रोकथाम के लिए प्रभावी रूप से कार्य किया जा रहा है।

ये हैैं कुष्ठ के लक्षण
त्वचा पर हल्के रंग या दाग धबे
हथेली या पैर के तलवों में सुन्नपन
त्वचा पर गर्म या ठंडे का एहसास ना होना
दर्द रहित घाव या छाले होना
त्वचा पर गांठे व कान की पाली का मोटा होना
चलते समय चप्पल का निकल जाना व पैरों का घिसटना
अनुपचारित कुष्ठ प्रभावित व्यक्ति इसे दूसरे व्यक्ति तक फैला सकता है।

होंगी ये गतिविधियां
द्यकुष्ठ अवेयरनेस पर डीएम संदेश देंगे।
द्यकुष्ठ से प्रभावित व्यक्ति के प्रति भेदभाव को कम करने के लिए सभी सदस्यों से ग्राम सभा प्रमुख अपील करेंगे।
द्यअसमानता, पक्षपात से मुक्ति के लिए कुष्ठ रोग से प्रभावित या उपचारित रोगी (वरिष्ठतम) को ग्राम सभा द्वारा समानित किया जाएगा।