सरकारी उपेक्षा बनी वजह
मंडे को सिटी मजिस्ट्रेट के ऑफिस पर जहर खाकर पहुंची महिला का नाम लक्ष्मी है। वह भोजीपुरा थाने के पीपल सना की रहने वाली है। उसके परिवार में पति और तीन बच्चे हैं। लक्ष्मी का पति मानसिक रूप से बीमार है। इसलिए परिवार की दो जून की रोटी का जुगाड़ उसी के जिम्मे है। परिवार की आजीविका चलाने के लिए आरती छोटा-मोटा काम करती है। सरकार से आर्थिक सहायता पाने की आस में वह कई बार अधिकारियों से गुहार लगा चुकी है। बीती 24 अगस्त को सिटी मजिस्ट्रेट ने उसे 40 किलो अनाज की सहायता दी थी लेकिन सहायता ऊंट के मुंह में जीरा ही साबित हुई।
'मरना है तो बाहर जाकर मरो'
डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में होश आने पर लक्ष्मी ने आरोप लगाया कि वह मंडे सुबह 11 बजे डीएम से मुलाकात करने पहुंची लेकिन मिल नहीं पाई। वह दरवाजे पर ही इंतजार करने लगी। डीएम जैसे ही बाहर निकले, उसने जहर खाकर आने की बात बताई। डीएम उसे डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में एडमिट कराने की बात कह कर चले गए। उनके जाने के बाद एक कर्मचारी ने कहा 'मरना है तो बाहर जाकर मरो'। लक्ष्मी ने एक बीज भंडार से जहर खरीदा था।
मेरे ऑफिस में महिला आई थी। बीमार लग रही थी मैंने सिटी मजिस्ट्रेट से तुरंत उसे डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में एडमिट करवाने के लिए कहा। किसी कर्मचारी द्वारा उसे भगाने जैसी कोई बात सामने नहीं आई है।
-अभिषेक प्रकाश, डीएम, बरेली