फैसले को बनाया आधार
यूनियन बैंक स्टाफ एसोसिएशन की ओर से दिए गए नोटिस में पटना हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और दो बार इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसलों को आधार बनाया गया है।
एसोसिएशन के वकील यशपाल सिंह ने कहा कि कोर्ट ने अपने दिए फैसले में ये साफ कर दिया है कि बैंक समेत सेंट्रल गवर्नमेंट के कर्मचारी डीएम का चुनाव के संबंध में ऑर्डर मानने को बाध्य नहीं हैं। डीएम को ऑर्डर जारी करने से पहले कोर्ट के आदेशों को संज्ञान में लेना चाहिए था। यशपाल सिंह ने कहा कि कोर्ट के ऑर्डर को मानने की जगह बैंक कर्मचारियों को चुनाव का डर दिखाकर जबरन ड्यूटी करने का दबाव बनाया जा रहा है।
क्या है नियम?
1995 में पटना हाईकोर्ट में इस तरह का विवाद आया तो कोर्ट ने स्टेट बैंक स्टाफ एसोसिएशन के कर्मचारियों को ड्यूटी से मुक्त करने का फैसला सुनाया। इसके बाद भारत निर्वाचन आयोग ने फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जहां उसी फैसले पर दोबारा मुहर लग गई। इसी आधार पर 2010 में इलाहाबाद ग्रामीण बैंक ऑफिसर्स ऑर्गनाइजेशन और उसके बाद आर्यवर्त ग्रामीण बैंक अधिकारी संघ को चुनाव से मुक्त रखने का निर्णय सुनाया गया।