Reality check
मॉर्निंग टाइम 8 बजे। ओपीडी के दोनों तरफ के चैनल गेट पर ताले लटक रहे है। मेन बड़े चैनल पर बाहर से आए मरीज सीढिय़ों पर इंतजार कर रहे हैं। ओपीडी के ठीक सामने पर्चा बनवाने के लिए काउंटर पर तकरीबन 30 तीमारदारों की भीड़ लगी हुई है। जो घड़ी की सुइयों के साथ बढ़ती जा रही है।
टाइम 8:20 बजे।
ओपीडी के चेनल ओपन हो गए। मगर डाक्टर के केबिन खाली रहे। समय के साथ-साथ पेशेंट की भीड़ बढ़ती चली गई, लेकिन डाक्टर नहीं पहुंचे।
टाइम 8:45 बजे
तक केबिन के बाहर 30 से ज्यादा पेशेंट लाइन लगा चुके थे। इन लाइनों में ज्यादातर बुजुर्ग पेशेंट थे, जो खड़े होने में असमर्थ थे। लिहाजा वह जमीन पर बैठ करके डाक्टर का इंतजार कर रहे थे।
टाइम 10 बजकर 5 मिनट।
ओपीडी में करीबन सभी डॉक्टर अपनी कुर्सी तक पहुंच चुके थे।
डीएम साहब ओपीडी में डॉक्टर्स की टाइमिंग आठ बजे से दो बजे तक होती है।
मेडिसिन काउंटर देरी से होते हैं शुरू
दवा के काउंटर वैसे तो ओपीडी की टाइमिंग के हिसाब से ही शुरू होते है, लेकिन डाक्टर्स के न होने से मेडिसिन डिस्ट्रिब्यूशन के काउंटर भी लगभग 2 घंटा देरी से ही शुरू होते है। ऐसे में उन पेशेंट के सामने दिक्कत खड़ी हो जाती है, जो सिर्फ डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में मेडिसिन लेने आते हैं।
मैं सुबह 8 बजे से ही ओपीडी के बाहर बैठा हूं। 9:30 बज रहे हैं, डॉक्टर नहीं आए हैं। मेरी मां की तबियत खराब है।
-वेद प्रकाश, शांति विहार
मैं लाइन में सुबह 8:30 बजे से लगा हूं। अब तक डॉक्टर नहीं आए हैं। तबियत खराब होने के बावजूद लाइन में खड़ा होकर इंतजार कर रहा हूं।
-खुर्शीद, आलमगीरी
ओपीडी में डॉक्टर्स को नियत समय पर ही आना चाहिए। अगर ऐसा नहीं हो रहा है, तो मैं मामले की खुद जांच करूंगा।
- डॉ। सुधांशु, सीएमएस, डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल, बरेली